शिक्षा में शामिल हो..... और शिक्षा सत्र मैं परिवर्तन हो
Updated on
20-06-2022 04:22 AM
शिक्षा पहले के जमाने में गुरुकुल आधार पर होती थी जहा शास्त्र ज्ञान के साथ शस्त्र ज्ञान भी सिखाया जाता था। फिर दौर आया पारंपरिक शिक्षा का वक्त के शासन कॉल अनुसार शिक्षा के विषय बदलते रहे। स्वतंत्रता के दौर के बाद शिक्षा के स्तर में फिर परिवर्तन हुआ अंग्रेजी और संस्कृत ऐच्छिक विषय हो गए पर साथ ही खादी के लिए तकली से सूत काटकर धागा बनाना, हस्तकला, नैतिक शिक्षा, पीटी, खेलकूद आदि के विषय शामिल हुए और सांस्कृतिक कार्यक्रम अधिकतर राष्ट्रीयता के आधार पर होने लगे। धीरे धीरे फिर इंग्लिश मीडियम स्कूलों का दौर शुरू हुआ और शिक्षा के क्षेत्र में फैंसी शुरुआत हो गई और भारतीय संस्कृति आहत हुई जैसे मेहंदी नहीं लगा सकते आदि परंतु फिर भी पेरेंट्स सोचने लगे बच्चों का भविष्य इंग्लिश मीडियम में पढ़ाने से ही बनेगा। ब्रांडेड स्कूल वालों ने पेरेंट्स के इस सेंटीमेंट को अपना बिजनेस बना लिया और प्री नर्सरी, नर्सरी, के जी 1, के जी 2 और फिर पहली कक्षा में एडमिशन का दौर शुरू हो गया। पहली कक्षा के पहले यह जो 4 साल मां बाप ब्रांडेड स्कूल में अच्छा खासा पैसा देते हैं और बच्चा वही सीखता हैं जो अमूमन घर पर सिखाया जा सकता है। हायर सेकेंडरी तक 12 साल फिर कॉलेज की डिग्री 3 से 5 साल, बच्चे के डिग्री लेने तक उसकी उम्र तकरीबन 22 से 25 साल। करोड़ों बच्चों में कुछ ही उच्च जाॅब पाते हैं और अनेक बच्चे बेरोजगार रह जाते हैं। जबकी16 साल के बच्चों को रोजगार सिख लेना चाहिए।
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