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शिवरात्रि 1

Updated on 26-02-2025 12:52 PM
वैसे तो भगवान शिव का अभिषेक हमेशा करना चाहिए,लेकिन शिवरात्रि(26 फरवरी, बुधवार)का दिन कुछ खास है। यह दिन भगवान शिवजी  का विशेष रूप से प्रिय माना जाता है। कई ग्रंथों में भी इस बात का वर्णन मिलता है। भगवान शिव का अभिषेक करने पर उनकी कृपा हमेशा बनी रहती है मनोकामना पूरी होती है। धर्मसिन्धू के दूसरे परिच्छेद के अनुसार,अगर किसी खास फल की इच्छा हो तो भगवान के विशेष शिवलिंग की पूजा करनी चाहिए। यहां जानिए किस धातु के बने शिवलिंग की पूजा करने से कौन-सा फल मिलता है।
1⃣ *सोने के शिवलिंग पर अभिषेक करने से सत्यलोक (स्वर्ग) की प्राप्ति होती है ।*
2⃣ *मोती के शिवलिंग पर अभिषेक करने से रोगों का नाश होता है।*
3⃣ *हीरे से निर्मित शिवलिंग पर अभिषेक करने से दीर्घायु की प्राप्ति होती है ।*
4⃣ *पुखराज के शिवलिंग पर अभिषेक करने से धन-लक्ष्मी की प्राप्ति होती है ।*
5⃣ *स्फटिक के शिवलिंग पर अभिषेक करने से मनुष्य की सारी कामनाएं पूरी हो जाती हैं ।*
6⃣ *नीलम के शिवलिंग पर अभिषेक करने से सम्मान की प्राप्ति होती है ।*
7⃣ *चांदी से बने शिवलिंग पर अभिषेक करने से पितरों की मुक्ति होती है ।*
8⃣ *ताम्बे के शिवलिंग पर अभिषेक करने से लम्बी आयु की प्राप्ति होती है ।*
9⃣ *लोहे के शिवलिंग पर अभिषेक करने से शत्रुओं का नाश होता है ।*
🔟 *आटे से बने शिवलिंग पर अभिषेक करने से रोगों से मुक्ति मिलती है ।*
1⃣1⃣ *मक्खन से बने शिवलिंग पर अभिषेक करने पर सभी सुख  प्राप्त होते हैं ।*
1⃣2⃣ *गुड़ के शिवलिंग पर अभिषेक करने से अन्न की प्राप्ति होती है ।*

🌷 *कालसर्प दोष* 🌷
फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है। इस बार ये पर्व 26 फरवरी, बुधवार को है। ज्योतिष के अनुसार,जिन लोगों को कालसर्प दोष है,वे यदि इस दिन कुछ विशेष उपाए करें तो इस दोष से होने वाली परेशानियों से राहत मिल सकती है।
काल सर्प दोष के 12 प्रकार क्या हैं ?
काल सर्प दोष का प्रत्येक रूप विशेष है और व्यक्तिगत विकास, रिश्ते, वित्त और स्वास्थ्य सहित जीवन के कई क्षेत्रों को प्रभावित करता है। ये बारह श्रेणियां हैं :
➡ *कालसर्प दोष मुख्य रूप से 12 प्रकार का होता है,इसका निर्धारण जन्म कुंडली देखकर ही किनया जा सकता है। प्रत्येक कालसर्प दोष के निवारण के लिए अलग-अलग उपाए हैं। यदि आप जानते हैं कि आपकी कुंडली में कौन का कालसर्प दोष है तो उसके अनुसार आप महाशिवरात्रि पर उपाए कर सकते हैं। कालसर्प दोष के प्रकार व उनके उपाए इस प्रकार हैं-
1. अनंत काल सर्प दोष :
अनंत काल सर्प दोष विवाह में देरी और रिश्तों में अशांति का कारण बनता है। इसके प्रभाव में आने वाले लोग पहचान के साथ संघर्ष कर सकते हैं, उनमें नियमित ग़लतफ़हमियाँ हो सकती हैं, और आत्मविश्वास के साथ पीड़ित हो सकते हैं। अनंत काल सर्प दोष के प्रभाव से करियर विकास में कठिनाइयां आती हैं, साथ ही नियमित रोजगार परिवर्तन और व्यक्तिगत परियोजनाओं में बाधाएं आती हैं।
उपाए :  अनन्त कालसर्प दोष होने पर शिवरात्रि पर एकमुखी,आठमुखी अथवा नौ मुखी रुद्राक्ष धारण करें। यदि इस दोष के कारण स्वास्थ्य ठीक नहीं रहता है,तो महाशिवरात्रि पर रांगे(एक धातु)से बना सिक्का नदी में प्रवाहित करें।
2. कुलिक काल सर्प दोष
