माफियाओं के मकड़जाल से मध्यप्रदेश वासियों को राहत दिलाने की शुरुआत तत्कालीन मुख्यमंत्री कमलनाथ ने की थी पर उसके बाद उनकी सरकार ज्यादा दिन नहीं चल पाई। उसके बाद जबसे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने फिर से एक बार प्रदेश की कमान संभाली है I उन्होंने भी माफियाओं के खिलाफ सघन अभियान चलाया है। कई वर्षों से प्रदेश में जहरीली शराब का कारोबार भी अपने पैर पसार चुका है। मुरैना जिले के 3 गांवों में जहरीली शराब पीने से 22 जिंदगियां मौत के आगोश में समा गई हैं ।प्रदेश में यह कोई पहली घटना नहीं इस प्रकार की घटनाएं मध्य प्रदेश ही नहीं बल्कि अन्य प्रदेशों में भी होती रही हैं। राज्य सरकार माफिया पर अपना शिकंजा कसने के लिए राजनीतिक इच्छाशक्ति के साथ प्रतिबद्ध नजर आ रही है। मुरैना जिले की घटना के बाद यह जरूरी हो गया है कि 'शिव' अपना तीसरा नेत्र खोलें। शिवराज सिंह चौहान के तेवर अंदाज तथा कार्यशैली पूर्व की तुलना में काफी बदली हुई है और अब वह समय आ गया है जबकि वह अपना रौद्र रूप दिखाएं तथा अवैध जहरीली शराब परोसने वाले मौत के सौदागरों पर प्रशासन का चाबुक चलाकर उन्हें नेस्तनाबूद करने में कोई कोर- कसर बाकी ना रखें। तब ही हंसती खेलती जिंदगी और उनके परिवार तबाह होने से बच पाएंगे। इस घटना के बाद शिवराज जिस प्रकार से एक्शन मोड में आए हैं उसको देखकर लगता है कि वह ऐसे मामलों में कतई ढिलाई बरतने वाले नहीं है। राजधानी में आज सुबह सवेरे ही मुख्यमंत्री चौहान ने अपने निवास पर उच्च स्तरीय बैठक बुलाकर निर्णय लिया है कि शराब सेवन से मृत्यु के मामलों में कलेक्टर, एसपी और आबकारी अधिकारी दोषी होंगे। कड़े कदम उठाना इसलिए जरूरी था क्योंकि इस प्रकार के काले धंधे बिना प्रशासन की सांठगांठ या जानबूझकर अनदेखी के बिना संभव नहीं होते हैं, जब तक कि निचले स्तर की नौकरशाही और रसूखदार राजनेताओं और माफियाओं के बीच अनैतिक गठजोड़ ना हो। जिला प्रशासन, पुलिस और आबकारी अमला चाक-चौबंद रहेगा तो इस प्रकार की घटनाएं आसानी से नहीं हो पाएंगी। कलेक्टर पूरे जिले का प्रशासनिक मुखिया होता है तथा एसपी पुलिस का और आबकारी अधिकारी अपने विभाग का मुखिया रहता है। इस प्रकार की घटनाओं के लिए इन तीनों को दोषी मानने का जो निर्णय हुआ है उसका निश्चित तौर पर अन्य जिलों में भी संदेश जाएगा और यदि इन विभागों के जिलों के मुखिया तीखे तेवर दिखाने लगेंगे तो फिर इस प्रकार के धंधे आसानी से नहीं हो पाएंगे। मुख्यमंत्री ने मुरैना कलेक्टर और एसपी को हटाने के निर्देश दिए हैं । जौरा एसडीओपी सुजीत सिंह भदौरिया भी कार्रवाई की चपेट में आ गए हैं। राज्य सरकार ने विशेष जांच दल भी गठित कर दिया है I उच्च स्तरीय बैठक में मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि मुरैना की घटना अमानवीय और तकलीफ पहुंचाने वाली है। प्रदेश में मिलावट के विरुद्ध अभियान संचालित है, फिर भी यह घटना हुई जो बहुत दु:खद है। निश्चित तौर पर शिवराज ने सही कहा है कि जब प्रदेश में माफियाओं के खिलाफ अभियान चल रहा है तो इस प्रकार की घटनाएं होना अधिक गंभीर हो जाती हैं।मुख्यमंत्री ने संबंधित क्षेत्र के एसडीओपी को निलंबित करने के निर्देश दिए गए हैं। आबकारी अधिकारी को पूर्व में ही निलम्बित किया जा चुका है। मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि इस पूरे मामले की जांच कर रिपोर्ट सौंपी जाए और इस तरह की घटना की पुनरावृत्ति न हो। अन्य जिले भी सजग रहें। ऐसे मामलों में कलेक्टर, एस.पी. की जिम्मेदार मानी जाएगी और दोषी अधिकारियों के खिलाफ एक्शन भी लिया जाएगा ।
शिवराज नहीं रह सकते मूकदर्शक
