उपभोक्ता के अधिवक्ता मोना पालीवाल ने बताया कि शिकायत थी कि खजूरी स्थित एक भूखंड पर भवन बनाकर 20 लाख रुपये में बिल्डर को देना था। 30 सितंबर 2019 को अनुबंध हुआ था और 10 माह में भवन का निर्माण कार्य पूरा करके उपभोक्ता को सौंपना था। उपभोक्ता ने पूरी राशि का भुगतान भी कर दिया।
बिल्डर ने तय समय सीमा में मकान का निर्माण कार्य कर नहीं दिया। भवन में विद्युत कार्य भी नहीं किया गया और कई अधूरे कार्य छोड़कर उपभोक्ता को मकान सौंप दिया। उपभोक्ता परेशान होकर खुद ही निर्माण कार्य को पूरा कराया। जिससे वह मानसिक रूप से परेशान हुआ। आयोग ने निर्णय सुनाते हुए कहा कि बिल्डर ने समय सीमा में अनुबंध की पूर्ति न कर सेवा में कमी की है। इस कारण हर्जाना देना होगा।