भोपाल । मध्य प्रदेश विधानसभा और लोकसभा चुनाव के दौरान जिन नेताओं ने बागी बनकर भाजपा के प्रत्याशियों का विरोध किया था, ऐसे नेताओं की अब पार्टी में वापसी नहीं होगी। इनमें कई पूर्व विधायक भी शामिल हैं। पार्टी ने सभी मंडल और जिला अध्यक्षों को भी निर्देश दिए हैं कि ऐसे नेताओं ने पार्टी की डिजिटल सदस्यता ले भी ली हो तो उसे निरस्त कर दें।
अनुशासनहीनता के मामले जिन लोगों पर हैं, उन्हें सक्रिय सदस्य भी नहीं बनाना है। इनमें कई कद्दावर नेता जैसे चाचौड़ा से पूर्व विधायक ममता मीणा, रसाल सिंह, नारायण त्रिपाठी, दीपक जोशी, गिरिजाशंकर शर्मा, वीरेंद्र रघुवंशी, केदार शुक्ला, रुस्तम सिंह, पूर्व सांसद बोध सिंह भगत, अवधेश नायक, राव यादवेंद्र सिंह यादव, बैजनाथ यादव सहित कई दिग्गज शामिल हैं।
भाजपा में भले ही हजारों की तादाद में कांग्रेस कार्यकर्ता शामिल हो गए हों, लेकिन भाजपा के बागियों की घर वापसी संभव नहीं है। दरअसल, विधानसभा चुनाव 2023 के दौरान बागियों को मनाने के भरसक प्रयास किए गए थे। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने संभागीय बैठकें ली थीं तो उन्होंने स्वयं बागियों से आग्रह किया था। उनके प्रयास से ही धार में रंजना बघेल और जबलपुर में धीरेंद्र पटैरिया ने अपना नामांकन पत्र वापस ले लिया था।
इसके बाद भी कई क्षेत्रों में बागी डटे रहे। अब पार्टी ऐसे बागियों की घर वापसी के पक्ष में नहीं है। पूर्व मुख्यमंत्री कैलाश जोशी के पुत्र दीपक जोशी भी ऐसे बागियों में शामिल हैं। वह कांग्रेस के टिकट पर खातेगांव से चुनाव भी लड़े और पराजित हुए। लंबे समय से वह भाजपा में आने के लिए सक्रिय हैं, पर पार्टी उन्हें वापस लेने को तैयार नहीं है।
ऐसे नेताओं में ही मैहर से विधायक रहे नारायण त्रिपाठी का नाम शामिल है। त्रिपाठी कांग्रेस व समाजवादी पार्टी के साथ भाजपा से भी विधायक रहे। विधानसभा चुनाव से पहले उन्होंने अपनी विंध्य विकास पार्टी बना ली थी। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष रहे नंद कुमार सिंह चौहान के बेटे का नाम भी बागियों की लिस्ट में शामिल है।
चौहान भी बुरहानपुर से भाजपा प्रत्याशी अर्चना चिटनीस के विरुद्ध चुनाव लड़े थे। अब ऐसे नेताओं को किसी भी सूरत में वापस नहीं लिया जाएगा। पार्टी सूत्रों के अनुसार, इनमें से बहुत सारे नेताओं ने भाजपा की डिजिटल सदस्यता ले ली है और वे सक्रिय सदस्य बनने के प्रयास में भी लगे हैं। संगठन ने कहा है कि ऐसे बागी यदि सदस्य बन भी गए हैं तो उन्हें बाहर कर दिया जाए। अनुशासन समिति ही तय करेगी कि किसे पार्टी में लेना है।