एक तो बीमारी की मार,उस पर पत्रकार है लाचार, यह भारत के चौथे स्तंभ की रोंगटे खड़े करने वाली खबर। फिर एक क़लम का सिपाही भारत का चौथा स्तंभ सिसक सिसक कर अपनी मौत का इंतजार कर रहा है । यह वह पत्रकार है,जिसके पिता के नाम पर मध्य प्रदेश के महान पत्रकारों को सम्मान दिया जाता है । पहले इस पत्रकार की नौकरी गई,फिर अर्धांगिनी ने हमेशा हमेशा के लिए साथ छोड़ा,बेटी भी बहुत दूर चली गई,अब पत्रकार की सांसे भी साथ छोड़ने के लिए आतुर है । ऊपरवाला ना करें हमारा साथी हम से बहुत दूर चला जाएगा,हम दिखावा करने के लिए व्हाट्सएप पर,फेसबुक पर इस पत्रकार की शान में क़सीदो के बाण चलाएंगे,उस पत्रकार के लिए दो मिनट का मौन रखने का दिखावा करेंगे,मौन के दौरान मोबाइल की घंटी बजेगी मौन को भूलकर जेब से मोबाइल निकाल कर धीरे धीरे बात करेंगे । किसी ने सही कहा है जहां सरस्वती होती है,वहां लक्ष्मी रूठ जाती है,ऐसा ही कुछ अमित के साथ भी हो रहा है। पैसे पैसे से मोहताज,अब शरीर भी साथ छोड़ रहा है,पैसा खोया,नौकरी खोई पत्नी और बेटी को खोया यह हाल है क़लम के सिपाही का,हद अब यह हो गई अस्पताल के डॉक्टरों ने भी यह फरमान जारी कर दिया हैं,अब अमित को अस्पताल से घर वापस ले जाओ अमित के साथ यह विडंबना अगर घर जाता है,घर पर कोई नहीं,ना कोई पानी पिलाने वाला,ना दवाई खिलाने वाला,जो बिस्तर से उठ नहीं सकता वह घर पर अकेले कैसे रह सकता है । अपनी मौत का इंतजार करते अमित मासूम नजरों से डॉक्टरों को देखते हैं बोल नहीं पाते पर उनकी आंखें डॉक्टरों से यह सवाल जरूर करती होंगी डॉक्टर मुझे बचा लो बहुत तकलीफ है,कोई ऐसी दवा दे दो जिससे मेरी तकलीफ कम हो जाए ।
मध्य प्रदेश के प्रसिद्ध पत्रकार के पुत्र के ये हैं हालात,सरकार से नहीं मिल रही कोई भी मदद
मध्य प्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार राजेंद्र नूतन के पुत्र अमित नूतन सक्सेना पिछले दो वर्षो से गंभीर बीमारियों से पीड़ित है । राजेंद्र नूतन के पुत्र अमित नूतन ब्रेन ट्यूमर कैंसर से लड़ रहे है,वह चलने फिरने में असमर्थ है,अमित नूतन कि देखभाल करने वाला परिवार में कोई भी नही है। पत्नी और बच्ची दोनो का स्वर्गवास हो चुका है।उनके पास अब रहने को घर भी नहीं है,आर्थिक स्थिति बेहद गंभीर है ।
अमित नूतन के पिता राजेंद्र नूतन मध्य प्रदेश के मशहूर एवं नामी ग्रामी पत्रकार हुआ करते थे,इस बात से अंदाजा लगा ले उनके नाम से भोपाल के माधवराव सप्रे स्मृति समाचार पत्र संग्रहालय एवं शोध संस्थान मध्य प्रदेश के बड़े अखबार के पत्रकारों को हर वर्ष सम्मानित करती आई है ।
जाग जाओ क़लम के सिपाहियों हमारा एक साथी जो हमसे बहुत दूर जाने की कोशिश कर रहा है उसको रोक लो,वह मजबूर है, परेशान है,बीमारियों से जूझ रहा है,उसकी सांसों की डोर कभी भी टूट सकती है । बचा लो अपने साथी को, कहीं ऐसा ना हो चौथा स्तंभ भरभरा कर गिर जाए ।
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