असंख्य विद्यार्थियों का भविष्य बनाने वाले शिक्षक उनमें से कई शिक्षक ऐसे हैं जिन्हे स्वयं के भविष्य की कोई गारंटी नहीं है। एक सभ्य समाज में शिक्षक की तुलना एक महत्वपूर्ण व्यक्तित्व के रूप में होना चाहिए, लेकिन आज के दौर में कई जगह शिक्षक एक सजावट की चीज हो गए कोई मौका आया शिक्षक को याद कर लिया पैर पढ़ लीये बस कहानी खत्म। कई भाग्यशाली शिक्षक जिन्हे परिवार का सपोर्ट है वह अपनी वृद्ध अवस्था अच्छी तरह निकालते हैं पर आज भी कई शिक्षक ऐसे हैं जो जीवन के अंतिम समय तक कठीनाई के दौर में है। सरकारी नौकरी वाले शिक्षक पेंशन पा लेते हैं परंतु प्राइवेट स्कूलों में जो नर्सरी, प्राइमरी, मिडिल एवं हाई सेकेंडरी स्कूलों में उनकी क्या स्थिति कई जगह तनख्वाह कम पर साइन ज्यादा तनख्वाह पर। कई बार उन्हें बहुत तनाव में रहना पड़ता है, मजबूरी है, पेट पालना है। सरकारी शिक्षक को सरकार चाहे जो काम सोप देती है चुनाव, जनगणना या ऐसे कई। शिक्षक की समाज में एक महत्वपूर्ण भूमिका रखना चाहिए। सरकार जितनी समितियां बनाते हैं उनमें शिक्षकों को लेना चाहिए। शिक्षकों के ज्ञान का कोई उपयोग प्रशासन की सलाहकार समिति में होना चाहिए। राजनीतिज्ञ अपने आप में बड़ा शिक्षक होता है पर वह तिकडम ज्ञानधारक होता है। कष्ट झेलने के बावजूद भी जो शिक्षक अपना फर्ज निभा रहे हैं उन्हें नमन।
अशोक मेहता, इंदौर (लेखक, पत्रकार, पर्यावरणविद्) ये लेखक के अपने विचार है I
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