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वसीयत

Updated on 24-01-2021 08:12 PM
वर्ष 2020 काफी  अनिश्चितताओं भरा रहा,यह तो निश्चित है कि यह साल और इस साल की ष्श1द्बस्र १९ कोरोना बीमारी को हम अपने जीवन में नहीं भूल पाएंगे। कोरोना काल ने जो हमे सीख दी है वह भी न भूलने योग्य है की जीवन का कोई भरोसा नहीं, एक पल में आपकी दुनिया बदल सकती है  इसलिए अपने परिवार को किसी भी तरह की आर्थिक परेशानी से बचाने के लिए अपने जीवनकाल में अपनी वियतनाम तैयार रखना एक समझदारी भरा कदम साबित होगा।  भारत मे अभी अपने जीवनकाल में ही वसियत कराने का चलन काफ ी हद तक कम देखने मे आता है। भारतीय वसियत में कम यकीन रखते हैं,जिसका नतीजा होता है की मुख्य व्यक्ति की मृत्यु के पश्चात उनके वारिस को काफ ी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है और कई बार आपस मे लड़ाई की वजह भी बनते हैं। जबकि अगर मृत व्यक्ति अपनी वियतनाम छोड़कर मरता है तो संपत्ति को लेकर वारिसों के बीच कोई मतभेद या शंका के कारण नहीं बचते  अत: वसियत कराना पूरी तरह तरह कानून के दायरे में और सुरक्षित कदम है।
वसियत कौन करा सकता है और इसमें र्खच
भारतीय उत्तराधिकार अधिनियम 1925 मे वसियत संबंधि योग्यताओं का वर्णन किया गया है, इस अधिनियम में वसियत करने वाले व्यक्ति को निम्न परिस्थितियों में योग्य बताया गया है :
अधिनियम की धारा 59 मे बताया गया है कि कोई भी स्वस्थचित्त और वयस्क व्यक्ति अपने द्वारा अर्जित की गई संपत्ति को वसियत कर सकता है। वसियत के प्रावधानों मे सबसे अधिक महत्त्व इस बात का है कि व्यक्ति स्वयं की ही संपत्ति कि वसियत कर सकता है, जो उसने स्वयं अर्जित की हो। वह अपनी पैतृक संपत्ति को वसियत नहीं कर सकता है। यदि कोई व्यक्ति उन्मत है और उसे उन्मत्त के दौरे बार-बार आते हैं तो जिस समय वह वयक्ति स्वस्थचित्त होगा उस समय वह अपनी संपत्ति को वसियत कर सकता है। 
कोई भी स्त्री अपनी स्वयं अर्जित संपत्ति की वसियत कर सकती है वसियत के संदर्भ में स्त्री और पुरुष का कोई भेद नहीं है, केवल महत्तव इस बात का है कि संपत्ति स्वयं द्वारा अर्जित होनी चाहिए। 
वसियत को वसियतकर्ता किसी भी समय वापस भी ले सकता है, वसियत रोक भी कर सकता है और अपने द्वारा की गई वसियत को पुन: वापस भी ले सकता है। कोई भी वसियत उस समय ही निषपादित कर सकता है जब उसे करने वाला व्यक्ति मृत्यु को प्राप्त हो जाता है।  किसी भी वसियतकर्ता के जीवित रहते हुए उस व्यक्ति की वसियत निषपादित नही की जा सकती। 
वसियत का रजिस्ट्रेशन आवश्यक क्यों है ! 