शिवराज ने साफ-साफ कह दिया है कि ऐसी घटना पर मैं मूकदर्शक नहीं रह सकता और ड्रग माफिया के विरुद्ध सख्त अभियान जारी रखा जाये तथा अवैध शराब के खिलाफ अभियान चले। अवैध शराब बिक्री पर पूरा नियंत्रण हो। ऐसा व्यापार करने वालों को ध्वस्त किया जाए। मुख्यमंत्री ने मुरैना जिले में हुई घटना में उपयोग में लाई गई मिलावटी शराब के निर्माण केन्द्र और दोषी व्यक्तियों के विरुद्ध कार्यवाही के साथ ही संबंधित डिस्टलरी की जांच के निर्देश भी दिए है। मुख्यमंत्री ने आबकारी अमले और पुलिस अमले की पदस्थापना में निश्चित समयावधि के बाद परिवर्तन के निर्देश भी दिए। डिस्टलरी के लिए पदस्थ आबकारी अमले और ओआईसी को ओवर टाइम दिए जाने की व्यवस्था में भी परिवर्तन किया जाए। ऐसी व्यवस्था करना इसलिए जरूरी है क्योंकि यदि लंबे समय तक एक ही जगह पर अधिकारी कर्मचारी पदस्थ रहते हैं तो फिर ऐसे अवैध कारोबार करने वाले संगठित गिरोह से रिश्ते बन जाने की संभावना को नकारा नहीं जा सकता है। अब जरूरत इस बात की है की सरकार इस प्रकार के माफिया के संगठित गिरोह के सरगनाओं तक भी पहुंचे और उन्हें गिरफ्त में ले। जब तक ऐसा नहीं होगा तब तक जहरीली शराब लोगों की जिंदगी को निगलती रहेगी और परिवार तबाह होते रहेंगे। प्रदेश में बीते 9 माह में जहरीली शराब पीकर मरने वालों की संख्या लगभग 40 हो गई है। इससे यह भी पता चलता है कि सरकारी तंत्र शराब के अवैध कारोबार को रोकने में नाकाम रहा है। विगत 15 अक्टूबर 2020 को ही उज्जैन में जहरीली शराब पीने से 14 लोग मौत के आगोश में समा गए थे। उस समय पूरे प्रदेश में देसी शराब के अवैध कारखानों पर छापे मारे गए थे। फिर भी यह धंधा चल रहा है इसलिए और प्रभावी जमीनी कार्रवाई की आवश्यकता है और निचले स्तर की नौकरशाही पर भी नकेल जरूरी है।
और अंत में..............
यदि प्रदेश में जहरीली शराब पीने से 22 लोगों की मौत हो जाए तो आरोपों के तीर छोड़ने में विपक्षी दल तनिक भी देरी नहीं करते फिर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और राज्य विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष कमलनाथ कहां चुप रहने वाले थे। कमलनाथ ने कहा कि टांग दूंगा ,लटका दूंगा, सब गुमराह करने वाली बातें हैं। भाजपा सरकार में माफियाओं के हौसले बुलंद हैं शिवराजजी आखिर शराब माफिया कब तक यूं ही लोगों की जान लेता रहेगा। कमलनाथ का बोलना जरूरी था क्योंकि अब मध्यप्रदेश के राजनीतिक फलक पर शिवराज और कमलनाथ आमने-सामने रहने वाले हैं। कमलनाथ ने कांग्रेस की 6 सदस्यों की जांच कमेटी गठित कर दी है जिसमें विधायकों बैजनाथ कुशवाहा, अजब सिंह कुशवाहा, राकेश मवई तथा रविंद्र सिंह तोमर के साथ ही किसान कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष दिनेश गुर्जर और मुरैना शहर कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष दीपक शर्मा को शामिल किया गया है। वैसे देखा जाए तो मुख्यमंत्री चौहान ने भी बिल्कुल देरी नहीं की और तत्काल ही प्रभावी कार्रवाई की है फिर भी अभी कुछ दिन तक इस मामले को लेकर आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी रह सकता है। इसका अंदाजा इस बात से लगता है कि पूर्व मंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस विधायक सज्जन सिंह वर्मा ने तंज किया है कि केवल फिल्मी तरीके से संवाद बोलने से नहीं सुधरती कानून व्यवस्था की स्थिति और मुख्यमंत्री डायलॉग जरूर मारे पर काम करके भी दिखाएं।
महाराष्ट्र में भाजपानीत महायुति और कांग्रेसनीत महाविकास आघाडी के लिए इस बार का विधानसभा चुनाव जीतना राजनीतिक जीवन मरण का प्रश्न बन गया है। भाजपा ने शुरू में यूपी के…
लोकसभा विधानसभा चुनाव के परिणाम घोषित हो चुके हैं।अमरवाड़ा उपचुनाव में भाजपा प्रत्याशी कमलेश शाह को विजयश्री का आशीर्वाद जनता ने दिया है। लोकसभा चुनाव में भाजपा ने 29 की 29 …
छत्तीसगढ़ के नीति निर्धारकों को दो कारकों पर विशेष ध्यान रखना पड़ता है एक तो यहां की आदिवासी बहुल आबादी और दूसरी यहां की कृषि प्रधान अर्थव्यस्था। राज्य की नीतियां…
भाजपा के राष्ट्रव्यापी संगठन पर्व सदस्यता अभियान में सदस्य संख्या दस करोड़ से अधिक हो गई है।पूर्व की 18 करोड़ की सदस्य संख्या में दस करोड़ नए सदस्य जोड़ने का…
छत्तीसगढ़ राज्य ने सरकार की योजनाओं और कार्यों को पारदर्शी और कुशल बनाने के लिए डिजिटल तकनीक को अपना प्रमुख साधन बनाया है। जनता की सुविधाओं को ध्यान में रखते…
वर्तमान समय में टूटते बिखरते समाज को पुनः संगठित करने के लिये जरूरत है उर्मिला जैसी आत्मबल और चारित्रिक गुणों से भरपूर महिलाओं की जो समाज को एकजुट रख राष्ट्र…