रायसेन जिले के देवरी तहसील के खेरे पिपरिया गांव के रहने वाले विवेक भदौरिया एक बार में 60 से 70 किलोमीटर तक दौड़ते हैं। विवेक आर्मी में भर्ती होने की तैयारी कर रहे थे, लेकिन हाइट कम होने की वजह से डिसक्वालिफाई हो गए।
आर्मी में जाने का सपना टूटने के बाद अब वे देश के सबसे लंबे दूरी के धावक बनने की तैयारी कर रहे हैं। बेहद गरीब परिवार से आने वाले विवेक अपने गांव से बरेली एसडीएम के दफ्तर तक 65 किलोमीटर दौड़ते हुए पहुंचे थे। वे देशभर में होने वाली कई मैराथन में हिस्सा ले चुके हैं और अब मैसूर में होने वाली ट्रायथलॉन की तैयारी कर रहे हैं।
मंत्री के बंगले पर ठिकाना, प्रैक्टिस बीयू के ग्राउंड पर
विवेक बताते हैं, "मेरे परिवार की आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं है कि मैं भोपाल में अपने खर्चे पर रहकर मैराथन की प्रैक्टिस कर पाऊं। बीते दिसंबर में नरसिंहपुर के गोटेगांव में मोनू भैया (मंत्री प्रहलाद पटेल के स्वर्गीय भतीजे) के जन्मदिवस पर एक कार्यक्रम था। मैं 28 दिसंबर को बरमान से गोटेगांव तक करीब 70 किलोमीटर दौड़ते हुए पहुंचा था।
वहां मुझे सम्मानित किया गया। मंत्री प्रहलाद पटेल ने मुझसे पूछा कि मुझे क्या दिक्कत है और मैं क्या करना चाहता हूं। मैंने उन्हें परिवार की आर्थिक स्थिति के बारे में बताया और कहा कि मुझे भोपाल में रहकर प्रैक्टिस करने में दिक्कत है। उन्होंने कहा कि तुम मेरे घर में रहो और अपनी प्रैक्टिस करो। तुम्हारे सपने को पूरा करने के लिए जो जरूरत होगी, मैं पूरा करूंगा।"
अब विवेक भोपाल की प्रोफेसर कॉलोनी में मंत्री प्रहलाद पटेल के घर पर रहते हैं और बीयू के ग्राउंड पर प्रैक्टिस करते हैं।
मजदूरी करके कर रहे थे तैयारी
विवेक ने बताया कि कोरोना काल के बाद आर्मी की भर्तियां निकली थीं, लेकिन उनकी हाइट कम होने के कारण उन्हें बाहर कर दिया गया। भोपाल के अशोका गार्डन में किराए का रूम लेकर उन्होंने तैयारी की। पैसे की कमी के कारण उन्होंने होटल और रेस्टोरेंट में काम किया और ग्राउंड पर प्रैक्टिस जारी रखी।
ट्रायलथॉन में होते हैं तीन इवेंट
विवेक के अनुसार, खेल मंत्रालय और सरकार लंबी दौड़ के आयोजन नहीं कराती। देश में कई स्थानों पर इस तरह के कॉम्पटीशन होते हैं। उनका टारगेट मार्च में बैंगलोर में होने वाली ट्रायलथॉन में हिस्सा लेने का है।
ट्रायलथॉन के तीन इवेंट
स्विमिंग: डेढ़ से दो किलोमीटर तैराकी
साइक्लिंग: 80 से 90 किलोमीटर
रनिंग: 10 से 21 किलोमीटर
गांव में ग्राउंड बनवाने 65 किलोमीटर दौड़कर एसडीएम ऑफिस गए थे विवेक
विवेक बताते हैं कि जब वे गांव में आर्मी की तैयारी कर रहे थे, तब खेल मैदान की कमी खलती थी। उन्होंने 18 अक्टूबर 2022 को अपने गांव से दौड़ते हुए बरेली एसडीएम के ऑफिस पहुंचकर खेल मैदान की मांग की।
गांव से सीएम हाउस तक दौड़ने की योजना
विवेक कहते हैं, "लोग तेज दौड़ने वाले एथलीट्स को जानते हैं, लेकिन अल्ट्रा मैराथन के बारे में लोगों को ज्यादा जानकारी नहीं है। सरकार को भी इस खेल को समझना चाहिए। विवेक भोपाल में सीएम हाउस तक दौड़ने की तैयारी कर रहे हे। वो इसकी वजह बताते, इससे उनके गांव में ग्राउंड बन सके और इस खेल को सरकारी मान्यता मिल सके।
फटे जूतों में महीनों की दौड़
विवेक ने 2019 से दौड़ की प्रैक्टिस शुरू की। सौ-दो सौ रुपए के जूते पहनकर उन्होंने दौड़ना शुरू किया। मंत्री से मुलाकात के बाद उन्हें स्पोर्ट्स शूज और ट्रायथलॉन की तैयारी के लिए साइकिल मिली है।
इंदौर के कार्तिक जोशी से मिलती है जानकारी
विवेक बताते हैं कि इंदौर के कार्तिक जोशी, जिन्हें 'इंदौरी मिल्खा' के नाम से जाना जाता है, उनसे इस खेल के बारे में जानकारी मिलती रहती है। कार्तिक मध्य प्रदेश के सबसे लंबे दूरी के धावक हैं और उनकी सलाह विवेक के काम आती है।