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तिरंगे के खा़तिर जो अपनी जान कुर्बान करता है,वही देश का सपूत

Updated on 11-12-2021 02:09 PM
*सम्मान हम करें ।* 
 *शहीदों को सलाम* 
 *हम करें ।।* 
 *जिनकी वजह से* 
 *करते हैं,हम आराम ।* 
 *वह है,हमारे सेना* 
 *के नौजवान ।।*
हमारी आन,बान और शान का प्रतीक राष्ट्रीय ध्वज 'तिरंगा',तिरंगे के खा़तिर जो अपनी जान कुर्बान करता है,वही देश का सपूत कहलाता है,इन शहीदों की जितनी प्रशंसा की जाए उतनी कम है। हमारे सीडीएस प्रमुख जनरल विपिन रावत और इनके साथ शहीद हुए हमारे सैनिक जो जिये देश के लिए आन,बान और शान से,जब गए परिवार के साथ लाखों लोगों को रोता हुआ छोड़ कर हमेशा हमेशा के लिए चले गए,शहीद सैनिक अपना फर्ज़ निभाते चले,भारत माता का कर्ज चुकाते चले,मां,बहन,बेटी,पत्नी रोना नहीं,टूटने ना देना इनका विश्वास,यह हैं हिंदुस्तान की धड़कन,इनकी धड़कन रुकने ना देना,लोगों के आंखों में आंसू, हाथों में फूल,आखिरी दर्शन के लिए लंबी लंबी कतारें,यह सब बताता है,यही हैं,हमारे देश के सच्चे नायक,जो जीते हैं,देश के लिए और मरते हैं,देश के लिए । तिरंगा ओढ़े हुए,जिस तरंगे को जिंदगी भर सीने से लगाया रखा,शहीद होने के बाद कफ़न की जगह तिरंगे में लिपटे हुए,सलाम है ऐसे शहीदों को,शहीदों के परिवार के चेहरे मुरझाए हुए,आंखों से आंसू बहते हुए,पर दिल में तसल्ली आज उनका पिता,पति,बेटा,देश के लिए शहीद हुआ,इन शहीदों की आखरी लहू की बूंद देश के काम आई । शहीद हुए सैनिकों ने कभी ना सोचा होगा यह सफ़र आख़िरी सफ़र होगा,जब यह शहीद अपने घरों से निकले थे,परिवार वालों से शायद यह बोल के निकले होंगे कुछ देर में वापस आते हैं,मां इंतजार कर रही होगी,पत्नी बार-बार घड़ी देख रही होगी इतनी देर हो गई पहुंचने की खबर नहीं आई,शायद बेटी इंतजार कर रही होगी पापा आएंगे रात का खाना साथ में खाएंगे,बेटा पिता पति तो घर वापस नहीं आए,पर  शहीद होने की ख़बर जरूर आई।
चिताओं से लपटें उठती रही,धुएं का ग़ुबार गगन की ओर बढ़ता गया,बेटी पत्नी मां और बहन धुएं को ताकते रहे,इन को ऐसा लग रहा होगा,उनका बेटा,पति,भाई या पिता स्वर्ग की ओर जा रहे हैं ।  इन शहीदों की वजह से ही हमारा राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा ऐसे ही सदा लहराता रहेगा । सलाम इन शहीदों को,सलाम है हमारे जनरल को,लोग तो आते रहेंगे,लोग जाते रहेंगे,विपिन तुम ऐसे गए ऐसा लगा जैसे दिन में ही सूरज अस्त हो गया,130 करोड़ हिंदुस्तानियों का दिल टूट गया, तुम पर नाज़ था,हर हिंदुस्तानी को,तुम देश के सच्चे सपूत थे,चार दशकों से तुम 130 करोड़ हिंदुस्तानियों के दिलों की धड़कन थे,तुमने ऐसे कारनामे कर दिखाएं जिससे भारत माता का शीश हिमालय से भी ऊपर हुआ,जो तुमने देश की सुरक्षा के लिए अपनी जान को हथेली पर लेकर कारनामों को अंजाम दिया,इन कारनामा के लिए देश की 130 करोड़ जनता तुम्हारी ऋणी रहेगी, जर्नल साहब तुम को सलाम, देश का मान कैसा रखा जाता है,कोई तुमसे सीखे,जब जब पड़ोसी मुल्क ने हमारे देश के ऊपर अपनी नापाक हरकतों को अंजाम दिया,तुम ही थे,तुम्हारे मार्गदर्शन में हमारे सैनिकों ने दुश्मनों के घर में घुसकर दुश्मनों को जो जवाब दिया आज इसकी वजह से भारत की ओर पड़ोसी मुल्क अपनी नज़रें डालने में भी दस बार विचार करते हैं,तुमने यह बता दिया भारत देश की धरती पर अभी भी वीर सपूत जन्म लेते हैं,अगर दुश्मन हमारी सीमाओं को छूऐगे,तो हम तुम्हारे घरों में घुसकर तुमको मार कर वापस आएंगे,दुश्मनों के उरी हमले के बाद सितंबर 2016 में जब भारतीय सेना ने सीमा पार जाकर सर्जिकल स्ट्राइक किया था,तब बिपिन रावत सेना के उप सेना प्रमुख थे,बताया जाता है कि इस फैसले में बिपिन रावत की भी अहम भूमिका थी,इसके बाद फरवरी 2019 में पुलवामा हमला हुआ तो वायुसेना ने एलओसी पार कर बालाकोट में एयर स्ट्राइक की,उस वक्त बिपिन रावत सेना प्रमुख थे। हमारे जनरल साहब ने कश्मीर घाटी के नौजवानों को मुख्य धारा में जोड़कर यह पूरी दुनिया को बता दिया कि कश्मीर का नौजवान अगर आतंकियों के बहकावे में आकर बंदूक और पत्थर उठा सकता है, तो यही कश्मीर का नौजवान स्कूल कॉलेज की किताबें उठाकर अपना और भारत देश का भविष्य भी सुधार सकता है, कश्मीर घाटी में वर्ष 2010 के दौरान हिंसा से हालात बिगड़े तो पत्थरबाजी की घटनाओं ने ज़ोर पकड़ा। मुख्यधारा से कटकर युवा पत्थरबाज़ बनने लगे। कट्टरपंथ की इसी हवा के बीच जनरल रावत ने बारामुला में ‘जवान और अवाम, अमन है मुकाम’ का नारा देकर युवाओं के लिए खास पहल की। इसी से प्रभावित होकर मुख्यधारा में लौटने वालों में शामिल आबिद सलाम आज बारामुला नगर परिषद के सबसे युवा पार्षद और उपाध्यक्ष हैं।
 तुम्हारी और तुम्हारे साथियों की शहादत ज़ाया नहीं जाएगी । जर्नल साहब यह जिंदगी के मेले यूं ही लगते रहेंगे पर अफसोस तुम ना होगे ।
" किसी ने खूब लिखा है"
   *जब आँख खुले तो धरती*  
       *हिन्दुस्तान की हो,* 
     *जब आँख बंद हो तो यादेँ* 
      ‌‌   *हिन्दुस्तान की हो,* 
          *हम मर भी जाए तो* 
              *कोई ग़म नही,*  
            ‌‌       *लेकिन* 
        ‌     *मरते वक्त मिट्टी,* 
             *हिन्दुस्तान की हो ।।*
मोहम्मद जावेद खान ,लेखक,संपादक,
भोपाल मेट्रो न्यूज़
 

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