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शरीर की अंदरूनी शक्ती, सिर्फ नाड़ी वैद्य पहचानते हैं

Updated on 30-11-2022 12:55 PM
भारत में प्राचीन समय से नाड़ी वैद्य सभी प्रकार की चिकित्सा करते आए हैं। लेकिन शनै शनै जैसे-जैसे मॉर्डनाइजेशन होता गया हम लोग एलोपैथिक की तरफ डायवर्ट हो गए हैं और एलोपैथिक की शिक्षा के लिए डॉक्टरी के कोर्स बनते गए। जिसमें सर्जरी और केमिकल दवाइयों पर ज्यादा महत्व दिया गया। आज के दौर में डॉक्टर की पढ़ाई सबसे महंगी है 50 लाख से एक डेढ़ करोड़ रुपए तक खर्च होकर एक्सपर्ट डॉक्टर बनते हैं। पहले एक डॉक्टर पूरे शरीर का इलाज करता था आजकल नाक कान गला हाथ पैर अंगूठे पेट सबके डॉक्टर अलग-अलग हो गए और हर डॉक्टर आपके के रोग की जड पर जाने के बजाय जांचे करवाने लग गए। जांच करने वाली लेबोरेटरीज ने डॉक्टरों को रिश्वत देना शुरू किया कमीशन के रूप में इसी तरह विदेशी और कुछ भारतीय दवाई बनाने वाले डॉक्टरों को बहुत तगड़ी कमीशन देने लगे और उस दवाई को 400-500 गुना कीमत पर बेचने लगे। चूंकि सब लोग डॉक्टर पर भरोसा करते हैं उसे भगवान मानते हैं तो उनके कहे अनुसार वही दवाई खाते हैं। आज के दौर में बहुत सारे डॉक्टर सिर्फ पैसे के पुजारी बन गए आपको उलझा कर पैसे लेना उनका पैशा बन गया। नर्सिंग होम और हॉस्पिटल वाले भी कम नहीं वह भी अपनी तरह से भरपूर लूट में लग गए। कुल मिलाकर इस मेडिकल पेशे को मानो लूट पट्टी का अड्डा बना लिया। लेकिन आज भी नाड़ी वैद्य डॉक्टर अपनी जगह सही इलाज करते हैं बहुत आवश्यक होने पर जांच कराते हैं और बीमारी की जड़ पर जाते हैं और उसी अनुसार आपको इलाज देते हैं। यह एक शुभ संकेत है कि भारत सरकार अब आयुर्वेद को महत्त्व देने लगी और उसे चिकित्सा की पद्धति के रूप में विस्तार करने लगी। आपको कई व्यक्ति ऐसे मिलेंगे जो अपनी इच्छा शक्ति और अपने शारीरिक शक्ति के ऊपर अपने आप को हर बीमारी से ठीक किए हुए हैं वह कभी भी किसी भी सर्जन या डॉक्टर के बहकावे में नहीं आते हैं और अपने आप पर भरोसा रख कर घरेलू होम्योपैथिक या आयुर्वेदिक इलाज से स्वस्थ हैं उनका मानना है कि हमारा शरीर ही डॉक्टर है और वही हमें ठीक करेगा।
अशोक मेहता, इंदौर (लेखक, पत्रकार, पर्यावरणविद्)

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