Select Date:

बद्रीनाथ धाम का ब्रह्मकपाल तीर्थ गया से आठ गुना फलदायी है

Updated on 11-11-2020 09:27 AM
ब्रह्मकपाल तीर्थ का महत्त्व
पिंड दान के लिए भारतवर्ष क्या दुनियाँ भर से हिंदू  प्रसिद्ध गया पहुँचते हैं, लेकिन *एक तीर्थ ऐसा भी है जहाँ पर किया पिंडदान गया से भी आठ गुणा फलदायी है।चारो धामों में प्रमुख उत्तराखंड के बदरीनाथ के पास स्थित ब्रह्माकपाल के बारे में मान्यता है कि यहाँ पर पिंडदान करने से पितरों की आत्मा को नरकलोक से मुक्ति मिल जाती है। स्कंद पुराण में ब्रह्मकपाल को गया से आठ गुणा अधिक फलदायी पितरकारक तीर्थ कहा गया है।सृष्टि की उत्पत्ति के समय जब तीन देवों में ब्रह्मा जी, अपने द्वारा उत्तपत्तित कन्या के रुप पर मोहित हो गए थे, उस समय भोलेनाथ ने गुस्से में आकर ब्रह्मा के सिरों में से एक को त्रिशूल के काट दिया था। 
इस प्रकार शिव पर ब्रह्म हत्या का पाप लग गया था और वह कटा हुआ सिर शिवजी के हाथ पर चिपक गया था। ब्रह्मा की हत्या के पाप से मुक्ति पाने के लिए जब भोलेनाथ पूरी पृथ्वी लोक के भ्रमण पर गए परन्तु कहीं भी ब्रह्म हत्या से मुक्ति नही मिली।भृमण करते करते शिवजी बदरीनाथ पहुँचे वहाँ पर ब्रह्मकपाल शिला पर शिवजी के हाथ से ब्रह्माजी का सिर जमीन पर गिर गया और शिवजी को ब्रह्म हत्या से मुक्ति मिली। तभी से यह स्थान ब्रह्मकपाल के रुप में प्रसिद्ध हुआ। ब्रह्मकपाल शिला के नीचे ही ब्रह्मकुण्ड है जहाँ पर ब्रह्मा जी ने तपस्या की थी।शिवजी ने ब्रह्महत्या से मुक्त होने पर इस स्थान को वरदान दिया कि यहाँ पर जो भी व्यक्ति श्राद्ध करेगा उसे प्रेत योनी में नहीं जाना पड़ेगा एवं उनके कई पीढ़ियों के पितरों को मुक्ति मिल जाएगी। पुराणों में बताया गया है कि उत्तराखंड की धरती पर भगवान बद्रीनाथ के चरणों में बसा है ब्रह्म कपाल। अलकनंदा नदी ब्रह्मकपाल को पवित्र करती हुई यहाँ से प्रवाहित होती है। इस स्थान के विषय में मान्यता है कि इस स्थान पर जिस व्यक्ति का श्राद्ध कर्म होता है उसे प्रेत योनी से तत्काल मुक्ति मिल जाती है और भगवान विष्णु के परमधाम में उसे स्थान प्राप्त हो जाता है। जिस व्यक्ति की अकाल मृत्यु होती है उसकी आत्मा व्याकुल होकर भटकती रहती है। ब्रह्म कपाल में अकाल मृत्यु प्राप्त व्यक्ति का श्राद्ध करने से आत्मा को तत्काल शांति और प्रेत योनी से मुक्ति मिल जाती है।भगवान श्रीकृष्ण ने महाभारत युद्ध के समाप्त होने के बाद पाण्डवों को ब्रह्मकपाल में जाकर पितरों का श्राद्ध करने का निर्देश दिया था। इसलिये भगवान श्रीकृष्ण कीआज्ञा मानकर पाण्डव बद्रीनाथ की शरण में गए और ब्रह्मकपाल तीर्थ में पितरों एवं युद्ध में मारे गए सभी लोगों के लिए श्राद्ध किया। पुराणों में बताया गया है कि उत्तराखंड की भूमि पर बद्रीनाथ धाम में बसा है ब्रह्मकपाल तीर्थ, जिसको अलकनंदा नदी पवित्र करती हुई प्रवाहित होती है। इस स्थान के विषय में मान्यता है कि इस स्थान पर जिस व्यक्ति का श्राद्ध कर्म होता है उसे प्रेत योनि से तत्काल मुक्ति मिल जाती है और वह भगवान विष्णु के परमधाम में स्थान प्राप्त करता है। जिस व्यक्ति की अकाल मृत्यु होती है और उसकी आत्मा व्याकुल होकर भटकती रहती है उस व्यक्ति का श्राद्ध ब्रह्मकपाल तीर्थ पर करने से उस की आत्मा को तत्काल शान्ति मिलती है और प्रेत योनि से मुक्ति मिल जाती है।

