Select Date:

भारत की स्वाधीनता का सूर्योदय: अखबारों के आईने में -1

Updated on 17-08-2022 06:38 PM
संसद भवन में मध्यरात्रि को हुए उस विशेष सत्र में क्या हुआ था? 15 अगस्त की तिथि ही आजादी के लिए क्यों चुनी गई थी? जबकि पाकिस्तान का स्वतंत्रता 14 अगस्त क्यों है? इन कई सवालो के जवाब देश के पहले प्रधानमंत्री रहे पं.‍जवाहरलाल नेहरू के प्रथम मंत्रिमंडल में उद्योग एवं खाद्य आपूर्ति मंत्री रहे श्यामा प्रसाद मुखर्जी के भतीजे जस्टिस चित्ततोष मुखर्जी के वर्णन में मिलते हैं। जस्टिस मुखर्जी उस ऐतिहासिक समारोह के गवाह थे और उन दिनो कोलकाता के प्रेसीडेंसी काॅलेज में विद्यार्थी थे। ‘टाइम्स आॅफ इंडिया’ में छपे इस विवरण के मुताबिक जस्टिस चित्ततोष ने बताया कि विदेशी सत्ता से भारतीय नेतृत्व के हाथों सत्तातंरण का दिन 15 अगस्त इसलिए चुना गया था, क्योंकि यह भारत के अंतिम वायसराॅय लार्ड माउंटबेटन का ‘लकी डे’ भी था। लार्ड माउंटबेटन दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान मित्र राष्ट्रों की संयुक्त सेनाअो के कमांडर थे और इसी दिन 1945 में जापानी सेना ने सरेंडर किया था। लिहाजा माउंटबेटन चाहते थे कि स्वतंत्र भारत में सत्तातंरण इसी दिन हो। 14 अगस्त को माउंडबेटन नवनिर्मित पाकिस्तान की राजधानी कराची में स्वतंत्र पाकिस्तान की घोषणा करने गए थे। इसलिए पाकिस्तान यही दिन अपना स्वतंत्रता दिवस मानता है। लार्ड माउंटबेटन उसी शाम विमान से दिल्ली लौट आए थे। 14 अगस्त की रात ठीक 11 बजे संसद भवन में वो यादगार समारोह आरंभ हुआ। सबसे पहले सुचेता कृपलानी ने राष्ट्रगान ‘वंदे मातरम्’ गाया। उसके बाद सदन को संविधान सभा के अध्यक्ष डाॅ.राजेन्द्र प्रसाद ने सम्बोधित किया। फिर पंडित जवाहरलाल नेहरू ने अपना ऐतिहासिक भाषण ‘ट्रिस्ट विद डेस्टिनी’( नियति से वादा) दिया। उसके बाद मुस्लिम लीग के एक नेता चौधरी खलीकुज्जमां ने नेहरू की बात का समर्थन किया। चौधरी खलीकुज्जमां यूपी के थे (बाद में वो पाकिस्तान चले गए थे)। चौधरी के बाद डाॅ.सर्वपल्ली राधाकृष्णन का भाषण हुआ। उन्होंने भारत की इस महान उपलब्धि का जिक्र किया। तब तक घड़ी का कांटा 12 बजा रहा था। संविधान सभा के अध्यक्ष डाॅ. राजेन्द्र प्रसाद ने सदन में मौजूद सभी लोगों को शपथ दिलवाई। यह शपथ हिंदी और अंग्रेजी में ली गई। इसमें अंग्रजों से भारतीयों द्वारा देश की सत्ता का अधिग्रहण और लार्ड माउंटबेटन को भारत का नया गवर्नर जनरल नियुक्त करने की बात थी। शपथ ग्रहण के बाद स्वतंत्रता सेनानी हंसा मेहता ने आजाद भारत का नया तिरंगा ध्वज डाॅ. राजेन्द्र प्रसाद को सौंपा। उसके पश्चात सुचेता कृपलानी ने पहले ‘सारे जहां से अच्छा हिंदोस्ता हमारा’ और बाद में राष्ट्रगीत ‘जन मन गण’ गाया। उसी के साथ यह अविस्मरणीय समारोह समाप्त हो गया।
