मुसलमानों के कातिल हैं सिख... पाकिस्तान में गुरुद्वारा बनाने पर भड़के मुस्लिम, तोड़ डालने की दी धमकी
Updated on
29-06-2024 12:24 PM
इस्लामाबाद: पाकिस्तान की पंजाब सरकार ने फैसलाबाद में 76 साल से बंद पड़े गुरुद्वारे को खोलने की इजाजत देते ही वहां पर मुसलमानों को बर्दाश्त नहीं हो रहा है। फैसलाबाद के मुस्लिम समुदाय ने खुलेआम धमकी दी है कि इस शहर में कभी भी गुरुद्वारा नहीं खोलने दिया जाएगा। फैसलाबाद के एक स्थानीय नेता का वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें वह खुलेआम गुरुद्वारे खोलने का विरोध करता दिखाई दे रहा है। अमीन बट नाम के इस नेता ने सिखों को मुसलमानों का कातिल बता डाला और कहा कि अगर यहां गुरुद्वारा खोला गया तो इसे तोड़ दिया जाएगा। बट ने गुरुद्वारे की मंजूरी को मुसलमानों के साथ सरासर ज्यादती बताया। उन्होंने धमकी दी कि अगर इसे खोला गया तो तोड़ दिया जाएगा।
गुरुद्वारा खोलने के खिलाफ धमकी
अमीन बट ने कहा, 'मुझे ईद के तीन दिन बाद पता चला है कि यहां फैसलाबाद में गुरुद्वारे को खोलने की मंजूरी मिल गई है, जो कि मुसलमानों के साथ सरासर ज्यादती है। हमने फैसलाबाद के प्रशासन, प्रदेश के मुख्यमंत्री और देश के प्रधानमंत्री से अपील की है कि यहां कोई ऐसा काम न करें। हम लोग गुरुद्वारा नहीं बनने देंगे।' इसके बाद उन्होंने धमकी दी की अगर प्रशासन ने ताकत दिखाने की कोशिश की तो से जनता उनसे टक्कर लेगी।
सिखों के खिलाफ उगला जहर
बट ने सिखों के खिलाफ जहर उगलते हुए सिखों को मुसलमानों का हत्यारा और बलात्कारी बताया और कहा कि जब पाकिस्तान बना था तो इन सिखों ने हमारी मां, बहनों और मुसलमानों के साथ बहुत ज्यादती की थी। इसके साथ ही उन्होंने सिखों के ऊपर बाबरी मस्जिद को गिराने और उसकी जगह मंदिर बनाने का भी आरोप लगा डाला। उन्होंने आगे कहा कि 'हम सरकार को गुरुद्वारा क्यों बनाने दें? हम बिल्कुल नहीं बनाने देंगे, हमारी जानों के ऊपर से जाकर ये गुरुद्वारा बनेगा।'
क्या है गुरुद्वारे का इतिहास?
पाकिस्तान के फैसलाबाद शहर को कभी लायलपुर के नाम से जाना जाता था, जहां सिखों की बड़ी आबादी रहती थी। आज यहां करीब 200 सिख ही रह गए हैं। ये सिख समुदाय अपने ऐतिहासिक गुरुद्वारे, गुरु सिंह सभा को फिर से हासिल करने के लिए संघर्ष कर रहा है। 1911 में निर्मित यह पवित्र स्थल इस क्षेत्र में सिख विरासत की आधारशिला रहा है। 1947 में देश के बंटवारे के बाद सिख समुदाय से उनका ये पूजा स्थल छीन लिया गया और इसी जगह मॉडल हाई स्कूल बना दिया गया। यह गुरुद्वारा पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के उत्पीड़न का जीता-जागता सबूत है।
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