इंदौर जेल में तांडव... माफियाओं से वसूली में भिड़े जेल माफिया....
Updated on
31-07-2020 12:51 AM
भोपाल । जमीन घोटालों के मामले में इंदौर जेल में बंद चंपू उर्फ रितेश अजमेरा को 10 लाख की वसूली के लिए भ्रष्टाचार के आरोपों के चलते महू से इंदौर भेजे गए अधिकारी मनोज चौरसिया ने उलटा लटकाकर पीटा। बताया जाता है कि अधिकारी द्वारा पिछले पांच दिनों से लगातार चंपू से पैसों की मांग की जा रही थी। जब चंपू पैसा देने में असमर्थ रहा तो उसके पास मौजूद दवाइयों को शैम्पू और अन्य सामान बताकर पहले प्रताडि़त किया और फिर उसके बाद बुरी तरह उसकी पिटाई की।
जेल सूत्रों के अनुसार इंदौर जेल के बैरक नंबर 3/2 में चंपू अजमेरा के साथ कल चक्कर अधिकारी मनोज चौरसिया ने जमकर मारपीट की। चंपू के भाई धर्मेश अजमेरा ने जेल डीजीपी को लिखित शिकायत में बताया कि जेल के चक्कर अधिकारी मनोज चौरसिया द्वारा रितेश अजमेरा से अवैधानिक रूप से 10 लाख रुपए नकद या प्लॉट दिए जाने की लगातार मांग की जा रही थी और कहा जा रहा था् कि यदि जेल में खैरियत से रहना चाहते हो तो पैसा दिया जाए। इसी के चलते चौरसिया ने कल चंपू को बुरी तरह पीटा। बताया जा रहा है कि जेल में रसूखदार बंदियों से वसूली का सिलसिला लगातार जारी है। चंपू के साथ भी पैसों के लेन-देन को लेकर बातचीत हुई थी। जब सौदा नहीं पटा तो चक्कर अधिकारी माारपीट पर आमादा हो गए। चौरसिया ने आरोप लगाया कि चंपू पर नमकीन व शैम्पू आदि मिला था, जबकि जेल अधीक्षक ठाकुर का कहना है कि चंपू के पास दवाइयां मिली थीं, जो जेल प्रशासन की अनुमति से अंदर गई थीं। सवाल यह है कि 20 जुलाई को जेल में प्रवेश के समय चंपू को निर्वस्त्र कर तलाशी की गई तो उसके पास सामान कैसे पहुंच सकता है। बताया जाता है कि चौरसिया द्वारा वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों और राजनेताओं के नाम पर लगातार वसूली की जाती रही है और पैसे न देने वाले कैदियों की जमकर पिटाई की जाती है।
भ्रष्ट अधिकारी को छुट्टी पर भेजा
जिला जेल में भूमाफिया रितेश उर्फ चंपू अजमेरा से 10 लाख रुपए मांगने और रिश्वत न मिलने पर उसके साथ मारपीट करने वाले जेल के चक्कर अधिकारी मनोज चौरसिया को जबरन छुट्टी भेज दिया गया है। इस घटना की जांच के आदेश भी दिए गए हैं। चंपू के छोटे भाई ने पत्र लिखकर जेल मंत्री और जेल डीजीपी से शिकायत की है। यह मामला शाम होते-होते भोपाल पहुंच गया। चंपू के भाई धर्मेश अजमेरा ने जेल मंत्री और जेल डीजीपी को आवेदन देकर आरोप लगाया कि मनोज चौरसिया पहले दिन से 10 लाख रुपए अथवा एक प्लॉट देने की मांग कर रहा था। उसने जेल में चंपू की जान को खतरा बताते हुए सुरक्षा देने की गुहार लगाई। देर रात जेल डीजीपी संजय चौधरी ने सख्त ऐक्शन लेते हुए मनोज चौरसिया को प्राथमिक रूप से दोषी मानते हुए फोर्स लीव (जबरन अवकाश) पर भेजते हुए इस घटना की जांच के आदेश दिए हैं। मनोज चौरसिया पहले भी विवादों में रह चुके हैं। महू जेल में रहने के दौरान भी उन पर गंभीर आरोप लगे थे।
पूर्व में भी चौरसिया पर लग चुके हैं कई आरोप
चक्कर अधिकारी मनोज चौरसिया के बारे में बताया जा रहा है कि उपजेल महू में भी कई कैदियों के साथ मारपीट की थी। तत्कालीन जेल मंत्री कुसुम मेहंदले ने भी चौरसिया की कार्यप्रणाली को लेकर सवाल उठाए थे और इस पर तत्काल कार्रवाई करने की मांग की थी। यही नहीं, सेंट्रल जेल में कुछ वर्षों पूर्व कुख्यात बदमाश अर्जुन त्यागी की हत्या हुई थी, इस दौरान भी जेलर चौरसिया की भूमिका पर सवालिया निशान उठे थे। हर बार मुख्यालय से जांच के आदेश होते हैं और अधिकारी लीपापोती कर चले जाते हैं। बताया जा रहा है कि जेलर कुलश्रेष्ठ पिछले सात सालों से यहीं जमे हुए हैं, जबकि नियम के अनुसार तीन साल से अधिक किसी भी अधिकारी को नहीं रखा जाता है। 2012 से जेलर कुलश्रेष्ठ सेंट्रल और जिला जेल में बने हुए हैं। एक वर्ष पूर्व इन्हें मुरैना स्थानांतरित किया गया था, लेकिन जुगाड़ जमाकर वापस इंदौर आ गए। हनीट्रैप कांड की मास्टर माइंड श्वेता जैन और बरखा सोनी द्वारा हाल ही में जेल में कुछ महिलाओं के साथ मारपीट किए जाने की बात को भी जेलर कुलश्रेष्ठ ने दबा दिया था। जेल में सिख समाज के दो युवकों के बाल काटने और बंदियों के साथ मारपीट किए जाने के मामले भी सामने आने के बावजूद हर बार जेल अधिकारी भोपाल से आते हैं और जांच के नाम पर चले जाते हैं। यही कारण है कि अफसरों पर कोई कार्रवाई नहीं हो पा रही है। एक जेल अधिकारी ने दबी जुबान से बताया कि जब जेल में किसी भी वस्तु के ले जाने पर प्रतिबंध है तो फिर दवाई, नमकीन, शैम्पू कैसे चला गया। जाहिर सी बात है कि अधिकारी उन रसूखदारों को सुविधा मुहैया करा रहे हैं और इसके बदले में लाखों रुपया वसूला जा रहा है। इस बात की जानकारी भी जेल मुख्यालय तक गोपनीय तौर पर पहुंची है।
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