धनखड़ ने देश में सामाजिक सामंजस्य को निशाना बनाने वाले नैरेटिव और प्रयासों के प्रति भी आगाह किया। उन्होंने कहा, 'इसलिए, हम सभी को एक ऐसे एकजुट समाज के निर्माण के लिए जुनून और मिशनरी मोड में काम करना होगा जो राष्ट्रवादी सोच रखता हो और जाति, पंथ, रंग, संस्कृति, आस्था और व्यंजनों के गुटों से ग्रस्त न हो…।'
उपराष्ट्रपति ने कहा, 'हम बहुसंख्यक होने के नाते सर्व-समावेशी हैं, हम बहुसंख्यक होने के नाते सहिष्णु हैं, हम बहुसंख्यक होने के नाते एक खुशनुमा इकोसिस्टम बनाते हैं। दूसरी तरफ दीवार पर लिखी इबारत है एक ऐसे बहुमत की जो क्रूर, निर्दयी और अपने कामकाज में लापरवाह है। जो सभी मूल्यों को रौंदने में विश्वास करता है।'
उपराष्ट्रपति ने कहा, 'हम बहुसंख्यक होने के नाते सर्व-समावेशी हैं, हम बहुसंख्यक होने के नाते सहिष्णु हैं, हम बहुसंख्यक होने के नाते एक खुशनुमा इकोसिस्टम बनाते हैं। दूसरी तरफ दीवार पर लिखी इबारत है एक ऐसे बहुमत की जो क्रूर, निर्दयी और अपने कामकाज में लापरवाह है। जो सभी मूल्यों को रौंदने में विश्वास करता है।'