इस्लामाबाद । गिलगित-बाल्टिस्तान को पूर्ण राज्य का दर्जा देने के फैसले के कारण पाकिस्तान की चारों तरफ निंदा और कड़ा विरोध हो रहा है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान चीन की शह पर गिलगित-बाल्टिस्तान में अपना दखल बढ़ा रहा है। इलाके में अगर पाकिस्तान का प्रभाव बढ़ता है तो इससे फायदा चीन को भी पहुंचेगा। भारत ने कड़ा विरोध जताते हुए कहा कि इस्लामाबाद के अवैध और जबरन कब्जे वाले भारतीय क्षेत्र के एक हिस्से में बदलाव लाने के पाकिस्तान के किसी भी प्रयास को भारत दृढ़ता से खारिज करता है और पड़ोसी देश से तत्काल उस इलाके को खाली करने को कहा। गौरतलब है कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने रविवार को गिलगित-बाल्टिस्तान क्षेत्र को अस्थायी प्रांत का दर्जा देने के साथ ही इस महीने के आखिर में गिलगिल बाल्टिस्तान में विधानसभा के लिए चुनाव कराने की घोषणा की है।
गिलगित-बाल्टिस्तान को पूर्ण राज्य का दर्जा देकर पाकिस्तान सरकार एक तीर से कई शिकार करना चाहती है। यह इलाका कराकोरम रेंज में है और चीन के उत्तर-पश्चिम के प्रांत शिनजियांग के साथ भी सटा हुआ है जिसके कारण इस इलाके का सामरिक और वाणिज्यिक दोनों ही महत्व है। अब चीन की भी इसमें दिलचस्पी बढ़ गई है। गिलगित-बाल्टिस्तान अगर अलग राज्य बन जाते है तो इससे चीन को भी फायदा होगा। दरअसल कराकोरम राजमार्ग से निकल कर गिलगित-बाल्टिस्तान होते हुए ही बलोचिस्तान में दाखिल होता है। गिलगित-बाल्टिस्तान के अलग राज्य बन जाने से चीनी कंपनियां सीधे स्थानीय प्रशासन के संपर्क में आ सकेंगी और इससे वहां काम करने में सुविधा होगी। चीन की इसमें दिलचस्पी का और कारण है कि सामरिक पहलू यह है कि यह अक्साइ चिन से बहुत दूर नहीं है। दरअसल केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने 5 अगस्त 2019 को संसद में अक्साइ चिन को छीन लेने का बयान दिया था जिससे चीन आशंका में है। अगर चीन को गिलगित-बाल्टिस्तान पर का रास्ता मिल जाता है तो पीपल्स लिबरेशन आर्मी की मौजूदगी से उसे अक्साइ चिन में भारत को दूसरी तरफ से घेरने में आसानी होगी।