संघर्ष के पसीने में भीगी, गरीब के जीवन की कहानी । भटकती फिर संभलती यही है,एक आम इंसान की कहानी
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04-06-2022 06:42 PM
अंधे बहरो की बस्ती चारों तरफ अंधेरा है,अफसरशाही का है बोलबाला,यहां सब नेता,है लाचार,कौन सुनेगा ग़रीबों की फ़रियाद, सरकारी डॉक्टर साहब मांगते रिश्वत,अस्पताल की नर्स नवजात शिशु से मिलने के लिए मांग रही थी ठंडा पीने के लिए पैसे,अजब कहानी है गज़ब कहानी है मेरे देश की,यहां चंद मुट्ठी भर पैसे वाले चलाते हैं देश को,यहां रोज़ पैदा होते हैं,लाखों ग़रीब जिनकी गिनती होती है कीड़े मकोड़ों की तरह,जैसे मरे हुए कीड़े मकोड़ों को चीटियां खा जाती है,वैसे ही एक नवजात शिशु को भी चीटियों ने बुरी तरह जख्मी कर दिया,मरे हुए कीड़े मकोड़ों पर चीटियों के झुंड एक साथ हमला करती हैं,वैसे ही इस नवजात शिशु पर भी लाखों चीटियों ने हमला कर उससे मौत के घाट उतार दिया,दिल को आघात करने वाली घटना उत्तर प्रदेश के महोबा के कुलापहाड़ तहसील क्षेत्र के मुढारी गांव के निवासी श्रमिक सुरेंद्र रैकवार की पत्नी सीमा ने 1 जून 2022 को एक बालक को जन्म दिया,बच्चे को बुखार था,उसको चाइल्ड केयर वार्ड में भर्ती कर दिया गया,चाइल्ड केयर वार्ड का नाम सुनकर आपको भी यह लगा होगा की यह वार्ड मशीनों से सुसज्जित एवं साफ सुथरा वार्ड होगा पर हकीकत कुछ ओर नर्स के द्वारा नवजात को उस बिस्तर पर लिटाया गया जिस पर पहले से चीटियां रेंग रही थी,नर्सों ने इतनी भी जे़हमत नहीं की के बिस्तर को साफ कर दिया जाए, रात भर नवजात को खाती रही चीटियाँ परिजन का आरोप है कि, नर्स को ठंडा पीने के पैसे दिए फिर नर्स से अनुमति मिलने के बाद जब उन्होंने बच्चे को देखा तो शिशु के सिर के पास हजारों चींटियों का झुंड था। इसकी शिकायत की गई लेकिन वहां तैनात स्टाफ ने सफाई पर कोई ध्यान नहीं दिया। परिवार का कहना है कि,चींटियों ने बच्चे को इस कदर काटा कि उसकी मौत हो गई। यह सब पढ़ने के बाद आपको नहीं लगता ग़रीब भी कीड़े मकोड़ों की तरह होते हैं, चींटियों के काटे जाने के निशान भी मासूम के शरीर में मौजूद हैं। वहीं वार्ड के अंदर भी चीटियां रेंगती हुई देखी जा सकती हैं। टेलीविजन के विज्ञापनों को देखने से ऐसा लगता है हमारे देश में चारों तरफ खुशहाली है,हमारे देश का ग़रीब से ग़रीब देशवासी खुशहाल है,चारों तरफ सुख समृद्धि की बयार चल रही है, टेलीविजन पर एक हास्य धारावाहिक आता है जिसका नाम है तारक मेहता का उल्टा चश्मा उसमें कहा जाता है आप उल्टा चश्मा लगाकर देखें आपको चारों तरफ खुशहाली दिखाई देगी मैंने भी उल्टा चश्मा लगाकर देखने की कोशिश की मुझे ज़मीनी हक़ीक़त कुछ और ही दिखी,मुझे दिखा लोग धर्म के नाम पर लड़ते हैं,भ्रष्टाचार, बेरोज़गारी हावी है, मुझे उलटे चश्में से देश में दो प्रकार के लोग दिखे,एक जिनके पास नोटों का अंबार है,वहीं दूसरी ओर वह लोग भी दिखे जिनके पास नोटों का अंबार तो नहीं पर परेशानियों का अंबार नोटो के अंबार से कई गुना बड़ा था,मुट्ठी भर अनाज मिल जाने से ग़रीब इंसान खुशहाल नहीं होता,आए दिन मंदिर मस्जिद को लेकर गर्मागर्म बहस,एक पक्ष कहता है मंदिर है,वही दूसरा पक्ष दावा ठोकता यहां सालों से नमाज पढ़ी जा रही है यह मस्जिद, मंदिर मस्जिद छोड़ो अब बुनियादी जरूरतों पर ध्यान दो,स्वास्थ्य शिक्षा और रोज़गार,जो देश स्वास्थ्य शिक्षा और रोजगार पर ईमानदारी से मेहनत करेगा उस देश को विश्व गुरु बनने से कोई नहीं रोक सकता। हमारे देश के एक आम इंसान, एक ग़रीब,एक मध्यवर्गीय नागरिक के लिए कुछ पंक्तियां।
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