भारत की स्वाधीनता का सूर्योदय: अखबारों के आईने में -2
Updated on
17-08-2022 06:44 PM
शेष ...
16 अगस्त को हुआ था लाल किले पर पहला ध्वजारोहण
दूसरे
दिन यानी 15 अगस्त 1947 को पंडित जवाहरलाल नेहरू के नेतृत्व में स्वाधीन
भारत के पहली राष्ट्रीय सरकार बनी और 22 वाॅयसराय हाउस (अब राष्ट्रपति भवन)
के दरबार हाॅल में 22 मंत्रियों ने पद की शपथ ली। लेकिन लाल किले पर आजाद
भारत का पहला ध्वजारोहण 16 अगस्त को हुआ था। ‘दि प्रिंट’ में छपे एक
लेख में हिलाल अहमद ने बताया था कि देश का लाल किले पर पहला स्वतंत्रता
दिवस समारोह 15 के बजाए 16 अगस्त 1947 को हुआ था। एडामिरल लुई माउंटबेटन की
बेटी पामेला माउंटबेटन ने अपनी पुस्तक ‘इंडिया रिमेम्बर्ड’ में बताया था
कि देश पर लगभग दो सौ साल से फहरा रहा यूनियन जैक उतरने और आजाद भारत का
तिरंगा फहराने का वह अविस्मरणीय क्षण था। इसका प्रतीकात्मक महत्व था कि
भारत अब विदेशी दासता से पूर्णत: मुक्त हो गया है। यह भारत के पुनराविष्कार
के तहत भारतीय राष्ट्रवाद की विजय भी थी। लंदन में ब्रिटिश लाइब्रेरी में
मौजूद ‘माउंटबेटन पेपर्स’ बताते हैं कि डाॅ. राजेन्द्र प्रसाद ने अपने भाषण
में स्वतंत्रता की इस महान उपलब्धिा के उल्लेख के साथ यह भी कहा कि
ब्रिटिशों के साथ अब हमारे सम्बन्ध समानता, परस्पर सदभाव और आपसी लाभ पर
आधारित होंगे। 15 अगस्त के उस आयोजन के बारे में पामेला माउंटबेटन ने अपनी
डायरी में लिखा विधान भवन में सत्तांतरण समारोह के बाद लोग खुशी से तालियां
बजा रहे थे और नारे लगा रहे थे पंडित माउंटबेटन की जय, लेडी माउंटबेटन की
जय। यहां तक कि कुछ लोगों ने पामेला माउंटबेटन (जो उस वक्त कार्यक्रम में
मौजूद थीं) के समर्थन में ‘माउंटबेटन मिस साहिबा की जय’ के नारे लगाए। पहला ध्वजारोहण प्रिंसेस पार्क में हुआ I आजाद
भारत के पंडित नेहरू के प्रधानमंत्रित्व में पहले मंत्रिमंडल का शपथ ग्रहण
15 अगस्त को सुबह वायसराॅय हाउस ( अब राष्ट्रपति भवन) के दरबार हाॅल में
हुआ। समारोह में 22 मंत्रियों ने शपथ ली। उसके बाद लार्ड माउंटबेटन और
पंडित नेहरू दिल्ली के रोशनबाग में अपने अभिभावकों के साथ एकत्रित 5 हजार
स्कूली बच्चों से मिले। पामेला के अनुसार स्वतंत्र भारत का पहला
तिरंगा ध्वजारोहण 15 अगस्त को इंडिया गेट के पास प्रिंसेस पार्क में हुआ
था। पहले तय हुआ था कि पं.नेहरू पहले यूनियन जैक उतारेंगे फिर तिरंगा
फहराएंगे। लेकिन बाद में यूनियन जैक उतारने का इरादा छोड़ दिया गया। शायद
इसतलिए कि इससे ब्रिटिशों में अच्छा संदेश नहीं जाता। बल्कि इस फैसले में
अंतनिर्हित संदेश यह था कि हम ब्रिटिश राज के विरोधी हैं, ब्रिटिश जनता के
नहीं। शाम 6 बजे वो महान क्षण आया जब नेहरू ने केवल तिरंगा ही फहराया,
राष्ट्रगीत गाया गया और राष्ट्रध्वज को 31 तोपों की सलामी दी गई। पामेला
माउंटबेटन के अनुसार लाल किले पर पहली बार तिरंगा 16 अगस्त को फहराया गया।
लाल किले से दिए अपने पहले ऐतिहासिक भाषण में पं. नेहरू ने स्वयं को ‘भारत
का प्रधान सेवक’ कहा था। कहां है पहली बार फहराया राष्ट्रध्वज
यहां
यह जिज्ञासा स्वाभाविक है कि लाल किले पर पहली बार फहराया गया ध्वज अब
कहां है? लेफ्टिनेंट कमांडर के वी सिंह ने अपनी किताब ‘ द इंडियन ट्रायकलर’
में खुलासा किया कि पं. नेहरू द्वारा लाल किले पर पहली बार फहराए गए
तिरंगे को उतारे जाने के बाद दिल्ली के चाणक्यपुरी स्थित आर्मी बेटल
आॅनर्स मेस ( एबीएचएम) को सौंप दिया गया था। यह ऐतिहासिक धरोहर राष्ट्रध्वज
कांच से ढंके बाॅक्स में रखा गया था। यह ध्वज अभी भी सुरक्षित हालत में
है। यह ध्वज दिल्ली के लाल किले पर सुबह 8:30 बजे फहराया गया था। वो
शुक्रवार का दिन था। लाल किले पर उस ध्वजारोहण समारोह की जिम्मेदारी 7 सिख
लाइट इंफेंट्री के कंधों पर थी। समारोह के बाद ध्वज उसी इंफेंट्री को सौंप
दिया गया था। लेकिन उसके 45 साल बाद तक किसी को पता नहीं था कि लाल किले
पर पहली बार फहराया गया तिरंगा आखिर है कहां। बाद में पता लगा कि वह
एबीएचएम में सुरक्षित और सम्मानपूर्वक रखा हुआ है। 12x 8 फीट का यह ध्वज
काॅटन का है। इसके बीच में हाथ से नीला अशोक चक्र पेंट किया हुआ है। इसे
फंफूद और कीटो से बचाने के लिए नियमित ट्रीटमेंट भी किया जाता है।
अजय बोकिल ,लेखक, वरिष्ठ संपादक (ये लेखक के अपने विचार है )
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