भाजपा के प्रदेश प्रभारी पी. मुरलीधर राव ने भाजपा के वरिष्ठ और अनेक चुनाव जीत चुके जनप्रतिनिधियों की महत्वाकांक्षा को लेकर उन्हें नालायक कह डाला। इसके साथ ही प्रदेश की राजनीति में एक प्रकार से उबाल आ गया और कुछ भाजपाई जनप्रतिनिधियों ने दबे स्वर में इससे असहमति व्यक्त की तो वहीं दूसरी ओर कांग्रेस भी फब्ती कसने से पीछे नहीं रही है। वैसे देखा जाए तो कोई भी राजनीतिक दल कभी भी अपने वरिष्ठ जनप्रतिनिधियों को नालायक सम्बोधित नहीं करता क्योंकि जनता के लिए वे पार्टी का चेहरा होते हैं। लेकिन यह पहला मौका नहीं है जब मुरलीधर राव ने ऐसा कहा हो जिससे विवाद खड़ा हुआ हो, बल्कि वे अनेक बार इस प्रकार की बात करते रहे हैं जिसमें विवाद पैदा होने की गुंजाइष बनी रहती है। भाजपा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया के बारे में जब मीडिया ने सवाल पूछा था उस समय उन्होंने कह दिया था कि ‘कौन सिंधिया मैं नहीं जानता।‘
मुरलीधर राव ने 9 सितम्बर को भोपाल में एक कार्यक्रम में बयान दिया था कि 15-16 या 17 साल से सत्ता में हैं तो यह कोई मामूली बात नहीं, जब कभी भी प्रवास पर आता हूं तो देखता हूं कि चार-चार, पांच-पांच बार से जीत रहे विधायक जनता के इतने आशीर्वाद के बाद भी रोते हैं कि उन्हें मौका नहीं मिला। इसके बाद रोने के लिए कोई जगह नहीं है कि ये नहीं मिला वो नहीं मिला। इसके बाद भी रोयेंगे कि कुछ नहीं मिला तो उनसे नालायक आदमी कोई नहीं, ऐसे लोगों को तो कुछ नहीं मिलना चाहिए। भाजपा एक काडर आधारित पार्टी और उसमें अनुशासन लागू करने को काफी तवज्जो दी जाती है। अनुशासन के दायरे में रहने के लिए कड़ी से कड़ी उपदेशों की घुट्टी भाजपा नेतृत्व पिलाता रहा है लेकिन संभवतः आज तक किसी भी प्रदेश प्रभारी या बड़े नेता ने अपने जनप्रतिनिधियों को नालायक नहीं कहा है। भाजपा के वरिष्ठ जनप्रतिनिधि इसको लेकर हैरान-परेशान हैं । कुछ अपनी पीड़ा की अभिव्यक्ति कर रहे हैं तो अधिकांश मन मसोस कर बैठ गए हैं। लेकिन उनके सामने भविष्य में उनकी टिकट कटने का संकट पैदा हो गया है। क्योंकि प्रदेश प्रभारी ने कहा है कि ऐसे लोगों को कुछ नहीं मिलना चाहिए। वर्षों से निर्वाचित होते आ रहे जनप्रतिनिधि शायद इस प्रकार से उनका सार्वजनिक तौर पर किया गया अपमान आसानी से नहीं पचा पायेंगे और उनके भविष्य को लेकर एक जो तलवार राव ने लटका दी है वह उस समय तक लटकी रहेगी जब तक कि आगामी चुनावों में टिकटों के बारे में कोई अंतिम फैसला नहीं हो जाता।
प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और पूर्व केंद्रीय मंत्री उमा भारती से जब सीहोर में पत्रकारों ने इस बाबत पूछा तब उन्होंने कहा कि प्रदेश प्रभारी राव की नसीहत तो सभी पर लागू होती है लेकिन यह तो उन्हीं से पूछें कि वे ऐसा कह रहे हैं तो किस-किस को लपेट रहे हैं। पूर्व विधानसभा अध्यक्ष तथा पांच बार के भाजपा विधायक डाॅ. सीतासरन शर्मा को राव की बात इस कदर चुभ गई कि उन्होंने अपनी प्रतिक्रिया में राव को यह कहते हुए आइना दिखा दिया कि किसी की दया पर राजनीति नहीं की है और अपमानित होने के लिए भी नहीं आये हैं। उनका कहना था