दुनिया में कुछ भी स्थाई नहीं, अत: कोई भी गर्व न करें...
Updated on
01-05-2022 12:42 PM
पृथ्वी पर परिवर्तन, प्रकृति का नियम है यहां कुछ भी स्थाई नहीं है। हर चीज गतिशील होकर समय सीमा से बंधी हुई है। पृथ्वी स्वयं घूमती है और निरंतर चलती रहती है। समयानुकूल परिवर्तन बरसों बरस से लगातार हो रहे हैं। हम देखते हैं बड़े-बड़े पहाड़ों पर पानी की लहरों से कटे हुए निशान आज यहा सूखा हैं परंतु किसी जमाने में ये समुद्र का हिस्सा थे। वैज्ञानिक बताते हैं पृथ्वी पर दो तिहाई पानी और एक तिहाई पानी की सतह से ऊपर भूमि है। चूंकी पृथ्वी अपनी धुरी पर घूमती है अत: वह चुंबकीय क्षेत्र बनाती है और गुरुत्वाकर्षण बल भी क्रियाशील होता है जिससे पृथ्वी के ऊपरी आवरण से गिरी वस्तु नीचे खींची चली आती है। बरसात में पहाड़ से पत्थर टूट कर नदी के तेज बहाव में बहते हुए रेती में परिवर्तित हो जाता हैं। पृथ्वी का ऊपरी आवरण भी परिवर्तनशील है बादल इकट्ठे होंगे तो पानी बरसेगा, टकराएगे तो बिजली चमकेगी। कभी हवा तेज रफ्तार से घुमेगी तो बवंडर बन जाएगी, पृथ्वी की सतह भी सुरक्षित नहीं है कभी आग लग जाएगी, कभी कम पानी बरसने से अकाल की स्थिति निर्मित होगी या अधिक बरसने से बाढ़ आयेगी जिससे बहुत कुछ बर्बादी होगी। पृथ्वी के अंदर भी परिवर्तन होने से भूकंप और ज्वालामुखी निर्मित होते हैं। पृथ्वी पर परिवर्तन होने से यहां कुछ भी स्थाई नहीं है अतः व्यक्ति यही शिक्षा ले की आप किसी भी बात का गर्व न करें।
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