मध्यप्रदेश की औद्योगिक राजधानी माने जाने वाले इंदौर में रविवार 30 जुलाई का दिन पूरी तरह सियासत से भरा हुआ रहा और एक ओर जहां देश के गृहमंत्री अमित शाह ने कार्यकर्ताओं को जीत का मंत्र दिया तो वहीं दूसरी ओर कमलनाथ ने आदिवासियों को रिझाने के लिए यहां पर आदिवासी युवा महापंचायत को सम्बोधित करते हुए आदिवासियों के बीच से कांग्रेस की जीत की राह खोजने की कोशिश की। कांग्रेस नेता एनयूएसआई के राष्ट्रीय प्रभारी कन्हैया कुमार ने भी यहां युवा आदिवासियों की मांग का समर्थन करते हुए उनका दिल जीतने का प्रयास किया।
अमित शाह ने चुनाव अभियान का शंखनाद करते हुए विपक्षी दलों पर जहां जमकर निशाना साधा तो वहीं उन्होंने यह कहकर कार्यकर्ताओं का दिल जीतने की कोशिश की कि मंच पर बैठे नेता चुनाव नहीं जिताते हैं बल्कि जिताते तो हैं बूथ कार्यकर्ता। इन दिनों मध्यप्रदेश में भाजपा के तीन धड़ों में बंटे होने की बात रह-रह कर सामने आती है और कहा जा रहा है कि यहां पर एक महाराज भाजपा है, एक नाराज भाजपा है और एक शिवराज भाजपा है। खासकर जबसे ज्योतिरादित्य सिंधिया के सहयोग से शिवराज फिर से चौथी बार प्रदेश के मुखिया बने हैं तबसे भाजपा के निष्ठावान कार्यकर्ताओं में से अनेक अपने को उपेक्षित महसूस कर रहे हैं। कार्यकर्ताओं के इस मन को बखूबी शाह ने समझा और यही कारण है कि उन्होंने सार्वजनिक तौर के अलावा अपनी आंतरिक बैठकों में प्रदेश से जुड़े भाजपा नेताओं को यह सीख दी है कि पहले उपेक्षित बैठे कार्यकर्ताओं को सक्रिय किया जाए, रुठे कार्यकर्ताओं को मनाया जाए और उन्हें पूरा सम्मान दिया जाए। इसके लिए विभिन्न नेताओं को जिम्मेदारियां सौंपी गयी हैं। केंद्रीय कृषि मंत्री और चुनाव प्रबंधन समिति के प्रभारी नरेंद्र सिंह तोमर विध्य अंचल का दौरा कर इस अभियान का आगाज कर चुके हैं। ज्यादातर कार्यकर्ताओं में नाराजगी की शिकायतें वैसे तो हर अंचल में हैं लेकिन विंध्य एवं महाकौशल अंचल के नेता अपने को अधिक उपेक्षित महसूस कर रहे हैं। 2018 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को विंध्य अंचल में अच्छी सफलता मिली थी और उसे बनाए रखने को पार्टी सर्वोच्च प्राथमिकता दे रही है। जिनको सत्ता में भागीदारी नहीं मिल पाई उनमें से कुछ चुने हुए नेताओं को संगठन तथा विभिन्न समितियों में रखकर संतुष्ट किया गया है।
शाह ने जानापाव पहुंच कर नवनिर्मित भगवान परशुराम मंदिर में दर्शन किये और प्राचीन जानकेश्वर महादेव मंदिर में अभिषेक व पूजन किया। चूंकि यहां पर मुख्य मुकाबला भाजपा व कांग्रेस में है इसलिए उनके निशाने पर पूर्व मुख्यमंत्री द्वय कमलनाथ और दिग्विजय सिंह रहे। दोनों पर निशाना साधते हुए अमित शाह ने कमलनाथ को करप्शन नाथ तो दिग्विजय सिंह को श्रीमान बंटाढार निरुपित किया। उन्होंने आरोप लगाया कि इन्होंने प्रदेश में सिर्फ कमीशन खाने की इंडस्ट्री चलाई। भाजपा कार्यकर्ताओं को आने वाले विधानसभा चुनाव और उसके बाद होने वाले 2024 के लोकसभा चुनाव में जीत का संकल्प दिलाया और उम्मीद व्यक्त करते हुए कहा कि कार्यकर्ताओं का उत्साह बताता है कि 2023 में फिर से हमारी सरकार यहां बनेगी और 2024 में सभी 29 लोकसभा सीटें भाजपा की झोली में जायेंगी।
