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शिवराज की दोटूक : अधिकारियों को छोड़ना होगा ‘अहंकार’

Updated on 05-01-2021 11:53 AM
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के तेवर इन दिनों बदले- बदले से हैं और उसको देखकर लगता है कि वह अब एक सख्त प्रशासक के रूप में उभर रहे हैं। यदि ऐसे ही तेवर और कार्यशैली में जो बदलाव आया है वह स्थाई भाव का रहता है तो फिर उनकी छवि एक सख्त एवं कुशल प्रशासक की जनमानस में बनने में देर नहीं लगेगी। इसके साथ ही उनके अपने आभामंडल में एक ऐसी भी छवि जुड़ जाएगी  जिससे कि आम लोगों को जो अपनी समस्याओं के निदान के लिए सरकारी कार्यालयों के चक्कर लगाते रहते हैं उन्हें राहत मिलेगी। 
धार्मिक यात्रा से भोपाल लौटते ही इस नए साल के दूसरे दिन ही उन्होंने अफसरों को सफलता के 12 गुर बताते हुए  दो टूक शब्दों में सलाह दी है कि अफसर अपना अहंकार छोड़ें और काम करें। लोकतंत्र का भी यही तकाजा है कि अधिकारी और कर्मचारी किसी प्रकार के अहंकार में ना रहे और मुख्यमंत्री की उस इच्छा को धरातल पर उतारें, जिसमें सुशासन सबसे ऊपर है और शिवराज के लिए प्रदेश की जनता भगवान है। आम जनता को अपनी समस्याओं के निराकरण में किस-किस स्तर पर किस-किस प्रकार की परेशानियों का सामना करना पड़ता है वह शिवराज की पारखी नजरों से छुपा नहीं है। इसका अंदाजा  उनके इस कथन से लगता है कि कोई भी अहंकार में ना रहे और जनता के काम एक निश्‍चित समय अवधि के भीतर बिना लिए-दिए होना चाहिए। लंबे समय से जनमानस में धारणा बन रही है कि बिना लिए-दिए आजकल कोई काम नहीं होता है और यदि इस धारणा को मुख्यमंत्री बदलवा पाए तो ना केवल जनता को भगवान मानने की उनकी अवधारणा साकार होगी बल्कि सच्चे मायनों में आम आदमी बदलाव महसूस कर सकेगा। 
 शिवराज ने मंत्रियों तथा आला अफसरों को जो सख्त संदेश दिया है वह जब निचले स्तर तक पहुंच जाएगा तब ही लोगों को राहत महसूस होगी । क्योंकि अधिकांश लोगों की समस्याएं तहसील और थाना तथा कलेक्टर व जिला पुलिस अधीक्षक के स्तर पर ही हल हो सकती हैं। आमलोगों के मन में सरकार की छवि राजस्व अमले, पुलिसकर्मियों और स्वास्थ विभाग के अमले द्वारा कैसा व्यवहार किया जाता है उसको लेकर  बनती है। अपनी समस्याओं को लेकर इन कार्यालयों में आने वाले आम लोगों के प्रति अफसर और कर्मचारियों का नजरिया बदल जाए और वह अहंकार छोड़कर लोगों की परेशानियों को समझते हुए संवेदनशीलता से निश्‍चित समयसीमा में बिना लिए-दिए काम करने लगेंगे तभी जैसा सुशासन शिवराज चाहते हैं वह  आ पाएगा। उसके लिए जरूरी है कि सत्ता शिखर से लेकर छोटे से छोटे शासकीय कार्यालय में पदस्थ अमले के व्यवहार और कार्यप्रणाली में वैसा बदलाव आए जैसा मुख्यमंत्री चाहते हैं।
