अलग से नहीं दिया जा सकता प्यार-मोहब्बत के नुकसान का खर्च
Updated on
01-07-2020 09:01 PM
-सड़क दुर्घटना में पति की मौत के मुआवजे की मांग पर सुप्रीमकोर्ट का फैसला
नई दिल्ली। एक विशेष फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि दाम्पत्य सुख की क्षति के मुआवजे में ही प्रेम और वात्सल्य की क्षति भी कवर होगी, इसके लिए अलग से मद बनाकर मुआवजा तय नहीं किया जा सकता। यह कहते हुए अदालत ने हाईकोर्ट के आदेश को निरस्त कर दिया। कोर्ट ने यह फैसला बीमा कंपनी और पीड़ित पक्ष दोनों की अपील पर दिया। पीड़िता के पति की 1998 में सड़क दुर्घटना में मृत्यु हो गई थी। पीड़िता का पति कतर में काम करता था और छुट्टी पर पंजाब के राजपुरा में आया हुआ था। मोटर दावा न्यायाधिकरण ने 50 लाख का मुआवजा देने का आदेश दिया लेकिन पत्नी ने हाईकोर्ट में अपील की। हाईकोर्ट ने मुआवजे को बढ़ा दिया जिसके खिलाफ बीमा कंपनी सुप्रीम कोर्ट आई थी।
कोर्ट ने कहा कि मुआवजा देने की एक समान प्रणाली होनी चाहिए। यह पहले ही तय किया जा चुका है कि सड़क दुर्घटना में मृत्यु के मामले में तीन मदों में मुआवजा तय होगा। ये मदें हैं, संपत्ति का नुकसान, साथी (दाम्पत्य सुख, माता-पिता का सुख और भाई बहन के साथ का सुख) के अभाव का नुकसान तथा अंतिम संस्कार का खर्च। प्यार-मोहब्बत के नुकसान का खर्च उक्त साथी में सम्मिलित है, उसे अलग से मद नहीं बनाया जा सकता। हाईकोर्ट और मोटर ट्रिब्यूनल दाम्पत्य सुख और अन्य सुख के खो जाने की क्षति का मुआवजा दिलवा सकते हैं, लेकिन इसके साथ प्रेम की क्षति का मुआवजा अलग से नहीं दिया जा सकता।
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