शिवराज सरकार-भरोसा बरकरार, स्वच्छता के साथ पर्यावरण सुरक्षा के प्रति भी जागरूक है मध्यप्रदेश
Updated on
25-03-2021 10:34 AM
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में प्रदेश में स्वच्छता के नये आयाम स्थापित करने के साथ ही जल-वायु की शुद्धता, संरक्षण एवं संवर्धन के प्रयास निरंतर जारी हैं। ग्रामीण क्षेत्रों के कचरे एवं मल-जल से होने वाले प्रदूषण से मुक्त करने के लिये भी योजनाएँ बनाई जा रही हैं। युवाओं को पर्यावरण संबंधी विषयों में प्रशिक्षित करने के लिये एप्को द्वारा डिप्लोमा कोर्स चलाने के साथ छोटी अवधि के प्रशिक्षण कार्यक्रम भी किये जाते हैं। पर्यावरण जागरूकता के साथ ही इनसे रोजगार के अवसर भी उपलब्ध होते हैं।
मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने कोविड-19 महामारी के दौरान जनित 2200 मीट्रिक टन कोविड वेस्ट और 6120 मीट्रिक टन जैव-चिकित्सीय अपशिष्ट का निष्पादन प्रदेश में स्थापित इन्सिनरेटर्स में करवाया। इससे संक्रमणित कचरा इधर-उधर नहीं फैला और कुछ हद तक संक्रमण फैलने पर अंकुश लग सका।
प्रदेश के तालाबों और जल-संरचनाओं के संरक्षण का काम भी जारी है। रतलाम के अमृत सागर तालाब के लिये केन्द्र सरकार से स्वीकृति के बाद 21 करोड़ रुपये से संरक्षण का कार्य आरंभ कर दिया गया है। वहीं सीता सागर, दतिया के संरक्षण एवं प्रबंध की योजना केन्द्रीय पर्यावरण मंत्रालय से स्वीकृत हो गई है। जल्द ही 13 करोड़ 85 लाख की लागत की इस परियोजना का कार्य शुरू होने जा रहा है। धार जिले के मुंज सागर, देवी सागर और धूप सागर तालाब के लिये 37 करोड़ रूपये की योजना का प्रस्ताव केन्द्र शासन को भेजा गया है। योजना में प्रदेश के अन्य जिलों के प्रस्ताव भी तैयार किये जा रहे हैं।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की घोषणा के पालन में मंदसौर जिले की शिवना नदी को प्रदूषण-मुक्त बनाने के लिये लगभग 100 करोड़ का प्रस्ताव केन्द्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय को भेजा गया है।
अति प्रदूषणकारी प्रकृति के 211 उद्योगों में सतत ऑनलाइन मॉनीटरिंग उपकरणों की स्थापना कराई गई। इसकी निगरानी म.प्र. प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड में स्थापित इन्वायरमेंट सर्विलेंस सेंटर, भोपाल द्वारा की जा रही है। प्लास्टिक पैकिंग उपयोग करने वाली इकाइयों के लिये एक्सटेंडेड प्रोड्यूसर्स रिस्पांसबिलिटी (ईपीआर) के तहत 16 ईपीआर संस्थाओं का पंजीयन किया गया है। इससे प्लास्टिक पैकिंग करने वाली इकाई अपने वेस्ट का निष्पादन पंजीकृत संस्थाओं के माध्यम से कर रही हैं और प्लास्टिक वेस्ट पर्यावरण को प्रदूषित नहीं कर रहा।
नर्मदा नदी में प्रदूषण पर निगरानी रखने के लिये उद्गम स्थल अमरकंटक से अलीराजपुर तक 50 स्थलों पर जल गुणवत्ता मापन का कार्य किया जा रहा है। नर्मदा नदी के जलग्रहण क्षेत्र में स्थापित जल प्रदूषणकारी उद्योगों में आवश्यक दूषित जल उपचार संयंत्रों की स्थापना से निस्त्राव की स्थिति शून्य हो गई है। अन्य नदियों की जल शुद्धता जाँचने के लिये भी निरंतर जल गुणवत्ता मापन किया जा रहा है। डिस्टलरी और अन्य जल प्रदूषणकारी उद्योगों में अत्याधुनिक उपकरणों की स्थापना से प्रदेश में औद्योगिक जल प्रदूषण की समस्या को नियंत्रित किया गया है।
भारत सरकार के सहयोग से प्रदेश के भोपाल, इंदौर, जबलपुर और ग्वालियर शहर में वायु प्रदूषण नियंत्रण के लिये विशेष कार्य-योजना बनाकर कार्य किया जा रहा है। योजना में प्रदेश को 149 करोड़ 50 लाख रूपये की राशि भारत सरकार से मिली है।
मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा भोपाल सहित प्रदेश के 17 क्षेत्रीय कार्यालयों के माध्यम से पर्यावरण की निगरानी की जा रही है। प्रदेश में वायु की शुद्धता, ध्वनि प्रदूषण और वाहनों से होने वाले प्रदूषण की जाँच का काम लगातार किया जा रहा है।
सभी जिलों में परिवेशीय वायु गुणवत्ता मापन का कार्य किया जा रहा है। वर्तमान में 18 प्रमुख शहरों में हवा की शुद्धता की निरंतर जाँच के लिये वायु गुणवत्ता मापन स्टेशन स्थापित किये जा चुके हैं। हवा की शुद्धता की जाँच के संबंध में आम जनता को 'ईएनवी अलर्ट'' मोबाइल एप उपलब्ध कराया गया है। इस एप के माध्यम से आमजन अपने मोबाइल से प्रमुख शहरों की वायु गुणवत्ता की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। भोपाल और ग्वालियर में होने वाले वायु प्रदूषण के कारणों का एआरएआई, पुणे और आईआईटी, कानपुर से विस्तृत अध्ययन करवाया जा रहा है।
लेखक,हरदीप सिंह डंग ये लेखक के अपने विचार है I
प्रदेश के पर्यावरण, नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा मंत्री हैं I
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