सरकार ने अपने दम पर खूब प्रयास कर लिए प्रोड शिक्षा के, कुछ चैरिटेबल संस्था ने भी इस क्षेत्र में कार्य किया पर वह नतीजे सामने नहीं आए जो आना चाहिए। सरकार जिनके पास नहीं होता है या जिन्हें सख्त आवश्यकता है उन्हें बहुत सारी सुविधाए फ्री में देती है या बहुत न्यूनतम राशि मे देती है, सरकार अपना दायित्व समझती है कि उनकी आवश्यकता की पूर्ति मे मदद की जाए। सरकार को पता है कि अधिकांश जनता में शिक्षा का अभाव है कई अशिक्षित है, इसलिए सरकार ने प्रौढ़ शिक्षा जैसे कई कार्यक्रम चलाएं। सरकार यदि यह तय कर ले कि जो शिक्षित होंगे सिर्फ उन्हें ही पट्टे की जमीन, मकान या एक रुपए दो रुपए किलो में खाद्धान, उज्जवला योजना, मनरेगा रोजगार, लाडली लक्ष्मी योजना, अन्य कई रोजगार योजना, बिजली पानी के बिलों में छूट, सामुदायिक बीमा योजना आदी योजनाओ का लाभ मिलेगा। तब देखिए आप देश में कितने शिक्षित तुरंत पैदा हो जाएंगे। सरकार चाहती है कि गरीब और अभावग्रस्त लोगों के लिए मददगार रहे परंतु वे स्वयं अपने मददगार तभी हो पाएंगे जब वह शिक्षित होंगे। एक विकसित देश में विकास पूर्णतया तभी संभव है और सभ्य समाज की रचना भी तभी संभव होती है कि जब 100% जनता शिक्षित हो। पॉपुलेशन और पर्यावरण संबंधी कई समस्याएं भी कम होगी। अशोक मेहता, इंदौर (लेखक, पत्रकार, पर्यावरणविद्) ये लेखक के अपने विचार है I
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वर्तमान समय में टूटते बिखरते समाज को पुनः संगठित करने के लिये जरूरत है उर्मिला जैसी आत्मबल और चारित्रिक गुणों से भरपूर महिलाओं की जो समाज को एकजुट रख राष्ट्र…