यही वो ऐतिहासिक खबर थी, जो 15 अगस्त 1947 के दिन भारत में छपे तमाम अखबारों की पहली सुर्खी थी। यकीनन ज्यादातर अखबारनवीसों और स्टाफ को रात देर तक जागना पड़ा होगा क्योंकि सत्तांतरण का यह ऐतिहासिक समारोह रात 12 बजे के बाद ही खत्म हुआ था। देश की करीब 8 सौ साल की गुलामी के बाद बही आजादी और स्वशासन की बयार पहले 15 अगस्त के दिन छपे अखबारों में किस तरह से प्रतिध्वनित हुई, यह देखना और जानना बेहद दिलचस्प है। दिलचस्प इसलिए कि भारत के हजारों साल के इतिहास का वह ‍निर्णायक मोड़ था और जिसकी शब्दों में ‍अभिव्यक्ति के लिए हमारे पास अखबारों जैसा सशक्त और शाश्वत माध्यम था। हालांकि इन अखबारों के शीर्षक और काव्यात्मक भी हो सकते थे, लेकिन लगता है वो घटना ही इतनी युगांतरकारी थी कि उसका यथा तथ्य उल्लेख ही स्वयंपूर्ण शीर्षक था।भोपाल के माधवराव सप्रे स्मृति समाचार पत्र संग्रहालय में इनमें कुछ अखबारों की दुर्लभ प्रतियां संरक्षित हैं। इनमें वो अखबार भी हैं, जो ब्रिटिश भारत से निकलते थे और वो अखबार भी हैं, जो देसी रियासतों से निकलते थे। कुछ छोटे थे, कुछ बड़े थे। इनके आकार-प्रकार और कीमतों में भी अंतर था। ये अखबार एक आने से लेकर चार आने तक के थे। लेकिन सब में एक बात समान थी और वो ये कि सभी भारत राष्ट्र को युगों बाद मिली स्वाधीनता और पहली बार अपनाई जाने वाली लोकतांत्रिक शासन प्रणाली के गवाह थे। उसी घटनाक्रम को अपनी रिपोर्ट्स और खबरों के माध्यम से अभिव्यक्त कर रहे थे। 15 अगस्त 1947 के दिन छपे अखबारों को पढ़ना अपने इतिहास का बाइस्कोप देखने जितना रोमांचक और अंतर्मन को अभिभूत करने वाला है। वो शुक्रवार का दिन था। यूं अखबारों की ‍िजंदगी महज 24 घंटे की मानी जाती  है, लेकिन 15 अगस्त 1947 के तमाम अखबार हमारी अनमिट विरासत हैं। प्रख्यात अमेरिकी नाटककार आॅर्थर मिलर ने कहा था-‘एक अच्छे अखबार का अर्थ राष्ट्र का स्वयं से संवाद है।‘ 15 अगस्त 1947 के भारत के अखबार राष्ट्र के इसी आत्म संवाद अौर देश की जनता की आकांक्षाअों को प्रतिध्वनित करते हैं। पहले सप्रे संग्रहालय में प्रदर्शित अखबारों पर नजर डालें। कानपुर से प्रकाशित होने वाले हिंदी दैनिक ‘प्रताप’ के मुखपृष्ठ पर कवि बालकृष्ण नवीन की कविता ‘हिंदुस्थान हमारा है..’ छपी थी। बायीं तरफ झंडा गीत ‘झंडा ऊंचा रहे हमारा’ और नीचे बापू की ध्यानस्थ मुद्रा में तस्वीर छपी थी। पटना से निकलने वाले ‘दैनिक राष्ट्रवाणी’ के पहले पेज पर तिरंगे का रंगीन चित्र और बापू के फोटो के नीचे लिखा था-स्वतंत्र भारत के राष्ट्रपिता। दिल्ली से ही प्रकाशित ‘वीर अर्जुन’ में 14 अगस्त की रात संविधान सभा की ऐतिहासिक कार्यवाही की विस्तृत रिपोर्टिंग है। मुख्य शीर्षक था- ‘एक हजार वर्षों बाद भारत फिर स्वाधीन होगा।‘ अखबार में कुछ अन्य खबरें भी हैं। जिसमें भारत की आजादी पर द्वीप देश श्रीलंका द्वारा भारत को 300 टन गुड़ और 1 हजार टन चावल देने की बात है। मुखपृष्ठ के बीचोंबीच राष्ट्रकवि मैिथलीशरण गुप्त की कविता ‘ यह पुण्य पताका फहरे’ खास तौर पर छापी गई है। यही कविता दादा माखनलाल चतुर्वेदी के अखबार ‘कर्मवीर’ के 16 अगस्त के अंक में भी प्रमुखता से छापी गई है। अखबार के मुखपृष्ठ पर तिरंगा है। अखबार रंगीन छपा है। एक और रोचक खबर देवास जूनियर राज्य के पवार सरकार के गजट की है। 