अन्य महत्वपुर्ण खबरें

 11 November 2024
वारः सोमवारविक्रम संवतः 2081शक संवतः 1946माह/पक्ष: कार्तिक मास – शुक्ल पक्षतिथि: दशमी शाम 6 बजकर 46 मिनट तक तत्पश्चात एकादशी रहेगी.चंद्र राशि : कुंभ राशि रहेगी .चंद्र नक्षत्र : शतभिषा सुबह 9 बजकर 39 मिनट तक तत्पश्चात…
 10 November 2024
वारः रविवार, विक्रम संवतः 2081,शक संवतः 1946, माह/पक्ष : कार्तिक मास – शुक्ल पक्ष, तिथि : नवमी तिथि रात 9 बजकर 01 मिनट तक तत्पश्चात दशमी तिथि रहेगी. चंद्र राशि…
 09 November 2024
वारः शनिवारविक्रम संवतः 2081शक संवतः 1946माह/पक्ष: कार्तिक मास – शुक्ल पक्षतिथि : अष्टमी तिथि रात्रि 10:45 मिनिट तक तत्पश्चात नवमी रहेगी.चंद्र राशि : मकर राशि रात्रि 11:23 मिनिट तक तत्पश्चात वृश्चिक राशि रहेगी.चंद्र नक्षत्रः विशाखा नक्षत्र रहेगा.योग…
 08 November 2024
वारः शुक्रवार, विक्रम संवतः 2081,शक संवतः 1946,माह/पक्ष: कार्तिक मास – शुक्ल पक्ष,तिथि: सप्तमी रात 11 बजकर 56 मिनिट तक तत्पश्चात अष्टमी रहेगी. चंद्र राशिः मकर राशि रहेगी.चंद्र नक्षत्र : उत्तराषाढ़ा…
 07 November 2024
वारः गुरुवारविक्रम संवतः 2081वारः गुरुवारविक्रम संवतः 2081शक संवतः 1946माह/पक्ष: कार्तिक मास – शुक्ल पक्ष.तिथि : षष्ठी तिथि रात्रि 12:34 मिनिट तक तत्पश्चात सप्तमी तिथि रहेगी.चंद्र राशि: धनु राशि सायं 5:50 मिनिट तक तत्पश्चात मकर राशि रहेगी.चंद्र नक्षत्रः पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र…
 06 November 2024
वारः बुधवारविक्रम संवतः 2081शक संवतः 1946माह/पक्ष: कार्तिक मास – शुक्ल पक्षतिथि : पंचमी रहेगी .चंद्र राशिः धनु राशि रहेगी .चंद्र नक्षत्रः मूल नक्षत्र सुबह 10 बजकर 59 मिनट तक तत्पश्चात पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र रहेगा.योगः सुकर्मा योग सुबह 10 बजकर…
 05 November 2024
🌤️ *दिन - मंगलवार*🌤️ *विक्रम संवत - 2081*🌤️ *शक संवत -1946*🌤️ *अयन - दक्षिणायन*🌤️ *ऋतु - हेमंत ॠतु* 🌤️ *मास - कार्तिक*🌤️ *पक्ष - शुक्ल* 🌤️ *तिथि - चतुर्थी रात्रि 12:16 तक…
 04 November 2024
वारः सोमवारविक्रम संवतः 2081शक संवतः 1946माह/पक्ष: कार्तिक मास – शुक्ल पक्षतिथि: तृतीया रात्रि 11:24 मिनट तक तत्पश्चात चतुर्थी रहेगी.चंद्र राशि :वृश्चिक राशि रहेगी.चंद्र नक्षत्र :अनुराधा प्रातः 8:03 मिनट तक तत्पश्चात ज्येष्ठा नक्षत्र रहेगा.योग : शोभन योग…
 03 November 2024
वारः रविवारविक्रम संवतः 2081शक संवतः 1946माह/पक्ष : कार्तिक मास – शुक्ल पक्षतिथि : द्वितीया तिथि रात 10 बजकर 05 मिनट तक तत्पश्चात तृतीया रहेगी .चंद्र राशि : वृश्चिक राशि रहेगी .चंद्र नक्षत्र : अनुराधा नक्षत्र रहेगा.योग : सौभाग्य…
Advertisement