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ले लो फिर से चुनाव की झप्पी

Updated on 22-11-2022 06:00 AM
मंजर भोपाली साहब ने क्या खूब लिखा है,यह शेर इस लेख पर बिल्कुल सटीक बैठेगा । "ले लो फिर से चुनाव की झप्पी" ।
गांव गांव की जख्मी फिजाएं हो गई,ज़हरीली शहर की हवाएं हो गई,शराब से महंगी‌ दवाएं हो गई,
जाइए आवाम को जवाब दीजिए,
लोग जो ग़रीब थे, हक़ीर हो गए,
आप तो ग़रीब से अमीर हो गए,
यानी के हुज़ूर बेज़मीर हो गए,
खुद को बेज़मीरी का खिताब दीजिए,जाइए आवाम को जवाब दीजिए,देश को महंगाई का हिसाब दीजिए ।
गुजरात,हिमाचल प्रदेश एवं दिल्ली के एमसीडी चुनाव की तैयारीयां जोरों पर है,सब पार्टियां अपने अपने उम्मीदवारों को चुनावी दंगल में उतार चुकी है, आचार संहिता से पहले शिलान्यास की बयार से हिमाचल और गुजरात सराबोर हो चुका है, वह बात अलग है,कितने  शिलान्यासो को अमलीजामा पहनाया जाएगा,या फिर यह शिलान्यास केवल एक पत्थर का टुकड़ा साबित होंगे । ले लो चुनाव की झप्पी अलग-अलग पार्टियां लोगों को लुभा रही हैं,कोई पार्टी पुरानी पेंशन स्कीम को लागू करने का वादा कर रही है,तो कोई पार्टी बेरोजगारों को रोज़गार के सपने दिखा रही है,तो कोई बिजली फ्री देने का वादा कर रही है,तो कोई स्कूटी और लैपटॉप का ।
पार्टियों का घोषणा पत्र पढ़ कर ऐसा लगता है,मानो चुनाव के बाद इन राज्यों में तरक्की की बयार चलेगी पर अफसोस घोषणा पत्र तो घोषणा पत्र होता है,इसको अमलीजामा  पहनाना भूल जाती है,जो पार्टी सत्ता में आती है।
 *गांव गांव की जख्मी फिजाएं हो गई जहरीली शहर की हवाएं हो गई ।* दिल्ली में एमसीडी चुनाव सर पर है सब पार्टियां जोर लगा रही है,पर देश की राजधानी दिल्ली जो गैस का चेंबर बनी हुई है,अक्टूबर से दिसंबर तक हर साल दिल्ली का दम प्रदूषण से घुटने लगता है। इसके लिए हरियाणा, पंजाब और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसानों द्वारा पराली जलाने को सबसे ज्यादा ज़िम्मेदार माना जाता है। वही दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने पिछले वर्ष 20 रुपये की जादुई पुड़िया की बात बढ़-चढ़कर लोगों के सामने पेश की उन्होंने दिल्लीवासियों की आंखों में धूल झोंकी,केजरीवाल ने बताया था दिल्ली सरकार ने पूसा के वैज्ञानिकों के साथ मिलकर ऐसी दवाई तैयार की है, जो सिर्फ 15 दिन में पराली को खाद में बदल देगी इस दवाई को बनाने में बायो डी कंपोजर के छिड़काव पर 68 लाख खर्च किए और विज्ञापन पर 23 करोड़, नतीजा आपके सामने, लोगों के ज़मीर से खेलते हैं यह नेता । यह तो बात हुई प्रदूषण की । अब हम बात करते हैं,नेताओं की जो ईमानदारी का चोला उड़े हुए जनता की भावनाओं से खेल रहे हैं, *लोग जो गरीब थे,हक़ीर हो गए, नेताजी आप तो गरीब से अमीर हो गए ।* मनी लांड्रिंग केस में सत्येंद्र जैन आजकल तिहाड़ जेल की हवा खा रहे हैं, जब चुनाव जीत कर आए थे तो ईमानदारी की कसमें खाते थे, कहां गई ईमानदारी जब जांच एजेंसी ने जैन साहब के घर पर छापा मारा तो 2 करोड़ 85 लाख रुपए नगद और सोने के 133 सिक्के उनके घर से पकड़े गए, आज तक एक बात समझ में नहीं आई किसी भी पार्टी का नेता जो कोई काम नहीं करता फिर भी देखते ही देखते करोड़पति बन जाता है,क्या नेता बनने के बाद इनके पास अलाद्दीन का चिराग़ आ जाता है,वहीं दूसरी ओर गुजरात के मोरबी में भी भ्रष्टाचार का नंगा नाच देखने को मिला नेताओं और अधिकारियों की मिलीभगत से घड़ी बनाने वाली अजंता कंपनी को पुल की मरम्मत एवं रखरखाव के लिए 15 साल के लिए ठेका दे दिया गया,अजंता कंपनी ने सरकार से 2 करोड़ रुपए में मरम्मत का ठेका लिया और 12 लाख रुपए में यह ठेका एक छोटी सी वेल्डिंग की दुकान वालों को दे दिया, इसका नतीजा आपके सामने है, 135 लोगों ने इस हादसे में अपनी जान गवाई । *नेताजी आप तो गरीब से अमीर हो गए यानी के हुजूर बेज़मीर हो गए, खुद को बेज़ामीर का खिताब दीजिए और  चुनाव में जाइए आवाम को जवाब दीजिए।*
आए दिन समाचार पत्रों में यह खबर पढ़ने को मिलती है बहुत जल्दी जानलेवा बीमारियों की दवाएं सस्ती होने वाली है, चुनाव के समय नेता बड़े-बड़े वादे करते हैं और मंच पर से ही घोषणाएं करते हैं, अगर चुनाव जीत गए और उनकी पार्टी की सरकार अगर बनती है तो दवाइयों के दाम बहुत कम कर देंगे यह घोषणाएं यह खबरें बीमारों को मुंह चढ़ाती है क्योंकि, *शराब से महंगी दवाएं हो गई ।* कुछ कैंसर की दवाओं के कीमत में आपको बताता हूं,आप भी बोलेंगे शराब से महंगी दवाएं हो गई,आइए भारत में कैंसर की कुछ महंगी दवाओं के विवरण पर नजर डालते हैं,ओबिनुतुजुमाब
1000 मिलीग्राम जिसकी कीमत 3 लाख 99 हज़ार 3 सौ पांच, यह दवा रक्त कैंसर के लिए होती है,पर्टुजुमाब 420mg/14ml 
2 लाख 75 हज़ार 5 सौ 62 रुपए,एटेज़ोलिज़ुमाब
840mg/14ml 2लाख 77 हज़ार, 7 सौ 8 रुपए । ऐसी बहुत सारी दवाई है जिनके नाम सुनकर आप यही सोचेंगे ऊपर वाले मुझे उठा ले पर मुझे ऐसी बीमारी ना दे, गुजरात हिमाचल में विधानसभा के चुनाव, दिल्ली में एमसीडी के चुनाव में अपना बहुमूल्य वोट देने से पहले एक बार यह सवाल नेता जी से जरूर करें ।
  *हुजूर आप ग़रीब से अमीर हो गए, आइए आवाम को जवाब दीजिए देश में महंगाई का हिसाब दीजिए ।* 

मोहम्मद जावेद खान,लेखक, संपादक


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