ऑनलाइन शराब बेचने पर भी प्रदेश सरकार कर सकती है विचार
Updated on
15-01-2021 01:02 PM
मुरैना जिले के 3 गांवों में जहरीली अवैध शराब पीने से मरने वालों का आंकड़ा दो दर्जन तक पहुंच गया है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस मामले में कड़ा रुख अख्तियार करते हुए तत्काल ही कार्यवाही प्रारंभ कर दी थी। मुरैना जिले की प्रशासनिक टीम बदलने की कार्यवाही चालू हो गई है तथा बक्की कार्तिकेयन कलेक्टर और सुनील कुमार पांडे को एसपी पदस्थ किया गया है। मुख्यमंत्री के आदेश पर एसडीओपी को निलंबित किया जा चुका है तथा बागचीनी थाने में पदस्थ सभी पुलिस कर्मियों को हटा दिया गया है। शिवराज इस घटना को लेकर कितने गंभीर हैं इसका पता इसी बात से चलता है कि एक उच्च स्तरीय जांच कमेटी अपर मुख्य सचिव गृह डॉ. राजेश राजौरा की अध्यक्षता में बनाई गई है जिसके अन्य सदस्यों में एडीजी साईं मनोहर और डीआईजी मिथलेश शुक्ला को सदस्य बनाया गया है। बुधवार को शाम ही यह जांच समिति घटनास्थल को रवाना हो गई और आज गुरुवार को उसने मौके पर पहुंचकर जांच प्रारंभ कर दी। वित्तीय वर्ष 202 -22 के लिए मध्यप्रदेश में आबकारी नीति तैयार की जा रही है और ऐसा करते समय सरकार की मंशा यह है कि शराब कारोबार के लंबे समय से चले आ रहे परंपरागत स्वरूप को बदला जाए। शराब को ऑनलाइन बेचने की व्यवस्था करने पर भी विचार चल रहा है I आबकारी आयुक्त राजीव दुबे का कहना है कि इस बारे में कुछ सुझाव आए अवश्य है, लेकिन अंतिम निर्णय लेने से पूर्व अभी काफी और विचार करने की जरूरत है, इसलिए छत्तीसगढ़ सहित अन्य राज्यों के शराब बिक्री के तरीकों का अध्ययन किया जाएगा। कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि सरकार कुछ बदलाव की दिशा में सोच रही है और वह बदलाव क्या होंगे यह अगले वित्तीय वर्ष की आबकारी नीति की घोषणा के साथ ही पता चल सकेगा। ऐसा समझा जाता है कि शिवराज सरकार आगामी वित्तीय वर्ष के लिए अपनी आबकारी नीति में कुछ बदलाव कर सकती है। यदि सरकार शराब की ऑनलाइन डिलीवरी के रास्ते पर आगे बढ़ने का मन बनाती है तो फिर वेबसाइट या मोबाइल एप पर आर्डर देने के बाद शराब की आपूर्ति ग्राहक के घर पर उसी तरह पहुंचेगी जिस तरह की फास्ट फूड, भोजन या अन्य सामान घरों तक पहुंचता है। आबकारी विभाग इसके लिए छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा किए गए प्रयोग का भी अध्ययन कर रहा है। विभागीय स्तर पर जो विचार विमर्श चल रहा है उसके अनुसार फिलहाल अंग्रेजी शराब की ही ऑनलाइन डिलीवरी होगी। ग्राहक को अपने घर के नजदीक की दुकान पर फोन पर ऑर्डर बुक करना होगा और फिर डिलीवरी ब्वॉय उस आर्डर को बुलाए गए स्थान पर पहुंचाएगा। सरकार के सामने इस प्रकार का विचार दो कारणों से आया है। एक तो कोरोना कालखंड में शराब की दुकानों पर लोगों का एकत्रित होना कम हो और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन हो सके इसलिए संक्रमण की संभावना को कम करने और दूसरे राजस्व में वृद्धि हो सके इस पहलू को