सांसे थमती गई, दम निकलता गया, हरिजन होने का, दंड भुगतता गया
Updated on
18-08-2022 11:41 PM
सांसे थमती गई, दम निकलता गया, हरिजन होने का, दंड भुगतता गया ।। हरिजन शब्द का प्रयोग महात्मा गांधी के द्वारा किया गया था, हरिजन शब्द की परिभाषा कुछ इस प्रकार है, हरि का अर्थ है "ईश्वर या भगवान" और जन का अर्थ है "लोग" महात्मा गाँधी ने "हरिजन" शब्द का प्रयोग हिन्दू समाज के उन समुदायों के लिये करना शुरु किया था जो सामाजिक रूप से बहिष्कृत माने जाते थे। इनके साथ ऊँची जाति के लोग छुआछूत का व्यवहार करते थे,अर्थात उन्हें अछूत समझा जाता था। हरिजन यानी ईश्वर या भगवान के जन, पर अफ़सोस,यह हरि के जन है,इन भगवान के जनों को ऊंची जाति के लोग अभी भी तिरस्कार की नज़रों से देखते हैं,इस दौर में भी हरिजन ऊंची जाति वालों के घरों के सामने से चप्पल पहन कर नहीं निकल सकता,उनके कुएं,हैंडपंप से पानी नहीं भर सकता,भगवान के घर में यानी मंदिरों में इनका प्रवेश निषेध अभी भी है, शहरों की स्थिति में कुछ सुधार नज़र आता है, पर गांवो में यह प्रथा बदस्तूर जारी है,यह हरि के जन मंदिरों के बाहर खड़े होकर अपने हरि का दर्शन करते हैं,अगर गलती से यह हरि के जन अपने हरि के घर के अंदर प्रवेश कर ले तो ऊंची जाति के लोग इनकी पिटाई भी करते हैं और मंदिर को धोकर शुद्धीकरण भी करते हैं,इंसान तो बहुत स्वार्थी होता है,जब इनके शौचालय की सफाई की बात आती है या शौचालय का गटर चौक हो जाता है तो फिर याद आते है यह हरि के जन । बहुत सारी घटनाएं आए दिन सुनने में आती हैं,हाल ही में राजस्थान के जालोर शहर में एक दलित मासूम बच्चे के साथ जो घटना घटी उस घटना ने इंसानियत का गला घोट दिया, वहीं दूसरी घटना तीन वर्ष पूर्व मध्य प्रदेश जिले के सिरसौद थाना क्षेत्र के भावखेड़ी गांव की है इस गांव में भी जाति के नाम पर नंगा नाच देखने को मिला था । कौन कब पैदा होगा,किस घर में पैदा होगा,किस जाति में पैदा होगा,किस धर्म में पैदा होगा,यह सब इंसानों के हाथ में नहीं है, ईश्वर या भगवान जिसको जहां चाहे उनको वहां पैदा करता हैं, बच्चा राजा के घर पैदा हो या रंक के घर,ऊंची जाति में पैदा हो या दलित के घर,हिंदू के घर पैदा हो या मुसलमान के घर,यह सब ऊपर वाले के हाथ में है,किसको कब कहां पैदा करना है किसको दौलत देनी है, किसको फकीरी में जीवन बिताना है, ऊपर वाले के फैसले में हम कौन होते हैं,ऊंच नीच करने वाले,कल को तुम भी किसी दलित परिवार में पैदा होते तो क्या होता । राजस्थान की घटना ने इंसानियत को शर्मसार किया है,सरस्वती विद्या मंदिर के दलित छात्र जो कक्षा तीसरी में पढ़ता था,उस दलित बच्चे का केवल इतना कुसूर था,उसने पानी के मटके को छू लिया था,उसको प्यास लग रही थी,प्यास के कारण उसका गला सूख रहा था,पानी पीने के लिए जैसे ही उसने मटके को छुआ स्कूल के संचालक जो ऊंची जाति से ताल्लुक रखता