खुशियों का पर्व, त्योहार का सिलसिला आने से काफी कुछ हमारी दिनचर्या में अच्छी पहल की शुरुआत हो गई। हम सफाई का मतलब सीख चुके, जिन्होंने स्वयं अपना घर सजाया उन्हें श्रृंगार रस की अनुभूति हुई, जिन्होंने तन्मयता से व्यापार किया धनराशि इकट्ठी की उन्हें अपने व्यापारिक मनोबल में वृद्धि हुई। जो नौकरी कर रहे थे उन्हें भी कहने कहीं खुशियां मिली। इस सब अच्छे माहौल मैं अब आवश्यकता है हर व्यक्ति नए सोच और नए जोश के साथ अपनी दिनचर्या आगे बढ़ाये। अपने उज्जवल भविष्य की रचना करें और जीवन में बिना वजह के तनाव भी कम करें। यदि हम कुछ ज्यादा ऊंचा नीचा नहीं सोचेंगे तो हमारे जीवन में तनाव भी नहीं आएगा, हम जो है उसमें खुश हैं उसमें अच्छे से अच्छा हम करेंगे यह सोच और जोश आपको जीवन में आनंद की अनुभूति देगा। दुखी होने के कई रास्ते हैं हम दूसरे की तरक्की देखकर भी दुखी हो सकते हैं अपने पास जो है उसमें खुश नहीं रह कर दुखी हो सकते हैं। यदी हमें सुरक्षित जीवन चाहिए तो हम अपना एक ग्रुप बना लें जिस पर अपने मित्र, रिश्तेदार, अपने समान मानसिकता वाले एक दूसरे के सहायक होकर हर दुख सुख में एक दूसरे का हाथ बढ़ाएं। जैसा कि कई मल्टीस्टोरीड बिल्डिंग के रहवासी आपस में पड़ोसी होकर भी एक परिवार की तरह एक दूसरे के सुख दुख में खुशियों में साथ रहते हैं। बस यही नया सोच और जोश आपके जीवन का सर्वोपरि निर्णय होगा। अशोक मेहता, इंदौर (लेखक, पत्रकार, पर्यावरणविद्) ये लेखक के अपने विचार है I
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