इस वर्ष भी शारदीय नवरात्रि माता रानी के साधको द्वारा श्रद्धाभक्ति के साथ मनाया जा रहा है परन्तु इस वर्ष लोगों के मन में अष्टमी और नवमी तिथि को लेकर उलझन की स्थिति बनी हुई है। क्योकि इन 2 दिनों का नवरात्र का दुर्गा पूजा में विशेष महत्व है। इन दिनों में सुहागन महिलाएं माता को भेंट देती हैं और पूरे 9 दिन व्रत रखकर घर परिवार में सुख समृद्धि की कामना करती हैं। इन दो दिनों में बहुत से ऐसे लोग भी व्रत रखते हैं जो पूरे नवरात्र का व्रत नहीं रख पाते हैं या पूरे नवरात्र कन्या पूजन नहीं कर पाते हैं। इस वर्ष इन तिथियों को लेकर उलझन की स्थिति इसलिए है क्योंकि 23 तारीख से सप्तमी उपरांत अष्टमी और 24 तारीख को अष्टमी और नवमी तिथि लग रही है। यही स्थिति दशमी तिथि को लेकर भी है क्योंकि 25 तारीख को नवमी उपरांत दशमी लग रही है।
इसलिए उलझन यह है कि किस दिन कौन सी तिथि मान्य होगी ?
इस विषय में हमारे शास्त्र और धर्मग्रंथ का प्रमाण यथोचित दिया जा रहा है :
शास्त्रों में बताया गया है कि जिस दिन सूर्योदय के समय आश्विन शुक्ल अष्टमी तिथि हो उस दिन श्रीदुर्गाष्टमी और महाष्टमी का व्रत पूजन किया जाना चाहिए। लेकिन शर्त यह भी है कि यह अष्टमी तिथि सूर्योदय के कम से कम 1 घड़ी यानी 24 मिनट तक होनी चाहिए। सप्तमी युक्त अष्टमी तिथि को महाअष्टमी नहीं मानना चाहिए। लेकिन दूसरे दिन अष्टमी तिथि 24 मिनट से भी कम हो तब इस तिथि में सप्तमी युक्त अष्टमी तिथि को महाष्टमी का व्रत पूजन कर लेना चाहिए। इन्हीं बातों को धर्मसिंधु ज्योतिषीय ग्रंथ में इस प्रकार कहा गया है।
चूंकि देश के कुछ भागों में 24 अक्टूबर को अष्टमी तिथि एक घड़ी से भी कम है ऐसे में उन भागों में अष्टमी तिथि का व्रत पूजन 23 अक्टूबर को किया जाना शास्त्र सम्मत होगा। लेकिन जहां भी सूर्योदय सुबह 6 बजकर 35 मिनट से पहले होगा वहां पर 24 अक्टूबर शनिवार को अष्टमी की पूजा होगी।
इस नियम के अनुसार गुजरात, जम्मू, पंजाब, राजस्थान, उत्तर पश्चिमी हिमाचल प्रदेश में अष्टमी तिथि 23 अक्टूबर को होगी जबकि अन्य भागों उत्तराखंड दिल्ली, हरियाणा, पूर्वी राजस्थान, मध्यपूर्वी महाराष्ट्र के साथ भारत के अन्य भागों में 24 अक्टूबर को अष्टमी और नवमी तिथि मान्य रहेगी। यहां 24 अक्टूबर को नवमी तिथि का व्रत पूजन भी किया जाना शास्त्र सम्मत होगा लेकिन हवन संबंधी कार्य नवमी युक्त दशमी तिथि को यानी 25 अक्टूबर को किया जाना शास्त्र के अनुसार उचित रहेगा।
नवरात्र अष्टमी तिथि समाप्त 24 अक्टूबर 6 बजकर 59 मिनट तक
इसके बाद नवमी तिथि आरंभ।
धर्मसिन्धु के मतानुसार नवमी और दशमी तिथि इनमें अष्टमी 24 अक्टूबर, नवमी 25 अक्टूबर दशमी अपराजिता पूजा 26 अक्टूबर को बताई गई है। आप अपने क्षेत्र विशेष के सूर्योदय अनुसार इस व्रत और मुहूर्त का पालन करते हुए नवरात्र का त्योहार मना सकते हैं।