कि संदर्भ की जानकारी नहीं है लेकिन इस बात और भाषा से आपत्ति है। अपनी मेहनत, ईमानदारी और सिद्धान्तों की वजह से पांच बार से जीत कर आये हैं। जहां तक शर्मा का सवाल है उनका पूरा परिवार काफी प्रतिष्ठित परिवार है और होशगाबाद जिले में उनका काफी सम्मान है। जनसंघ तथा भारतीय जनता पार्टी जब अधिक मजबूत नहीं थी उस दौर से उनका परिवार भाजपा से जुड़ा रहा है। सामाजिक व शैक्षणिक क्षेत्र में भी उनके परिवार की काफी प्रतिष्ठा है। उनके पिता स्व. रामलाल शर्मा का भी काफी नाम था और वह संघ तथा हिंदूवादी संगठनों से प्रभावित रहे हैं। उनके द्वारा होशंगाबाद में एक कालेज भी स्थापित किया गया जिसे बाद में मुख्यमंत्री प्रकाश चन्द सेठी के कार्यकाल में शासन ने बलपूर्वक अधिग्रहित कर लिया था। डाॅ. शर्मा र के बड़े भाई के.एस. शर्मा भारतीय प्रशासनिक सेवा के आला अधिकारी रहे हैं और राज्य के मुख्य सचिव भी रह चुके हैं। डाॅ. शर्मा के एक अन्य भाई गिरिजा शंकर शर्मा भाजपा के विधायक रह चुके हैं और काफी मुखर विधायकों में उनकी गिनती होती थी। वे जनसमस्याओं को लेकर विधानसभा के अंदर अक्सर आक्रामक तेवर दिखाते रहे हैं। चार बार के विधायक और पूर्व मंत्री अजय विश्नोई ने कहा है कि ‘‘बाॅस इज आलवेज राइट, उनको अधिकार है, वे हमारे नेता हैं, रोक तो नहीं सकते लेकिन इसमें बुरा मानने वाली कोई बात नहीं।‘‘ पूर्व मंत्री और छः बार के भाजपा विधायक पारस जैन ने कहा है कि मध्यप्रदेश में कोई भी नालायक नहीं सब लायक हैं। उन्होंने सवाल किया कि नालायक होते तो छः बार चुनाव थोड़े जीतते, मैंने पार्टी से कभी कुछ नहीं मांगा, जब भी मिला पार्टी ने दिया और भगवान से मिला। मंदसौर से तीन बार के विधायक राजेन्द्र पांडेय, आठ बार के सांसद एवं तत्कालीन मुख्यमंत्री कैलाश नाथ काटजू को हराने वाले स्व. लक्ष्मीनारायण पांडे के पुत्र हैं। उनका कहना है कि दो-तीन पीढ़ियों से पार्टी की सेवा कर रहे हैं। तप किया है। विचारधारा सम्मान चाहती है। यह अपमानित करने वाली अभिव्यक्ति है और मन को दुख हुआ। पूर्व मंत्री व छः बार के विधायक रामपाल सिंह ने स्थिति को संभालने की कोशिश करते हुए कहा कि वे दूसरे प्रान्त के हैं इसलिए भाषा में कुछ अन्तर रहा होगा, हिन्दी-अंग्रेजी का भी फर्क हो सकता है, उनकी भावना ऐसा कुछ कहने की नहीं होगी, वैसे भी मध्यप्रदेश में सभी सीनियर नेताओं को मौका मिला है। रामपाल से मिलते जुलते विचार तीन बार के भाजपा विधायक शैलेन्द्र जैन के भी रहे। पूर्व मंत्री राजेंद्र शुक्ला का कहना था कि उनकी मंशा क्या रही होगी नहीं जानता। उसका कोई अर्थ लगाने की बजाय कहूंगा कि पार्टी हमारी माॅ है, मिशन है, उसी के लिए काम कर रहे हैं। प्रदेश कांग्रेस के महामंत्री -मीडिया प्रभारी- के.के. मिश्रा ने ट्वीट किया है कि भाजपा ‘‘कथित कुलीन‘‘ और अब ‘‘लायकों-नालायकों‘‘ में विभाजित है। वास्तविक लायकों, स्वाभिमानियों, साहसियों को सलाम और गैर स्वाभिमानी सत्तालोलुपों, नालायकों को .......??? एक अन्य ट्वीट में मिश्रा ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान से पूछा है कि आप ‘ना‘ के साथ हैं या ‘ला‘ के?
