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पानी की बोतल बांधकर पैदल चलने को मजबूर हैं मजदूर

Updated on 11-05-2020 06:43 PM
मुंबई। सारे देश में करोड़ों मजदूर लॉक डाउन के दौरान भूख प्यास और बेरोजगारी से बेहाल होकर पैदल ही अपने घरों को निकल पड़े हैं। कई कई दिन इन्हें भूखा रहना पड़ता है। जेब में पैसे नहीं है। पैसे हैं भी तो दुकानें बंद है। दूध नहीं मिल रहा है छोटे छोटे से बच्चे इस कड़ी चिलचिलाती हुई धूप में नंगे पैर चलने के लिए विवश हैं। पैरों में छाले पड़ गए हैं। पैर सूज गए हैं। उसके बाद भी भूखे प्यासे अपनी जिंदगी को बचाने के लिए यह मजदूर रोजाना पैदल चलते हुए अपने घरों की ओर बढ़ रहे हैं। यह दृश्य देखकर भी नेताओं, अधिकारियों, साधु-संतों का दिल क्यों नहीं पसीज रहा है।
पैदल चलते चलते चप्पले टूट गई। दोपहर की तपती गर्मी में पैरों के तलवे में छाले पड़ गए। उसके बाद भी लगातार चलते रहने के लिए लोगों ने पानी की बोतलों को कपड़े या रस्सी से बांधकर उन्हीं के सहारे चलना शुरू कर दिया।
जगह-जगह से जो रिपोर्ट प्राप्त हो रही हैं। उसमें किसी भी राज्य सरकारों द्वारा इन गरीब मजदूरों के लिए खाने पीने या इनके परिवहन की व्यवस्था रास्तों में नहीं की गई है। उल्टे पुलिस  डंडे लगाकर एक स्थान से दूसरे स्थान पर खदेड़ रही है। किसी जगह पर अच्छे अधिकारी होते हैं तो वह है इन्हें ट्रकों के माध्यम से आगे कुछ किलोमीटर भेजने की व्यवस्था कर देते हैं। कुछ लोग पानी और भोजन की व्यवस्था करा देते हैं। इन मजदूरों का कहना है, कि रास्ते में स्वयंसेवी संगठन ढाबे वाले अपनी सामर्थ्य के अनुसार मजदूरों को खिला पिला देते हैं। यदि वह नहीं होते, तो हम लोग अभी तक जिंदा भी नहीं होते। कोई भी सरकार कुछ नहीं कर रही है।
यह स्थिति देशभर के हर हिस्से मैं देखने को मिल रही है। दक्षिण के तमिलनाडु, कर्नाटक, आंध्र, तेलंगाना से मजदूर उत्तर भारत की ओर पलायन कर रहे हैं। इसी तरीके से महाराष्ट्र के मुंबई नासिक पुणे जैसे शहरों से विभिन्न राज्यों के करोड़ों की संख्या में मजदूर सड़कों पर हैं। यही स्थिति राजस्थान के जयपुर कोटा उदयपुर गुजरात के नासिक बड़ौदा अहमदाबाद मोरबी भावनगर राजकोट, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली से करोड़ों की संख्या में मजदूर पैदल ही अपने राज्यों और घरों की ओर चल पड़े हैं। आश्चर्य की बात यह है कि इन मजदूरों को लेकर कोई भी राज्य सरकारें गंभीर नहीं है। जिन राज्यों से यह मजदूर निकल रहे हैं।  उन्हें अन्य राज्य का  मानकर  कोई भी राज्य सरकार  इन मजदूरों को  खाने-पीने या परिवहन की सुविधा उपलब्ध नहीं करा रही है।  नाही इन्हें रोक पा रही है पहली बार इन मजदूरों ने अपने जीवन में एक ही दिन में कई बार मृत्यु से साक्षात्कार होते देखा है। इस स्थिति की उन्होंने कभी कल्पना भी नहीं की थी।

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