ध्यान में रखते हुए में विचार प्रारंभ हुआ है। मध्य प्रदेश ही नहीं बल्कि अधिकांश राज्य सरकारों के लिए शराब और पेट्रोलियम पदार्थों पर कर लगाने का अधिकार ही उनकी आय का सबसे बड़ा साधन शेष बचा है। बीते एक साल में सरकार के सामने कोरोना संक्रमण के चलते आबकारी राजस्व की वसूली में अत्याधिक ताकत लगाना पड़ी थी। लॉक डाउन की वजह से भी कुछ माह तक शराब की दुकानें बंद रही थी जिससे सरकार के राजस्व में कमी हुई और ठेकेदारों को भी नुकसान उठाना पड़ा था। कुछ लोग शराब की दुकान में शराब खरीदने से कतराते हैं इसलिए ऑनलाइन व्यवस्था करने पर विचार किया जा रहा है। अभी यह विचार विभागीय स्तर पर हो रहा है तथा जब इसके लिए मुख्यमंत्री से हरी झंडी मिल जाएगी तब ही ऑनलाइन डिलीवरी की सुविधा लागू हो पाएगी। सरकार ऐसी सुविधा देने का प्रावधान करने की गुंजाइश बना रही है लेकिन अभी बड़े शराब ठेकेदार समूहों से चर्चा होना बाकी है कि वह इसे कैसे मूर्तरूप देंगे।
सरकार की आय का सबसे बड़ा साधन
राज्य सरकारों की राजस्व का सबसे बड़ा स्रोत आबकारी विभाग के द्वारा नीलाम किए जाने वाले ठेकों से होने वाली आय है।कोरोना संक्रमण के प्रारंभ होते ही वर्ष 2020 में मार्च और अप्रैल माह में बड़ा नुकसान हुआ था और यह बात तत्कालीन आबकारी आयुक्त राजेश बहुगुणा ने भी स्वीकार की थी। उल्लेखनीय है कि आबकारी विभाग ने मार्च 2020 में 1995 करोड़ रुपये की राजस्व प्राप्ति का लक्ष्य रखा था, लेकिन इस दौरान 1342 करोड़ रुपये का राजस्व ही प्राप्त हुआ। यानी 653 करोड़ रुपये की राजस्व की प्राप्ति के लक्ष्य की तुलना में कमी आई। इसी तरह अप्रैल 2020 के लिए 1150 करोड़ रुपये राजस्व का लक्ष्य निर्धारित किया गया था, लेकिन पूरा अप्रैल लॉकडाउन में ही गुजर गया। इस दौरान महज 121 करोड़ रुपये का राजस्व ही प्राप्त हो सका। अप्रैल महीने में आबकारी विभाग को 1029 करोड़ रुपये के राजस्व का नुकसान हुआ। शराब की बिक्री नहीं होने से इस पर लगने वाले वैट की धनराशि भी विभाग को नहीं मिल पाई उससे भी आय में नुकसान हुआ। मार्च और अप्रैल में कुल मिलाकर 118.69 करोड़ रुपये का राजस्व वैट के जरिए प्राप्त करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया था। इसका भी नुकसान उठाना पड़ा। आबकारी विभाग की चिंता की वजह यह रही कि लॉकडाउन के कारण केवल शराब नहीं बिकने से ही प्रदेश को लगभग 1800 करोड़ रुपये के राजस्व का नुकसान उठाना पड़ा है।
और अंत में.............
प्रदेश में अवैध शराब कारोबार के पनपने की एक वजह आबकारी विभाग में स्टाफ की कमी भी है। सूत्रों के अनुसार आबकारी विभाग में लगभग 40 प्रतिशत पद खाली पड़े हैं। आबकारी आरक्षकों के स्वीकृत पद 1000 है और इसमें से 400 पद अभी भी खाली हैं। इसी प्रकार आबकारी उपनिरीक्षकों के 250 पदों में से 100 पद खाली पड़े हैं। जहरीली शराब के कारोबार को रोकने के प्रति यदि सरकार प्रतिबद्ध है तो उसे रिक्त पदों को भरने की दिशा में भी कदम उठाना चाहिए।
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