BJP इस तर्क को भी खारिज करती रही है कि वह सहयोगियों के दबाव में है। पार्टी नेता पहले की मिसाल देते हैं, जब सहयोगियों की बातों को सरकार में तवज्जो दी गई। लेकिन, इन तर्कों और दावों के बीच आम धारणा यह जरूर बनी है कि 4 जून को आए चुनाव परिणाम का असर केंद्र सरकार पर दिखा है और कहीं न कहीं उसका इकबाल कमजोर हुआ है। यह धारणा आगे जाकर और मजबूत होगी या कमजोर, इसका फैसला बहुत कुछ विधानसभा चुनाव के परिणाम करेंगे। तब तक यह सियासी बहस जारी रहेगी और सरकार के हर फैसले को उसी चश्मे से देखा जाएगा।