महंगाई निरंतर बढ़ रही है सभी चीजों की कीमतें लगातार बढ़ रही हैं और इनकम लगातार वैसी की वैसी है या कम हो रही है। होना यह चाहिए कि महंगाई और आय दोनों को एक साथ बढ़े या घटे इनके बीच एक संतुलन होना चाहिए लेकिन आज का यह दौर बिल्कुल असंतुलित होता जा रहा है आय और व्यय दोनों मैं बड़ा फर्क होता जा रहा है जिसका जनता पर बहुत बडा असर हुआ कई लोग कर्ज में है, कई लोगों की जमा पूंजी खत्म हो गई। आज का इस दौर मनी मेकस् मनी जिसके पास बहुत पैसा है वह खूब पैसा कमा रहा है। मिडिल और लोअर क्लास एवं एवरेज क्लास जीवन की दौड़ में पीसा रहे हैं। कई लोगों का जीवन इस कदर बदल गई कि उन्हें जीने के लिए बहुत सारे समझौते करना पड़ रहे हैं बड़ी जद्दोजहद करना पड़ रही है। युवा पीढ़ी जो मन मार सके वह ठीक परन्तु जो मन नहीं मार सके वह अपराध ओर नशाखोरी की ओर बढ़ गए हैं। सरकार ने यह तय करना चाहिए कि क्या हमें भौतिक विकास ही चाहिए या आम जनता सरलता से जीवन जी सके ऐसा कार्य करना चाहिए। एक तरफ सरकार मुफ्त में जमीन बांटती है दूसरी तरफ शहर में विकास के नाम पर बरसों से जिनकी कई पुश्ते जीवन निकल चुकी वह मकान आप तोड़कर छोटे कर रहे हो। विकास करना था तो नई बसाहट में करना था पुराने शहरों को उनकी गलियों को उसी जीवन शैली के लिए रहने देना था। आखिर वहां रहने वालों के भी कुछ इमोशन होंगे कुछ यादें होगी। अशोक मेहता, इंदौर (लेखक, पत्रकार, वास्तविद्) ये लेखक के अपने विचार है I
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वर्तमान समय में टूटते बिखरते समाज को पुनः संगठित करने के लिये जरूरत है उर्मिला जैसी आत्मबल और चारित्रिक गुणों से भरपूर महिलाओं की जो समाज को एकजुट रख राष्ट्र…