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छठ के दिन शारदा सिन्हा पंचतत्व में विलीन, बेटे ने दी मुखाग्नि, राजकीय सम्मान के साथ विदाई

Updated on 07-11-2024 03:53 PM
बिहार की स्वर कोकिला और छठ जैसे महापर्व की पर्याय मानी जानेवालीं सिंगर शारदा सिन्हा आज पंचतत्व में विलीन हो गईं। उनके बेटे अंशुमन ने आंखों से अधिक दिल में आंसुओं का सैलाब लिए उन्हें मुखाग्नि दी। उनके अंतिम संस्कार पर उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर के सम्मान के साथ उन्हें विदाई दी गई।

राजकीय सम्मान के साथ शारदा सिन्हा को अंतिम विदाई दी गई। गुलबी घाट पर सिंगर का अंतिम संस्कार किया गया। नम आंखों से लोगों ने दी विदाई। कई नेता भी अंतिम दर्शन में हुए शामिल। एक तरफ जहां बिहार के लोग छठ पूजा की तैयारी में जुटे हैं, वहीं हर किसी के दिल में शारदा सिन्हा को खोने का एक दर्द है। भारी मन से इस बार उनके चाहने वाले छठ मना रहे हैं और उनके लिए हर दिल रो रहा है।

हॉस्पिटल में भी आखिरी समय में शारदा सिन्हा कर रही थीं गाने का रियाज

'शारदा सिन्हा अमर रहें' और 'छठी मइया जय' के नारे लगाए


शारदा सिन्हा का पार्थिव शरीर पटना के राजेंद्र नगर स्थित उनके घर से निकला, जहां घर के लोगों ने उनके पार्थिव शरीर को कंधा दिया है। शारदा सिन्हा को विदाई देने के लिए भारी संख्या में भीड़ वहां जमा हुई, जिसमें उनके अनगिनत फैन्स शामिल हैं। इस अंतिम विदाई के दौरान लोगों ने 'शारदा सिन्हा अमर रहें' और 'छठी मइया जय' के नारे भी लगाए।

मंगलवार रात 9 बजकर 20 मिनट पर ली अंतम सांस


शारदा सिन्हा ने मंगलवार रात 9 बजकर 20 मिनट पर दिल्ली के एम्स में आखिरी सांस ली। बता दें कि शारदा सिन्हा बीमारी से लंबे समय से जूझ रही थीं। वो करीब 15 दिनों से हॉस्पिटल में भर्ती थीं। शारदा सिन्हा साल 2017 से ही ब्लड कैंसर से जूझ रही थीं। हालांकि, उनकी हालत हाल ही में तब अधिक खराब हो गई, जब उनके हसबैंड का निधन हुआ। उनके बेटे अंशुमन ने बताया था कि पिता के गुजरने के बाद से मां इस बीमारी की चपेट में पूरी तरह से उलझ गईं।

शारदा सिन्हा की आवाज तब खामोश हो गई जब छठ का पहला दिन था


छठ पूजा के गीत शारदा सिन्हा के गीतों के बिना अधूरी है। उन्होंने छठ महापर्व के लिए 'केलवा के पात पर उगलन सूरजमल झुके झुके' और 'सुनअ छठी माई' जैसे कई छठ गीत गाए हैं। इन गीतों के बिना छठ पर्व मानो बिल्कुल अधूरा है। उनके गाए गीत देश क्या, सात समुंदर पार भी सुने जाते हैं। मंगलवार की रात शारदा सिन्हा की आवाज तब खामोश हो गई, जब छठ महापर्व का पहला दिन था।

पद्मश्री' और 'पद्म भूषण' से सम्मानित


यहां बताते चलें कि संगीत की दुनिया में उनके अहम योगदान के लिए शारदा सिन्हा को साल 1991 में 'पद्मश्री' और साल 2018 में 'पद्म भूषण' से सम्मानित किया गया था। यह सम्मान उनके अद्वितीय गायन के साथ-साथ भारतीय संगीत और संस्कृति को समर्पित उनके योगदान का प्रतीक हैं।

बॉलीवुड में भी अपनी गायकी का जलवा बिखेरा


शारदा सिन्हा का जाना देश के संगीत खासकर भोजपुरी, मैथिली और मगही के लिए बहुत बड़ी क्षति है। शारदा सिन्हा ने अपनी मधुर आवाज से न केवल भोजपुरी और मैथिली संगीत को नई पहचान दिलाई, बल्कि बॉलीवुड में भी अपनी गायकी का जलवा बिखेरा। उनकी आवाज में सलमान खान की फिल्म 'मैंने प्यार किया' का गाना 'कहे तो से सजना' बेहद लोकप्रिय हुआ। इसके अलावा, उन्होंने 'गैंग्स ऑफ वासेपुर पार्ट 2' और 'चारफुटिया छोकरे' जैसी फिल्मों में भी गाने गाए, जिन्हें दर्शकों ने खूब सराहा।

खेतों से लेकर बड़े मंचों तक का लंबा सफर तय किया


लोक गायिका शारदा सिन्हा का जन्म 1 अक्टूबर 1952 को बिहार के सुपौल जिले के हुलास गांव में हुआ था। बचपन से ही संगीत में गहरी रुचि रखने वालीं शारदा ने अपनी मेहनत और संगीत के प्रति जुनून से खेतों से लेकर बड़े मंचों तक का लंबा सफर तय किया। शारदा सिन्हा खास तौर पर छठ पूजा के गीतों के लिए प्रसिद्ध हैं और उन्होंने भारतीय संगीत में अपनी एक अलग पहचान बनाई है।

ससुराल से शुरू हुआ शारदा सिन्हा का करियर


शारदा सिन्हा का संगीत यात्रा बिहार के बेगूसराय जिले के सिहमा गांव से शुरू हुई, जहां उनके ससुराल वाले रहते थे। यहीं पर उन्होंने मैथिली लोकगीतों के प्रति अपनी रुचि विकसित की, जो बाद में उनके संगीत कर‍ियर का आधार बनी।

उनके गीतों ने छठ पूजा की रौनक को खूब बढ़ाया


शारदा ने न केवल मैथिली, बल्कि भोजपुरी, मगही और हिंदी संगीत में भी अपनी आवाज का जादू बिखेरा। इलाहाबाद में आयोजित बसंत महोत्सव में शारदा ने अपने गायन से सभी को मंत्रमुग्ध किया और प्रयाग संगीत समिति ने उनकी प्रतिभा को पहचानते हुए उन्हें मंच पर प्रदर्शन करने का अवसर दिया। साल 2016 में, शारदा सिन्हा ने 'सुपवा ना मिले माई' और 'पहिले पहिल छठी मैया' जैसे दो नए छठ गीतों को रिलीज किया। इन गीतों ने छठ पूजा की पारंपरिक महत्ता को एक बार फिर लोगों के दिलों में जिंदा कर दिया और इस धार्मिक पर्व की भावना को न केवल बिहार, बल्कि पूरे देश में फैलाया। शारदा सिन्हा का संगीत छठ पूजा के गीतों में विशेष रूप से अनोखा महत्व रखता है, और उनकी आवाज ने इस धार्मिक अवसर को और भी गहरा बना दिया।


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