बरसात सभी के मन में प्रसन्न, पर शहर में हो रहे दुखी
Updated on
19-09-2021 11:46 AM
बरसात का होना हम यह मानते हैं कि इंद्र भगवान प्रसन्न हो गए हैं। यह वह मौसम है जब मन प्रफुल्लित रहता है क्योंकि चारों और हरियाली नजर आती है। प्रकृति में कई जीव एक साथ उत्पन्न हो जाते हैं पशु पक्षी सब प्रफुल्लित दिखते हैं। किसान इस मध्यम रूपी बरसात को लेकर बेहद खुश है, और देखा जाए तो जमीन के अंदर पानी बड़े आराम से उतर रहा है जिससे जलस्तर भी ऊपर आ जाएगा। परंतु जब भी थोड़ी बहुत बरसात होती है तो शहर रोने लगता है, उसको रुलाने वाले शहर की सड़कों के लिए संबंधित विभाग के जिम्मेदार इंजीनियर होते हैं। क्योंकि वह जब सड़के बनाते हैं तो पानी निकासी की व्यवस्था नहीं रखते हैं और सड़कों का एक लेवल भी नहीं रखते हैं, ऊपर नीचे लेवल होने से जगह-जगह सड़कों पर पानी जमा हो जाता है और एक आध इंच की बरसात में 20-25 परसेंट शहर का दम भर जाता है। कई लोगों के घरों में पानी आ जाता है घर में आते जाते वक्त सड़क के जमा पानी से गुजारना पड़ता है। कहते हैं कि घर में कहीं जरा भी पानी जमा हो तो वहां पर मच्छरों के लारवा बन सकते हैं पर इस तरह जब सड़कों पर पानी के जमा हो जाने से क्या वहां पर मच्छरों के लाडवा नहीं पनपते। वाटर रिचार्जिंग के नाम पर करोड़ों का फंड खर्च होता हैं और बरसात का पानी यूं ही बह जाता है।
अशोक मेहता, इंदौर (लेखक, पत्रकार, पर्यावरणविद्) ये लेखक के अपने विचार है I
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