नई दिल्ली । बिहार
विघानसभा चुनाव में कांग्रेस
एक तिहाई सीट
पर अपनी दावेदारी
पेश करेगी। पार्टी
का मानना है
कि प्रदेश में
महागठबंधन की स्थिति
मजबूत है और
इस बार महागठबंधन
प्रदर्शन पिछले चुनाव के
मुकाबले बहुत अच्छा
रहेगा। पर पार्टी
नेताओं को खुद
अपनी रणनीति पर
भरोसा नहीं है।
उनका मानना है
कि टिकट बंटवारे
में एक भी
गलती चुनाव में
कांग्रेस के प्रदर्शन
पर भारी पड़
सकती है। पिछले
विधानसभा चुनाव में कांग्रेस
41 सीट पर चुनाव
लड़ी थी। इसमें
से 27 सीट पर
जीत दर्ज की
थी। हालांकि, बाद
में मोहम्मद जावेद
के किशनगंज से
सांसद बनने के
बाद खाली हुई
सीट पर पार्टी
अपना कब्जा बरकरार
नहीं रख पाई
थी। ऐसे में
पार्टी के पास
अब 26 विधायक है।
पार्टी के एक
वरिष्ठ नेता ने
कहा कि हम
पिछले चुनाव से
अधिक सीट पर
चुनाव लड़ेगे। क्योंकि,
अब स्थितियां अलग
हैं। बिहार प्रदेश
के वरिष्ठ नेता
किशोर कुमार झा
कहते हैं कि
राजद को यह
बात समझनी चाहिए
कि कांग्रेस के
बगैर जीत की
दहलीज तक नहीं
पहुंच सकता है।
2010 के चुनाव में कांग्रेस
और राजद अलग-अलग चुनाव
लड़े थे, उस
वक्त कांग्रेस को
8 सीट मिली, पर
राजद भी सिर्फ
22 सीट पर सिमट
गई थी। वर्ष
2015 के चुनाव में फिर
साथ आए, तो
दोनों पार्टियों को
एक-दूसरे का
फायदा मिला। इस
सबके बीच पार्टी
नेताओं की असल
चिंता टिकट बंटवारे
को लेकर है।
पार्टी के एक
नेता ने कहा
कि सीट कुछ
कम भी मिलती
है, तो कोई
परेशानी नहीं है।
पर मुश्किल उस
वक्त होगी जब
युवाओं के नाम
पर वरिष्ठ नेताओं
के बेटे- बेटियों
को टिकट दिया
जाएगा। उनके मुताबिक,
करीब एक दर्जन
नेता अपने बेटे-बेटियों को टिकट
दिलाने के लिए
तैयार हैं। पार्टी
ऐसा करती है,
तो नुकसान तय
है। उन्होंने कहा
कि पार्टी कार्यकर्ताओं
को दरकिनार कर
वरिष्ठ नेताओं के रिश्तेदारों
को टिकट दिया
गया तो किशनगंज
उपचुनाव की पार्टी
चुनाव हार जाएगी।
पार्टी नेता ने
कहा कि सदस्यता
अभियान में कई
युवा अच्छा काम
कर रहे हैं।
ऐसे में पार्टी
को वरिष्ठ नेताओं
के रिश्तेदारों को
कम टिकट देते
हुए नए कार्यकर्ता
और नेताओं को
मौका देना चाहिए।
ताकि, चुनाव में
जीत तय की
जा सके।