बॉलीवुड फिल्मों में अक्सर यह डायलॉग सुनने को मिलता था, 'आप खुद को टाटा-बिड़ला समझते हो?' यह टाटा परिवार की विरासत को दर्शाता है जिसे रतन टाटा ने बखूबी निभाया। रतन टाटा ने कहा था, 'जिंदगी में उतार-चढ़ाव बहुत जरूरी होते हैं, क्योंकि ईसीजी में भी एक सीधी रेखा का मतलब है कि हम जिंदा नहीं हैं।' रतन टाटा एक सफल उद्योगपति होने के साथ-साथ एक नेक दिल इंसान भी थे। वो हमेशा शांतनु के 'प्रकाश स्तंभ' बने रहेंगे, और हमारे भी।