बहनों के भाई और भांजे-भांजियों के मामा शिवराज सिंह चौहान ने 2003 के हालातों पर चर्चा करते हुए जब दिग्विजय सिंह मुख्यमंत्री थे, कहा कि उस वक्त बिजली, पानी और सड़क नहीं थी। सवा साल के लिए कमलनाथ आये तो उन्होंने क्या हाल कर डाला था, उन्होंने केंद्र सरकार की सभी योजनाओं को ठप्प कर दिया था। लाडली बहना भरोसे में मत रहना लाडली तब तक ही हो जब तक अपनी सरकार है।
आदिवासी युवा महापंचायत को सम्बोधित करते हुए कमलनाथ ने आरोप लगाया कि प्रदेश में भ्रष्टाचार की कोई सीमा नहीं है भ्रष्टाचार में नम्बर-वन प्रदेश में पैसे दो और काम कराओ। पचास एकड़ जमीन हो फिर भी गरीबी रेखा में नाम लिखा लो, यहां पर भ्रष्टाचार एक व्यवस्था बन गयी है। उनका कहना था कि मतदाता कांग्रेस व मेरा नहीं बल्कि सच्चाई का साथ दें। शिवराज कहते हैं कि मैं बहनों को बिना चप्पल नहीं चलने दूंगा, बहनों एवं भाइयों को जूते चप्पल दूंगा। उन्होंने यह भी कहा कि चप्पल-जूता मिल गया तो इसका सही उपयोग करिएगा। छाते देने का इन्हें अब सूझा है, यह सोचते हैं कि मतदाता बिकाऊ है यह गलत है। मालवा अंचल से बड़ी संख्या में आये आदिवासी युवाओं को कमलनाथ ने छिंदवाड़ा में आदिवासियों के लिए किए गए कामों को विस्तार से बताया और कहा कि वहां बहुत विकास हो चुका है।
युवा आदिवासी सम्मेलन में विशेष आकर्षण का केन्द्र युवा नेता कन्हैया कुमार रहे और उन्होंने आदिवासी महापंचायत के मांगपत्र का समर्थन करते हुए दावा किया कि कांग्रेस ने हमेशा आदिवासियों को संविधान व कानून के माध्यम से सशक्त बनाया तो राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ उनकी पहचान छीनना चाहती है तथा आदिवासी से उन्हें वनवासी बना रही है। आदिवासी देश के मूल निवासी हैं और उन्हें उनका हक मिलना चाहिये जिसके लिए कांग्रेस वचनबद्ध है। आदिवासी मतदाताओं की मध्यप्रदेश में विशेष अहमियत है इसलिए उनका ज्यादातर फोकस आदिवासी युवाओं का दिल जीतने पर रहा। कन्हैया कुमार का आरोप था कि यह सरकार भ्रष्ट व आदिवासी विरोधी सरकार है और अपनी विफलताओं को छिपाने के लिए बेफिजूल मुद्दों को उठाती है और तूल देती है। मध्यप्रदेश के गृहमंत्री और सरकार के प्रवक्ता नरोत्तम मिश्रा का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि उनके माता-पिता ने कितना सुंदर नाम रखा है लेकिन उनके काम निकृष्टतम हैं। आज यहां पर दो-दो गृहमंत्री हैं और मैं उनकी सरकार को चुनौती देता हूं कि यदि मैंने कुछ गलत काम किया है तो मुझे जेल में डालो वरना बकवास करना बंद करो। मेरा नाम कन्हैया है और कन्हैया ने कम से कम कंस वध किया था और कंस भी मामा था। इस प्रकार उन्होंने शिवराज पर भी व्यंग्य कर डाला। वोट में बहुत शक्ति होती है और इस वोट के चलते ही आज एक आंगनवाड़ी कर्मचारी का बेटा दो-दो पूर्व मुख्यमंत्री के सामने भाषण दे रहा है, आप अपने वोट की शक्ति को पहचाने और इस आदिवासी विरोधी सरकार को उखाड़ फेंके। मतदाताओं के गले किसके वायदे, संकल्प उतरते हैं यह तो चुनाव परिणामों से ही पता चल सकेगा, लेकिन फिलहाल भाजपा व कांग्रेस दोनों ही अपनी-अपनी जीत के प्रति पूरी तरह से आश्वस्त हैं।
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