नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट ने विवादित ढांचा बाबरी विध्वंस मामले में फैसला सुनाने वाले पूर्व न्यायाधीश एसके यादव को मिली सुरक्षा बढ़ाने से इंकार कर दिया है। पूर्व न्यायाधीश सुरेंद्र कुमार यादव ने मामले में सभी 32 आरोपियों को बरी कर दिया था, इसके साथ भाजपा के दिग्गज नेता और पूर्व उपप्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी, एमएम जोशी और उमा भारती शामिल का नाम था। न्यायमूर्ति आरएफ नरीमन, न्यायमूर्ति नवीन सिन्हा और कृष्ण मुरारी की अध्यक्षता वाली पीठ पूर्व न्यायाधीश के अनुरोध पर विचार कर रही थी। जिन्होंने अपने कार्यकाल के अंतिम दिन मामले की संवेदनशीलता देखकर व्यक्तिगत सुरक्षा को बढ़ाने का अनुरोध किया था। सुनवाई के दौरान पीठ ने कहा, 'हम सुरक्षा बढ़ाना उचित नहीं समझते हैं।'
30 सितंबर को विशेष अदालत ने मामले में सभी 32 आरोपियों को यह कहकर बरी कर दिया था कि कोई निर्णायक सबूत नहीं है कि वे अयोध्या में विवादित ढांचे को गिरान के लिए किसी भी साजिश का हिस्सा थे। विवादित ढांचे को 6 दिसंबर, 1992 को कारसेवकों द्वारा ध्वस्त कर दिया गया था। पिछले साल, शीर्ष अदालत की पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने फैसला सुनाते हुए 2.77 एकड़ भूमि पर राम मंदिर के निर्माण के लिए ट्रस्ट को सौंपने का फैसला सुनाया था। हालांकि शीर्ष अदालत ने मस्जिद बनाने के लिए भी अयोध्या में एक अन्य स्थल पर पांच एकड़ भूमि के आवंटन का भी आदेश दिया था।