पूर्व माननीयों के लिए चाहे कितनी भी सुविधाएं दे दी जायें लेकिन उनका दिल है कि मानता ही नहीं, और अधिक की चाहत उनके दिलों में जवान रहती है। मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव में हालांकि अभी लगभग नौ माह का समय शेष है लेकिन भूतपूर्व होने के बाद जो सुविधाएं मिलती हैं उनमें और अधिक इजाफा किया जाए ऐसा प्रस्ताव विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम ने सामान्य प्रशासन विभाग को भेजा है। विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम अगली विधानसभा में भी अध्यक्ष होंगे या नहीं होंगे, यह अभी सुनिश्चित तौर पर कोई नहीं कह सकता। अपने भविष्य की चिन्ता करते हुए विधानसभा अध्यक्ष और भाजपा के चार बार के विधायक गिरीश गौतम ने सरकार को एक प्रस्ताव भेजा है कि सेवानिवृत्ति के बाद पूर्व स्पीकर को पूर्व मुख्यमंत्री जैसे वेतन-भत्ते और सुविधाएं तथा केबिनेट मंत्री का दर्जा मिलना चाहिए। यदि वह विधायक बन जाते हैं लेकिन अध्यक्ष नहीं बन पाते हैं तो भी वे इन सुविधाओं के हकदार हो जायेंगे बशर्ते कि शिवराज उनके इस प्रस्ताव को चुनाव पूर्व हरी झंडी दे दें।
यदि इस प्रस्ताव को हरी झंडी नहीं मिलती है तो फिर उन्हें पूर्व विधायक के बराबर ही वेतन और सुविधाएं मिलेंगी। इस पर निर्णय तो शिवराज को लेना है लेकिन माना जाता है कि राज्य के संसदीय इतिहास में संभवतः पहली बार किसी स्पीकर ने सेवानिवृत्ति को लेकर ऐसा प्रस्ताव दिया है। उनका कहना है कि सामान्य प्रशासन विभाग को प्रस्ताव भेजा गया है, दूसरे कई राज्यों में पूर्व विधानसभा अध्यक्ष को केबिनेट मंत्री का दर्जा मिला हुआ है जबकि मध्यप्रदेश में ऐसा नहीं है, इसलिए प्रस्ताव भेजा गया है। यदि प्रस्ताव को हरी झंडी मिल जाती है तो दो और पूर्व विधानसभा अध्यक्षों डॉ. सीतासरन शर्मा और एन पी प्रजापति को यह सुविधाएं मिल जायेंगी। सीतासरन शर्मा 2013 से 2018 तक भाजपा सरकार के कार्यकाल में और प्रजापति मार्च 2019 से मार्च 2020 तक कांग्रेस के नेतृत्व वाली कमलनाथ सरकार में विधानसभा अध्यक्ष रह चुके हैं।
वैसे मध्यप्रदेश में पूर्व मुख्यमंत्रियों को केबिनेट मंत्री का दर्जा देने की सुविधा रही है और वर्तमान में यह सुविधा दिग्विजय सिंह, उमा भारती और कमलनाथ को प्राप्त है। पूर्व विधायकों के लगातार दूसरे साल हुए सम्मेलन में 300 से ज्यादा नेता पहुंचे थे और इन्होंने अपनी यह मांग फिर दोहराई कि पूर्व सांसदों व विधायकों को प्रोटोकाल सूची में शामिल किया जाए और इसके साथ ही उन्हें दिल्ली के एमपी भवन में साल में 30 दिन तक रुकने की व्यवस्था हो। अभी फिलहाल 13 दिन तक ही रुक सकते हैं। विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम ने उन्हें भरोसा दिलाया कि इस पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से चर्चा की जाएगी। इस कार्यक्रम में पूर्व मंत्री और पूर्व विधायक डॉ. गौरीशंकर शेजवार ने अपने चिरपरिचित अंदाज में पूर्व विधायकों की उपेक्षा पर तंज कसा कि ‘‘शिव के नंदी का भी सम्मान, लेकिन हमारा हाल बदहाल है।‘‘ सम्मेलन में उपस्थित पूर्व विधायकों और सांसदों में कैलाश विजयवर्गीय, रघुनंदन शर्मा, कैलाश चावला, माया सिंह, नारायण केसरी आदि शामिल हुए।
इस अवसर पर कई पूर्व वरिष्ठ विधायकों का सम्मान किया गया। एक पूर्व विधायक तो यहां तक तंज कसने में नहीं चूके कि चीता बसाने में फिजूलखर्ची नहीं होती, हमें सुविधाएं देने में हल्ला होने लगता है। विधानसभा अध्यक्ष गौतम ने विधायकों को भरोसा दिलाया कि पूर्व विधायकों के लिए पेंशन राशि 60 हजार रुपये किए जाने के लिए वह प्रयत्नशील हैं। इस सम्मेलन में जो प्रमुख मांगे की गयीं उसमें पक्ष-विपक्ष के पूर्व विधायकों को योजनाओं की मानीटरिंग का जिम्मा सौंपने और जिला योजना समिति में आमंत्रित सदस्य बनाने की मांग भी शामिल है जिससे कि उन्हें सम्मान मिल सके। गौतम ने भरोसा दिलाते हुए कहा कि पूर्व सांसद और पूर्व विधायकों को सत्र न्यायाधीश के समान प्रोटोकाल दिलाने का प्रयास किया जायेगा और आपको सम्मान दिलाने में मैं अपनी पूरी ताकत लगाता रहूंगा। विधायक विश्राम गृह में 25 कमरे आरक्षित रहेंगे जिनमें 6 दिन तक निशुल्क रह सकेंगे और एक साथी के साथ स्वल्पाहार निशुल्क दिया जायेगा। उनका कहना था कि विधानसभा स्थित रेलवे आरक्षण काउंटर राष्ट्रीय छुट्टी के दिन भी दो घंटे खुला रहेगा। वे प्रयासरत हैं कि प्रथम वातानुकूलित दर्जे में यात्रा की पात्रता हो। देखने वाली बात यही होगी कि अब यह आश्वासन कितने पूरे होते हैं और जो अध्यक्ष के दायरे के बाहर सुविधाएं हैं उन्हें कितनी जल्दी लागू कराने के लिए शिवराज हरी झंडी दिखाते हैं।
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