कुलिक काल सर्प दोष ज्यादातर पारिवारिक जीवन और वित्त को प्रभावित करता है, जिससे वित्तीय अस्थिरता और गलतफहमी पैदा होती है। लोग अपने स्वास्थ्य और पुरानी स्थितियों से भी जूझ सकते हैं। कुलिक काल सर्प दोष के प्रभाव से वित्तीय विकास में समस्याएं आती हैं, जिसके परिणामस्वरूप आमतौर पर अप्रत्याशित ऋण या हानि होती है।
उपाए : कुलिक नामक कालसर्प दोष होने पर दो रंग वाला कंबल अथवा गर्म वस्त्र दान करें। चांदी की ठोस गोली बनवाकर उसकी पूजा करें और उसे अपने पास रखें।
3. वासुकि काल सर्प दोष :
वासुकि काल सर्प दोष भाई-बहनों के सहयोग, संचार और साहस को प्रभावित करता है। इस दोष वाले लोग मित्रों और परिवार के बीच अलग-थलग या असमर्थित महसूस कर सकते हैं। इसलिए जब वासुकि काल सर्प दोष के प्रभावों की खोज की बात आती है, तो यह अक्सर पेशेवर जीवन में बाधाओं का कारण बनता है और यात्रा या उच्च अध्ययन के अवसरों को सीमित कर सकता है। 
उपाए : वासुकि कालसर्प दोष होने पर रात को सोते समय सिरहाने पर थोड़ा बाजरा रखें और सुबह उठकर उसे पक्षियों को खिला दें।  महाशिवरात्रि पर लाल धागे में तीन, आठ या नौ मुखी रुद्राक्ष धारण करें।
4. शंखपाल कालसर्प दोष :
शंखपाल कालसर्प दोष पारिवारिक जीवन और करियर विकास को प्रभावित करता है; इसका परिणाम कभी-कभी नियमित कार्य परिवर्तन और निजी जीवन में अस्थिरता के रूप में सामने आता है। जातक को पारिवारिक शांति बनाए रखने या आवास के संबंध में समस्या हो सकती है। शंखपाल कालसर्प दोष के प्रभाव में मानसिक शांति की कमी और करियर की ठोस नींव स्थापित करने में चुनौतियाँ शामिल हैं।
उपाए : शंखपाल कालसर्प दोष के निवारण के लिए 400 ग्राम साबुत  बादाम बहते जल में प्रवाहित करें।  महाशिवरात्रि पर शिवलिंग का दूध से अभिषेक करें।
5. पदम काल सर्प दोष :
पदम काल सर्प दोष आमतौर पर प्यार, रिश्तों और बच्चों को प्रभावित करता है, यह दोष उन लोगों को भी प्रभावित करता है जिनके पास इस दोष के कारण अधूरा प्यार या अच्छे रिश्ते बनाए रखने में परेशानी हो सकती है। पद्म काल सर्प दोष के प्रभाव से बच्चे के पालन-पोषण में समस्या और बच्चे के जन्म में देरी भी हो सकती है।
उपाए :  पद्म कालसर्प दोष होने पर महाशिवरात्रि से प्रारंभ करते हुए 40 दिनों तक रोज सरस्वती चालीसा का पाठ करें। जरूरतमंदों को पीले वस्त्र का दान करें और तुलसी का पौधा लगाएं।
6. महापदम काल सर्प दोष :
महापदम काल सर्प दोष कानूनी मामलों, शत्रुओं और स्वास्थ्य समस्याओं से संबंधित है। इस दोष वाले लोगों को पता चल सकता है कि शत्रु उनके चारों ओर घिरे हुए हैं और वे नियमित बीमारियों से पीड़ित हैं। महापदम काल सर्प दोष के प्रभाव के परिणामस्वरूप कभी-कभी कानूनी विवाद, ऋण संबंधी परेशानियां और लंबे समय तक स्वास्थ्य समस्याएं होती हैं।
उपाए : महापद्म कालसर्प दोष के निदान के लिए हनुमान मंदिर में जाकर सुंदरकांड का पाठ करें। महाशिवरात्रि पर गरीब, असहायों को भोजन करवाकर दान-दक्षिणा दें।
7. तक्षक काल सर्प दोष :
तक्षक काल सर्प दोष अधिकतर व्यावसायिक रिश्तों और विवाह को प्रभावित करता है। लोगों को सार्वजनिक छवि, रिश्ते निभाने में दिक्कत और वैवाहिक जीवन में विवाद की समस्या हो सकती है। तक्षक काल सर्प दोष के प्रभाव में परेशान रिश्तों की प्रवृत्ति और दूसरों के साथ विश्वास बनाने में कठिनाइयाँ शामिल हैं।
