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जनवरी की पहली तारीख आपको सपने दिखाती है और दिसंबर की अंतिम तिथि दर्पण

Updated on 31-12-2022 08:45 PM
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हर नए साल का स्वागत हम नये  सपने सजाकर करते है और गुजरते दिनों, सप्ताहों और महीनों के दौरान सामने आ रही अनजानी मुश्किलों के चलते हम उन सपनों को टूटते हुए भी देखते है, लेकिन फिर भी आज 2023 के पहले दिन हम मजबूत इरादों  और आत्मविश्वास से भरे हुए हैं। डॉ एपीजे अब्दुल कलाम ने कहा था "सपने वह नहीं हैं जो आप नींद में देखते हैं, बल्कि वह हैं जो आपको सोने नहीं देते"। हमें अपने जीवन में लगन, जूनून, ईमानदारी और परिश्रम के महत्व को समझना चाहिए और अपने सपनों को पूरा करने के लिए बेहतर शुरुआत करनी चाहिए ताकि हम अपनी आने वाली पीढ़ी को भी एक बेहतर भविष्य प्रदान कर सकें। 
"आधी रात को, जब दुनिया सोती है, भारत जीवन और स्वतंत्रता के लिए जागेगा" स्वतंत्र भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू का यह अमर कथन उस सपने का प्रतीक था जिसे हमारे स्वतंत्रता सेनानियों ने पूरा किया था। यह सच है कि बीते कुछ वर्ष पूरी दुनिया के लिए किसी बुरे सपने से कम नहीं रहे है। लेकिन जो समय गुजर गया वो गुजर गया। अब हमें उसकी परवाह और उसके बारे में चिंता करना छोड़ आगे बढ़ने का प्रयास करना चाहिए। बीते समय की याद हमें या तो दुख देती है या फिर पछतावे का अनुभव कराती है। आज नव वर्ष आगमन की इस बेला में आप स्वयम से वादा कीजिये कि आप बीते हुए मुश्किल वक्त की बुरी यादों को भूलाकर खुद के भविष्य और आने वाले समय के बारे में सशक्त निर्णय लेंगे। 
नववर्ष की पूर्व संध्या पर आधी रात तक शराब की बोतले खाली कर, बार, क्लब, पब, रेस्तारेंट आदि में कानाफाडू शोर के बीच डिस्को डांस करके आधुनिकता की अंधी दौड़ में शामिल लोगों से एक सवाल पुछने का मन करता है कि अगर यह सब ना किया जाय तो क्या साल बदलेगा नही। यूं तो यह सवाल निरर्थक ही है क्योंकि खुशियों की परिभाषा सबकी अलग-अलग है, उत्सव मनाने के सबके अपने अपने तरीके हैं। लेकिन फिर भी इस बात को अपने ध्यान में रखना है कि बीतते वर्ष के साथ हमारे कदम सफलता और मानवता की सीढियों में ऊपर की ओर चढ़ने चाहिए ना कि नैतिक मूल्यों में गिरावट की ओर। खुशीया जहां भी मिले जैसे भी मिले उन्हे अपने दामन में समेट लेना चाहिए लेकिन खुशी पाने की मृगतृष्णा में हमारे कदम बहकने नही चाहिए।  
आज समय की मांग है कि धर्म या राजनीती के नाम पर कही गई बातों पर आंख मूंदकर विश्वास करने की बजाय हमें अपने विवेक का इस्तेमाल कर समाज उत्थान के लिए जागरूकता फैलानी चाहिए। कोई भी कार्य करते समय हमारा भाव अपने देश के प्रत्येक नागरिक के लिए समान परिणाम प्राप्त करने का होना चाहिए। सबको भोजन, शिक्षा, स्वास्थ्य आदि जैसी बुनियादी आवश्यकताओं की प्राप्ति हो इस दिशा में काम करना चाहिए। 
गरीबी, अस्वस्थता, बेरोजगारी, भेदभाव, दुर्व्यवहार, खराब शिक्षा आदि के कारण पीड़ित और वंचितों की संख्या कैसे कम हो इस बात पर विचार होना चाहिए। हमें भारत के एक देशभक्त नागरिक के रूप में सरकार द्वारा बनाई गई नीतियों को ईमानदारी से लागू करने में अपना सक्रिय योगदान देना चाहिए।
यही सही और कारगर तरीका है नए साल के स्वागत का, अपने लक्ष्यों के निर्धारण का, अपने सपनों को सँजोने का, अपने निजी हितों के साथ देश हित के बारे में सोचने का और एक सशक्त भारत के निर्माण का। 
आपकी खुशियों और वैश्विक शांति से भरपूर नव वर्ष 2023 के लिए मंगलकामनायें। 

- राजकुमार जैन, लेखक,स्वतंत्र विचारक

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