15 अगस्त 1947 को प्रकाशित राजपत्र के विशेषांक में महाराज यशवंतराव  भाऊसाहब पवार का प्रजाजन के लिए संदेश- ‘प्रसन्नता है कि महाराज ने रियासत को भारत संघ में विलीन करने का मंजूरी दी है। नई दिल्ली से प्रकाशित हिंदी दैनिक ‘हिंदुस्तान’ का बैनर शीर्षक था- ‘शताब्दियों की दासता के बाद भारत की स्वतंत्रता का मंगल प्रभात’। उपशीर्षक था-‘बापू की चिर तपस्या सफल, रात 12 बजे शंखध्वनि के साथ स्वतंत्रता की घोषणा। मुखपृष्ठ पर ही वंदे मातरम् गान छपा था। उसके नीचे चित्र था- डाकखाने की नई मुहर जयहिंद। मुखपृष्ठ पर दायीं अोर सूर्योदय के साथ तिरंगा लहराता हुआ। उसके भी नीचे पं. नेहरू का यह वाक्य कि जब तक जनता की आंखों में एक भी आंसू की बूंद होगी, हमारा काम पूरा नहीं होगा। इसी पेज पर सबसे नीचे एक लेख है ‘इलाहाबाद: आजादी के दीवानों का केन्द्रबिंदु।‘ भोपाल से प्रकाशित उर्दू दैनिक ‘नदीम’ में भी पहले स्वतंत्रता दिवस की खबर है। इलाहाबाद से प्रकाशित अंग्रेजी अखबार ‘द लीडर’ की सुर्खी थी- ‘इंडिया इज फ्री टुडे’ । सब हेडिंग था- ग्लैमरस विक्ट्री आॅफ नाॅन वायोलेंट रिवोल्यूशन। अखबार के मुखपृष्ठ पर राष्ट्र गान ‘ वंदे मातरम्’ का अंग्रेजी अनुवाद छपा था। पटना से प्रकाशित होने वाले ‘द इंडियन नेशन’ के मुखपृष्ठ पर तिरंगे का चित्र था। नीचे डाॅ. राजेन्द्र प्रसाद, पंडित जवाहरलाल नेहरू, सुभाषचंद्र बोस की तस्वीरें थीं। पहले पेज पर ही नीचे बायीं तरफ बहादुरशाह जफर, नाना साहब पेशवा, तात्या टोपे और रानी लक्ष्मीबाई के चित्र थे। साथ में 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम का एक रेखांकन और नीचे वीर कुंवर जगदीश सिंह का चित्र भी है। अखबार में विशेष परिशिष्ट भी है- स्टोरी आॅफ इंडियन स्ट्रगल। कलकत्ता ( अब कोलकाता) से निकलने वाले ‘द स्टेटसमैन’ का मुख्य शीर्षक था इनाॅग्रेशन आॅफ टू डोमिनियन्स। यानी दो अधिराज्यों का शुभारंभ। ( यहां स्वतंत्र भारत को अधिराज्य इसलिए लिखा गया क्योंकि तब भारत को पूर्ण संप्रभुता नहीं मिली थी। आजाद भारत के गवर्नर जनरल भी एक अंग्रेज लार्ड माउंटबेटन ही थे।) मुख्य शीर्षक के नीचे खबरें दो भागों में थीं। बायीं तरफ लिखा था- प्लेज आॅफ सर्विस एंड डेडीकेशन। इस उपशीर्षक के नीचे कुछ खबरें थी जैसे कि शहीदों की याद में दो मिनट का मौन, गांधीजी 24 घंटे से उपवास पर आदि। मुख्य शीर्षक के नीचे दायीं तरफ भारत के बरक्स नवनिर्मित पाकिस्तान के घटनाक्रम का जिक्र था। मसलन ‘स्प्लेंडर इन कराची’ , लार्ड माउंट बेटन ने (पाक) संविधान सभा में पाकिस्तान के निर्माण की घोषणा करते हुए कहा कि यह (भारत का) दो देशों के बीच दोस्ताना विभाजन है। खास बात यह है कि मुखपृष्ठ पर ही नीचे की अोर विदेशी सिगरेट द्यू माॅरियर का विज्ञापन भी है। उधर पाकिस्तान के अखबार क्या लिख रहे थे, यह जानना भी रोचक है। कराची (तब पाक की राजधानी यही थी) से प्रकाशित उर्दू ‘डाॅन’ (सुबह) ने पाकिस्तान बनने पर 20 पेज का विशेषांक प्रकाशित किया था। आठ आने की कीमत वाले इस अखबार उर्दू में बड़े बड़े अक्षरों में लिखा था ‘ मुस्लिम हैं हम वतन है, सारा जहां हमारा।‘ जबकि अंग्रेजी डाॅन का मुख्य शीर्षक था ‘बर्थ आॅफ पाकिस्तान एन इवेंट इन हिस्ट्री।‘ लाहौर से प्रकाशित ‘द ट्रिब्यून’ का शीर्षक था इंडिया वाक्स टू न्यू लाइफ एंड फ्रीडम।