उपाए : तक्षक कालसर्प योग के निवारण के लिए 11 नारियल बहते हुए जल में प्रवाहित करें।  सफेद कपड़े और चावल का दान करें।
8. कर्कोटक काल सर्प दोष :
कर्कोटक काल सर्प दोष पारिवारिक संबंधों, धन और जीवन काल को प्रभावित करता है। इस दोष वाले लोगों को वित्तीय कठिनाइयों, पारिवारिक संघर्षों और लंबे समय से चली आ रही चिकित्सा समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। कर्कोटक काल सर्प दोष के प्रभाव में बार-बार पारिवारिक विवाद और चुनौतीपूर्ण वित्तीय स्थिति शामिल है।
उपाए : कर्कोटक कालसर्प योग होने पर बटुकभैरव के मंदिर में जाकर उन्हें दही-गुड़ का भोग लगाएं और पूजा करें।  महाशिवरात्रि पर शीशे के आठ टुकड़े नदी में प्रवाहित करें।
9. शंखचूड़ कालसर्प दोष : 
शंखचूड़ कालसर्प दोष भाई-बहन, भाग्य और धर्म से संबंध खराब कर देता है। इस दोष के अंतर्गत आने वाले लोगों को भाई-बहनों के साथ सौहार्दपूर्ण संबंध बनाए रखने में परेशानी हो सकती है और वे अक्सर खुद को दुर्भाग्यशाली महसूस करते हैं।  शंखचूड़ कालसर्प दोष के प्रभावों में आस्था, आध्यात्मिकता के साथ संघर्ष और परिवार से अलगाव की भावनाएँ शामिल हैं।
उपाए : शंखचूड़ नामक कालसर्प दोष की शांति के लिए महाशिवरात्रि की रात सोने से पहले सिरहाने के पास जौ रखें और उसे अगले दिन पक्षियों को खिला दें। पांचमुखी, आठमुखी या नौ मुखी रुद्राक्ष धारण करें।
10.घातक काल सर्प दोष :
घातक काल सर्प दोष पारिवारिक शांति, प्रतिष्ठा और करियर को प्रभावित करता है। इस दोष वाले लोगों को सामाजिक स्वीकृति मिलने में परेशानी, बार-बार पारिवारिक झगड़े और नौकरी से संबंधित समस्याएं हो सकती हैं। घातक काल सर्प दोष के प्रभाव में व्यावसायिक असफलताएँ और तनावपूर्ण पारिवारिक माहौल शामिल हैं।
उपाए :  घातक कालसर्प के निवारण के लिए पीतल के बर्तन में गंगाजल भरकर अपने पूजा स्थल पर रखें। चार मुखी, आठमुखी और नौ मुखी रुद्राक्ष हरे रंग के धागे में धारण करें।*
11. विषधर काल सर्प दोष और उसके प्रभाव :
विषधर काल सर्प दोष बच्चों, सामाजिक जीवन और धन को प्रभावित करता है। इस दोष के तहत, लोगों को पैसा बचाना चुनौतीपूर्ण लगता है और उन्हें अपने लक्ष्य और इच्छाओं तक पहुंचने में देरी हो सकती है। विषधर काल सर्प दोष के प्रभावों में धन संचय करने में संघर्ष और सीमित सामाजिक समर्थन शामिल हैं।
उपाए :  विषधर कालसर्प के निदान के लिए परिवार के सदस्यों की संख्या के बराबर नारियल लेकर एक-एक नारियल पर उनका हाथ लगवाकर बहते हुए जल में प्रवाहित करें।  महाशिवरात्रि पर भगवान शिव के मंदिर में जाकर यथाशक्ति दान-दक्षिणा दें।
12. शेषनाग काल सर्प दोष और उसके प्रभाव
शेषनाग काल सर्प दोष आध्यात्मिक विकास, अव्यक्त चिंताओं और मानसिक शांति को प्रभावित करता है। इस दोष वाले लोग मानसिक तनाव, चिंता और अलगाव-उन्मुख व्यवहार का अनुभव कर सकते हैं। शेषनाग काल सर्प दोष के प्रभाव अक्सर भावनात्मक और मनोवैज्ञानिक चुनौतियों के रूप में प्रकट होते हैं, जिससे व्यक्ति के लिए आंतरिक शांति बनाए रखना मुश्किल हो जाता है।
उपाए :   शेषनाग कालसर्प दोष होने पर महाशिवरात्रि की पूर्व रात्रि को लाल कपड़े में थोड़े से बताशे व सफेद फूल बांधकर सिरहाने रखें और उसे अगले दिन सुबह उन्हें नदी में प्रवाहित कर दें। महाशिवरात्रि पर गरीबों को दूध व अन्य सफेद वस्तुओं का दान करें।

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