वैसे ऐसा नहीं कि जनप्रतिनिधियों ने एक-दूसरे को नालायक षब्द से सम्बोधित न किया हो, लेकिन यह उन्होंने अपने प्रतिद्वंद्वियों के लिए किया। कभी-कभी आवेश में जब जुबान फिसलती है तो उसका राजनीतिक फायदा उठाने की भी भरपूर कोशिश होती रही है। तत्कालीन मुख्यमंत्री कमलनाथ ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान को नालायक कहा था, इसे एक बहुत बड़ा मुद्दा स्वयं शिवराज ने बनाया जिसका उन्हें राजनीतिक माइलेज भी मिला। आरक्षण के मुद्दे को लेकर शिवराज ने कोई माई का लाल जुमला उछाला था जिसका उनके विरोधियों ने भरपूर फायदा उठाया और कुछ हलकों में यह धारणा बनी कि 2018 के विधानसभा चुनाव में भाजपा की हार में इसने अहम् भूमिका अदा की।
और यह भी
प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री सांसद दिग्विजय सिंह कुछ बोलें तब भाजपा नेता उस पर अपनी प्रतिक्रिया न दें यह हो ही नहीं सकता। दिग्विजय ने दावा किया कि संघ और तालिबान की एक जैसी विचारधारा है। उन्होंने ट्वीट कर कहा कि तालिबान का कहना है कि महिलाएं मंत्री बनने के लायक नहीं हैं। दिग्विजय सिंह ने यह भी लिखा है कि संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा है कि महिलाओं को घर में रहना चाहिए, क्या यह समान विचारधाराएं नहीं हैं? दिग्विजय की इस टिप्पणी के बाद भाजपा हमलावर हुई और पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने कहा कि दिग्विजय की सबसे बड़ी दुश्मन उनकी जीभ है। चुनाव में प्रज्ञा ठाकुर से लाखों वोट से हारने के बाद भी उन्हें समझ नहीं आई। उमा ने दावा किया कि दिग्विजय की बदजुबानी के कारण ही हिंदू व मुसलमान दोनों उनसे नफरत करते हैं। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सांसद विष्णुदत्त शर्मा ने आरोप लगाया कि कांग्रेस नेतृत्व व दिग्विजय सिंह दोनों ही तालिबान समर्थक हैं। उनका कहना था कि कमलनाथ व दिग्विजय के नेतृत्व में भाजपा को बदनाम करने की साजिश की जा रही है।
अरुण पटेल, वरिष्ठ पत्रकार,लेखक ये लेखक के अपने विचार है I
महाराष्ट्र में भाजपानीत महायुति और कांग्रेसनीत महाविकास आघाडी के लिए इस बार का विधानसभा चुनाव जीतना राजनीतिक जीवन मरण का प्रश्न बन गया है। भाजपा ने शुरू में यूपी के…
लोकसभा विधानसभा चुनाव के परिणाम घोषित हो चुके हैं।अमरवाड़ा उपचुनाव में भाजपा प्रत्याशी कमलेश शाह को विजयश्री का आशीर्वाद जनता ने दिया है। लोकसभा चुनाव में भाजपा ने 29 की 29 …
छत्तीसगढ़ के नीति निर्धारकों को दो कारकों पर विशेष ध्यान रखना पड़ता है एक तो यहां की आदिवासी बहुल आबादी और दूसरी यहां की कृषि प्रधान अर्थव्यस्था। राज्य की नीतियां…
भाजपा के राष्ट्रव्यापी संगठन पर्व सदस्यता अभियान में सदस्य संख्या दस करोड़ से अधिक हो गई है।पूर्व की 18 करोड़ की सदस्य संख्या में दस करोड़ नए सदस्य जोड़ने का…
छत्तीसगढ़ राज्य ने सरकार की योजनाओं और कार्यों को पारदर्शी और कुशल बनाने के लिए डिजिटल तकनीक को अपना प्रमुख साधन बनाया है। जनता की सुविधाओं को ध्यान में रखते…
वर्तमान समय में टूटते बिखरते समाज को पुनः संगठित करने के लिये जरूरत है उर्मिला जैसी आत्मबल और चारित्रिक गुणों से भरपूर महिलाओं की जो समाज को एकजुट रख राष्ट्र…