हैं, उसने इस दलित बच्चे की डंडे और जूते लातों से पिटाई शुरू कर दी,पूरे स्कूल के बच्चों के सामने उस दलित मासूम बच्चे को पीटते हुए जातिसूचक शब्दों से अपमानित करता रहा,उस मासूम बच्चे कि केवल इतनी गलती थी की उसने ऊंची जाति वालों के मटके में हाथ लगा दिया था,अब आप ही सोचे जब शिक्षा के मंदिर में ऐसी घटनाएं घटेगीं तो हमारे देश की आने वाले नसलों पर क्या असर पड़ेगा, वह मासूम तड़पता रहा,पिटता रहा,और अस्पताल में कुछ दिनों के बाद उसकी मौत हो गई,अस्पताल के बिस्तर पर लेटे लेटे कभी अपनी मां को देख रहा था तो कभी छत को घूर रहा था कोशिश कर रहा था शायद उसको भगवान दिख जाए और उनसे पूछे मुझे दलित के घर में क्यों पैदा किया। वही दूसरी घटना तीन वर्ष पूर्व मध्य प्रदेश के सिरसौद थाना क्षेत्र के भाव खेड़ी गांव की है, दो मासूम दलित बच्चों का जुर्म केवल इतना था वह खुले में शौच कर रहे थे,यह दोनों बच्चे वाल्मीकि समाज से ताल्लुक रखते थे जिनकी उम्र 12 साल और 10 साल की थी, इनके परिवार को सरकार के द्वारा दी जा रही शौचालय बनाने की राशि प्रदान नहीं की गई थी उनके घर में शौचालय नहीं बना था, इसीलिए वह घर के बाहर ,सड़क के किनारे शौच कर रहे थे,इस गांव के दबंगों को इतना गुस्सा आया की इन्होंने दोनों बच्चों को पीट-पीटकर मौत के हवाले कर दिया,अब आप ही बताएं एक तरफ हमारा देश विश्व गुरु बनने के लिए आतुर है,अग्रसर है, पर जिस देश में जाति के नाम पर, धर्म के नाम पर हत्याएं,दंगे होते रहेंगे तो विश्व गुरु बनने का सपना खंडित हो जाएगा। एक आह भरी उसने हौले से, कर ली अपनी आँखे बंद। खो गया अतीत की दुनिया में ।।
मोहम्मद जावेद खान ,लेखक, संपादक (ये लेखक के अपने विचार है )
महाराष्ट्र में भाजपानीत महायुति और कांग्रेसनीत महाविकास आघाडी के लिए इस बार का विधानसभा चुनाव जीतना राजनीतिक जीवन मरण का प्रश्न बन गया है। भाजपा ने शुरू में यूपी के…
लोकसभा विधानसभा चुनाव के परिणाम घोषित हो चुके हैं।अमरवाड़ा उपचुनाव में भाजपा प्रत्याशी कमलेश शाह को विजयश्री का आशीर्वाद जनता ने दिया है। लोकसभा चुनाव में भाजपा ने 29 की 29 …
छत्तीसगढ़ के नीति निर्धारकों को दो कारकों पर विशेष ध्यान रखना पड़ता है एक तो यहां की आदिवासी बहुल आबादी और दूसरी यहां की कृषि प्रधान अर्थव्यस्था। राज्य की नीतियां…
भाजपा के राष्ट्रव्यापी संगठन पर्व सदस्यता अभियान में सदस्य संख्या दस करोड़ से अधिक हो गई है।पूर्व की 18 करोड़ की सदस्य संख्या में दस करोड़ नए सदस्य जोड़ने का…
छत्तीसगढ़ राज्य ने सरकार की योजनाओं और कार्यों को पारदर्शी और कुशल बनाने के लिए डिजिटल तकनीक को अपना प्रमुख साधन बनाया है। जनता की सुविधाओं को ध्यान में रखते…
वर्तमान समय में टूटते बिखरते समाज को पुनः संगठित करने के लिये जरूरत है उर्मिला जैसी आत्मबल और चारित्रिक गुणों से भरपूर महिलाओं की जो समाज को एकजुट रख राष्ट्र…