भारतीय उत्तराधिकार अधिनियम के तहत वसियत का रजिस्ट्रेशन या नोटराईज़ेशन करवाना आवश्यक नही बताया गया है एक कागज़ का टुकड़ा भी वसियत हो सकता है, केवल वसियतकर्ता के आश्य को देखा जाता है। 
यहाँ तक की वसियत मे लिखे गए शब्दों पर भी खास ध्यान न देने का प्रावधान है केवल वसियत करने का आशय सक्षम होना चाहिए, कोई संशय नही रहना चाहिए। कानून तो रजिस्ट्रेशन के संबंध में कोई विशेष प्रक्रिया का उल्लेख नही करती परन्तु कानून की जानकार और अनुभव से मेरा निजी परामर्श है कि वसियत का रजिस्ट्रेशन करवा लेना चाहिए, क्योंकि रजिस्टर्ड वसियत की सूरत मे मुकदमेबाजी से बचा जा सकता है,क्योंकि यहाँ पर उत्तराधिकारी के पास यह तर्क होता है,कि जो वसियत संपत्ति को अर्जित करने वाले व्यक्ति ने लिखी है उसे सरकार द्वारा तय किये गए व्यक्ति (अधिकारी) के पास जाकर हस्तक्षरित करवाई गई है तय शुदा शुल्क आदा किया गया है।
खास तौर पर मेरी यह सलाह रहती है की आप किसी अनुभवी वकील के द्वारा ही अपनी वसियत बनवाएं,इसमे आमतौर पर 5000 रु. से 8000 रु. तक का खर्च आता है। हालांकि यह वसियतकर्ता किस शहर मे रहता है और वकील की प्रतिष्ठा जैसे कुछ कारकों पर भी निर्भर करता है।
वसियत बनाने की प्रक्रिया ! 
कुछ बातें जिन पर आपको वसियत बनाने से पहले ध्यान देना होगा हांलाकि इसकी प्रक्रिया बेहद सरल है :
1. भारतीय कानून के तहत वसियत लिखने का कोई तय प्रारूप नहीं है।
2. यह मरने हुए कि वसियतकर्ता ने अपनी संपत्ति कानूनी रूप से अधिग्रहण की है या उसे विरासत में मिली है। वसियत बनाने के लिए बस कलम और कागज़ कि जरूरत है।
3. लिखित दस्तावेज पर यदि वसियत बनाने वाले व्यक्ति के हस्ताक्षर और साथ ही प्रमाण के लिए दो गवाहों के हस्ताक्षर भी हो तो उसे वैध वसियत का दर्जा मिल जाता है।
4. अगर वसियतकर्ता लिखने मे सक्षम नहीं है तो कोई और व्यक्ति उसके लिए यह कर सकता है हस्ताक्षर के स्थान पर वसियतकर्ता के अंगूठे के निशान लेना भी पर्याप्त होगा, यहाँ भी दो गवाहों के हस्ताक्षर द्वारा प्रमाणित किए जाने के बाद इसे एक वैध दस्तावेज समझा जाएगा।
5. न्यायालय हस्तलिखित या होलोग्राफिक वसियत को भी मान्यता  देते हैं ।
एक वसियतकर्ता अपनी वसियत को कभी भी निरस्त कर सकता है या बदल सकता है  अगर एसा होता है तो चाहे पहली वसियत पंजिकृत हो और दूसरी वसियत पंजिकृत न हो फि र भी कानून पहली वसियत के सामने दूसरी वसियत को वरियता देगा।
वसियत पंजीकृत कराने के फायदे  ! 
अपने जीवनकाल में वसियत को पंजिकृत कराना कोई बाध्यता नहीं है, किन्तु ऐसा करने की सलाह दी जाती है  दस्तावेजों के रजिस्ट्रेशन के लिए नामित प्राधिकारी यानि उप-आवास के पंजिकृत को यह संतुष्टि होनी चाहिए कि वसियत को जमा करवाने वाला व्यक्ति ही वासतव में वसियत कर्ता या उसका एजेंट है, हाँ रजिस्टर्ड वसियत को भी इस तर्क पर चुनौती दी जा सकती है कि उसमे वसियतकर्ता द्वारा लिखे गए शब्दों को अनुचित प्रभाव के तहत लिखवाया गया है  वसियत को पंजिकृत करवाने का मुख्य फ ायदा है की रजिस्ट्रेशन के बाद इसकी एक प्रती (वास्तविक प्रती) रजिस्ट्रार के पास सुरक्षित रखी जाती है, इसकी वास्तविक प्रतीको केवल रजिस्ट्रार, वसियत कर्तायदी वह जीवित है या उसके अधिवक्ता द्वारा ही प्राप्त किया जा सकता है।  
जूही रघुवंशी,लेखिका एवं अधिवक्ता

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