भोपाल । मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि किसी भी योजना के बेहतर ढंग से क्रियान्वयन के लिए लक्ष्य तय करने के बाद उसकी बेहतर तरीके से निगरानी भी आवश्यक है और इसके बाद ही तय परिणाम हासिल किए जा सकते हैं। आम आदमी की जिन्दगी सरल हो, उसे किसी कार्यालय के चक्कर न लगाने पड़ें, यही सुशासन है और इसे लागू करने के लिए मध्यप्रदेश में जो पूर्व में कार्य हुआ है, उसे तकनीकी सहयोग से अधिक बेहतर तरीके से क्रियान्वित किया जाएगा। मुख्यमंत्री प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य के परिप्रेक्ष्य में आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश बनाने के प्रयासों के सिलसिले में आयोजित वेबिनार में यह बात कही। वेबिनार के जरिए विशेषज्ञों की ओर से आने वाले सुझावों की मदद से आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश बनाने का रोडमेप तैयार किया जा रहा है। इसी क्रम में शनिवार को सुशासन विषय पर वेबिनार का आयोजन किया गया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि योजनाएं बनाई जाती हैं और उनका क्रियान्वयन भी किया जाता है। लेकिन यदि उनकी का निगरानी तंत्र नहीं हो, तो अपेक्षित परिणाम नहीं मिल पाते हैं। उन्होंने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि इसलिए क्रियान्वयन की निगरानी आवश्यक है और तभी हम अपने निर्धारित लक्ष्य हासिल कर पाएंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि वे पहले योजनाओं के क्रियान्वयन का जायजा लेने स्वयं निकलते थे, लेकिन भौतिक रूप से प्रत्येक जगह जाना संभव नहीं हो पाता था। इसलिए उन्होंने एक तंत्र विकसित कर दिया, जिसमें आम व्यक्ति अपना फीडबैक देने या शिकायत दर्ज कराने का कार्य करते हैं। इसके साथ ही शिकायत दर्ज कराने के लिए लोक सेवा विभाग के जरिए निजी लोगों की सेवाएं ली जाने लगीं, ताकि शिकायत दर्ज करने में कोई गड़बड़ी नहीं कर सके। और शिकायत के निराकरण के निगरानी की भी व्यवस्था की गयी।
आम आदमी के लिए ईज ऑफ लाइफ सरकार का ध्येय
मुख्यमंत्री ने कहा कि आम आदमी के लिए ईज ऑफ लाइफ सरकार का ध्येय रहेगा। इन प्रयासों को बेहतर ढंग से करते हुए प्रदेश के नागरिकों के जीवन में संतुष्टि और जीवन के आनंद का स्तर बढ़ाने का कार्य किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी जो चुनौतियों का डटकर मुकाबला करने वाले अद्भुत नेता हैं, उन्होंने आत्मनिर्भर भारत का संकल्प दिलवाया है। मध्यप्रदेश इसके अनुरूप आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश का निर्माण कर दिखायेगा। आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश का दस्तावेज तैयार करने के लिए ऐसे विचार जो जमीन पर उतर सकते हैं, उन्हें अमल में लाया जाएगा। इस वेबीनार में मिले सुझाव आम जनता के कल्याण की दृष्टि से उपयोगी होंगे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि मध्यप्रदेश में प्राकृतिक संसाधन, आदर्श भौगोलिक स्थिति, अच्छा उत्पादन, वनोपज, कला, संस्कृति, पर्यटन, हाथकरघा, सांस्कृतिक परम्पराएं विद्यमान हैं। आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश के लिए महत्वपूर्ण सुझाव प्राप्त होंगे। लेकिन बिना सुशासन के इन्हें लागू नहीं किया जा सकता। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि उन्होंने पुराने कार्यकाल में अपूर्ण सिंचाई योजनाओं को पूरा किया। अधूरे बांधों का निर्माण किया गया। इसके फलस्वरूप सिंचाई क्षमता सात लाख हेक्टेयर से बढ़कर चालीस लाख हेक्टेयर को पार कर गई।
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