पर्यूषण पर्व विशेषांक के लिए विशेष आलेख - विश्व में सबसे महान धर्म जैन धर्म
Updated on
25-08-2022 02:15 PM
24 वे तीर्थंकर भगवान महावीर के अनुयाई ने जैन धर्म को इतना विशाल रूप दे दिया कि इसमें सभी मान्यताओं, घटक एवं समाचारी का समावेश हो गया। पूरे विश्व में यह एकमात्र धर्म है जिसमें आप अपनी भावना अनुसार किसी भी प्रकार से धर्म आराधना करें आप जैन कहलायेंगे। मान्यताओं के नाम और स्वरूप अलग अलग हो सकते हैं परंतु सभी जैन धर्म के अनुयाई हैं। उदाहरण के लिए देखिए मुस्लिम धर्म में मस्जिद होती है जहां कोई अल्लाह की तस्वीर या मूर्ति नहीं होती वहां नमाज पढ़ते हैं। कोई यदि अल्लाह की मूर्ति बनाकर पूजा करने लगे तो उसे कम्युनिटी से बाहर कर देंगे। बौद्ध धर्म में भगवान बुद्ध की मूर्ति होती है और वहां पर पूजा होती है पर साज श्रृंगार भजन नृत्य गाना आदि की परंपरा बौद्ध धर्म मैं नहीं है। गुरुद्वारे में जिस तरह ग्रंथ की पूजा होती है वहां भी कोई मूर्ति आदि लगाकर पूजा नहीं होती। भगवान श्री कृष्ण मंदिर में साज श्रृंगार गीत संगीत नृत्य पूजा सब होता है भगवान को भोग भी लगाया जाते हैं। जैन धर्म में स्थानक होते हैं जहां भगवान की मूर्ति के फोटो नहीं होते हैं वहां प्रवचन और सामायिक वगैरा होती है, श्वेतांबर जैन मंदिर होते हैं जहां साज श्रृंगार पूजा अर्चना गीत संगीत नृत्य सब होता है। दिगंबर मंदिरों में भगवान की मूर्ति की पूजा अर्चना होती है पर साज श्रृंगार नहीं होते। पंजाब में तरणताल जैन होते हैं जो ग्रंथ की पूजा करते हैं। याने जैन परंपरा में आपको आजादी है कि आप चाहे जैसे ईश्वर को माने उनकी आराधना करें पर आपको जैन कहलाने से कोई नहीं रोक सकता। आप जैन ही कहलाएंगे और यही जैन धर्म की विशालता महानता है। जबकि अन्य धर्मों में निर्धारित मान्यता हि मानना पड़ती है अन्य मान्यता या विधि से धर्म आराधना करने पर समाज से बाहर माना जाता है। अशोक मेहता, इंदौर (लेखक, पत्रकार, पर्यावरणविद्)
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