‘संग्रहालय में संरक्षित इन अखबारों के अलावा भी देश के कुछ नामी अखबारों में 15 अगस्त की खबरें जोश और नवोन्मेष से भरी हुई थीं। उदाहरण के लिए मद्रास ( अब चेन्नई) से निकलने वाले अंगरेजी अखबार द हिंदू’ का पहला पेज विज्ञापनों से भरा था। मुखपृष्ठ पर विज्ञापनों के बीच केवल एक तिरंगे का चित्र था। नीचे नए भारत का नक्शा था और उसके दोनो तरफ भी तिरंगे लहरा रहे थे। यह अखबार रंगीन छपा था ( उस जमाने में यह असाधारण बात थी)। सबसे नीचे कोलंबिया रिकाॅर्ड्स  और किसी तमिल‍ फिल्म का  विज्ञापन था। दिल्ली से प्रकाशित ‘द हिंदुस्तान टाइम्स’ का शीर्षक था ‘ इंडिया इंडिपेंडेंट: ब्रिटिश रूल एंड्स।‘ इसके नीचे बापू का हाथ में लाठी लिए हुए‍ चित्र था। उसके नीचे लिखा था- ‘होमेज टू द फादर आॅफ द नेशन।‘ बाॅम्बे (अब मुंबई) से निकलने वाले ‘ द टाइम्स आॅफ इंडिया’ ने शीर्षक‍ दिया था- ‘बर्थ आॅफ इंडियाज फ्रीडम।‘ उपशीर्षक था- ‘इंडिया वाक्स टू न्यू लाइफ, नेहरू काॅल्स फाॅर बिग एफर्ट्स फ्राॅम पीपुल..।मद्रास से ही प्रकाशित द इंडियन एक्स्प्रेस’ का शीर्षक  था- ‘इंडिया सेलीब्रेट्स फ्रीडम’ मुखपृष्ठ पर बीच में एक तिरंगा लहराता हुआ। साथ में खबर थी ‘मेमोरेबल सीन इन मद्रास।‘ सबसे नीचे जेमिनी पिक्चर्स की एक फिल्म का ‍िवज्ञापन था। 
अजय बोकिल ,लेखक, वरिष्ठ संपादक (ये लेखक के अपने विचार है )

अन्य महत्वपुर्ण खबरें

 16 November 2024
महाराष्ट्र में भाजपानीत महायुति और कांग्रेसनीत महाविकास आघाडी के लिए इस बार का विधानसभा चुनाव जीतना राजनीतिक  जीवन मरण का प्रश्न बन गया है। भाजपा ने शुरू में यूपी के…
 07 November 2024
एक ही साल में यह तीसरी बार है, जब भारत निर्वाचन आयोग ने मतदान और मतगणना की तारीखें चुनाव कार्यक्रम घोषित हो जाने के बाद बदली हैं। एक बार मतगणना…
 05 November 2024
लोकसभा विधानसभा चुनाव के परिणाम घोषित हो चुके हैं।अमरवाड़ा उपचुनाव में भाजपा प्रत्याशी कमलेश शाह को विजयश्री का आशीर्वाद जनता ने दिया है। लोकसभा चुनाव में भाजपा ने 29 की 29 …
 05 November 2024
चिंताजनक पक्ष यह है कि डिजिटल अरेस्ट का शिकार ज्यादातर वो लोग हो रहे हैं, जो बुजुर्ग हैं और आमतौर पर कानून और व्यवस्था का सम्मान करने वाले हैं। ये…
 04 November 2024
छत्तीसगढ़ के नीति निर्धारकों को दो कारकों पर विशेष ध्यान रखना पड़ता है एक तो यहां की आदिवासी बहुल आबादी और दूसरी यहां की कृषि प्रधान अर्थव्यस्था। राज्य की नीतियां…
 03 November 2024
भाजपा के राष्ट्रव्यापी संगठन पर्व सदस्यता अभियान में सदस्य संख्या दस करोड़ से अधिक हो गई है।पूर्व की 18 करोड़ की सदस्य संख्या में दस करोड़ नए सदस्य जोड़ने का…
 01 November 2024
छत्तीसगढ़ राज्य ने सरकार की योजनाओं और कार्यों को पारदर्शी और कुशल बनाने के लिए डिजिटल तकनीक को अपना प्रमुख साधन बनाया है। जनता की सुविधाओं को ध्यान में रखते…
 01 November 2024
संत कंवर रामजी का जन्म 13 अप्रैल सन् 1885 ईस्वी को बैसाखी के दिन सिंध प्रांत में सक्खर जिले के मीरपुर माथेलो तहसील के जरवार ग्राम में हुआ था। उनके…
 22 October 2024
वर्तमान समय में टूटते बिखरते समाज को पुनः संगठित करने के लिये जरूरत है उर्मिला जैसी आत्मबल और चारित्रिक गुणों से भरपूर महिलाओं की जो समाज को एकजुट रख राष्ट्र…
Advertisement