मुख्यमंत्री चौहान ने मंत्रियों, मुख्य सचिव से लेकर सचिव स्तर तक के अधिकारियों से वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से सीधे बात करते हुए सफलता के 12 सूत्र बताते हुए यह भी रेखांकित किया कि नीतियां हम बनाएंगे और पूरी दक्षता के साथ अमल आपको करना है। आप भी तय करें कि आपके विभाग की कौन-कौन सी सुविधाएं बिना गड़बड़ी के कैसे दी जा सकती हैं। उन्होंने कहा कि वह खुद प्रतिदिन मॉनिटरिंग करेंगे। मेरे पास फीडबैक लेने के कई और तरीके हैं, जनता से भी फीडबैक लूंगा, क्योंकि जनता से बेहतर फीडबैक कोई नहीं देता है। मंत्री और विधायक भी जनता के पास जाकर फीडबैक लें। 
मैदानी अफसरों से रूबरू शिवराज
मैदानी अफसरों से मुखातिब होते हुए शिवराज ने दो टूक शब्दों में कहाकि कि मेरा किसी से न कोई राग है और न द्वेष है, मुझे सिर्फ विकास का जुनून है, इसीलिये सभी अफसर परिश्रम की पराकाष्ठा तक पहुंचे। उन्होंने यह भी कहा कि सबसे ज्यादा परिश्रम पहले मैं करूंगा, मगर मेरे पीछे सभी अफसर भी चलें।चौहान ने जिलावार विकास का प्लान तैयार करने के निर्देश भी दिये हैं। आज शिवराज ने सभी कमिश्‍नर्स-कलेक्टर तथा एसपी-आईजी के साथ वर्चुअल बैठक में अपनी इस वर्ष की प्राथमिकताओं को रेखांकित करते हुए कहाकि जो अफसर परफार्म करेगा वही टिकेगा, मेरा किसी से कोई व्यक्तिगत रागद्वेष नहीं है। मैं नंबर वन या टू के लिये हर जिले के बीच में स्वस्थ स्पर्धा देखना चाहता हूं। इसके साथ ही हर जिले के पास विकास का सालभर का प्लान भी होना चाहिये। लिहाजा अफसर क्षेत्रीय जरूरतों को देखते हुए इसे तैयार करें। लेकिन यह भी ध्यान रखा जाये कि अंधाधुंध नहीं बल्कि  व्यवस्थित तौर पर आगे बढ़ा जाये। उन्होंने मैदानी पुलिस अफसरों से भी कहा कि हर जिले की कानून व्यवस्था के लिये एक रोडमैप होना जरूरी है। इसमें त्वरित कदमों वाला और दीर्घकालिक कदमों का वर्गीकरण भी रहना जरूरी है।
और अंत में...........
शिवराज सिंह चौहान मंत्रिमंडल में केवल ज्योतिरादित्य सिंधिया समर्थक तुलसीराम सिलावट और गोविंद सिंह राजपूत के शामिल होने पर अब भाजपा में भी प्रतिक्रिया सामने आ रही है। पूर्व मंत्री और वरिष्ठ भाजपा विधायक अजय विश्‍नोई ने ट्वीट किया है कि महाकौशल अब उड़ नहीं सकता फड़फड़ा सकता है। मध्य प्रदेश में सरकार का पूर्ण विस्तार हो गया है। ग्वालियर, चंबल ,भोपाल, मालवा क्षेत्र का हर दूसरा भाजपा विधायक और सागर, शहडोल संभाग का हर तीसरा भाजपा विधायक मंत्री है। महाकौशल के 13 भाजपा विधायकों में से 1 को और रीवा संभाग के 18 भाजपा विधायकों में 1 को राज्यमंत्री बनने का सौभाग्य मिला है। महाकौशल और विन्ध को अब  खुश रहना होगा। खुशामद करते रहना होगा। अजय विश्‍नोई का  यह ट्वीट अपने आपमें काफी कुछ कह जाता है अब इसमें निहित अर्थ को समझने तथा इस अंचल के भाजपा विधायकों के मानस को समझे की बारी भाजपा नेतृत्व की है।
अरुण पटेल, लेखक                                                                 ये लेखक के अपने विचार है I 
प्रबंध संपादक सुबह सवेर 
कार्यकारी संपादक अमृत संदेश    

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