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असभ्य नाइट लाइफ किसी भी समाज में स्वीकार नहीं

Updated on 03-02-2022 11:17 AM
मनोरंजन जरूर सभी संस्कृति का हिस्सा है पर नाइटलाइफ जो मनोरंजन के नाम पर एक अलग दिशा में जा रही है वह किसी भी सभ्यता में नहीं है। ड्रिंक, डाइन, डांस के बाद दो तरह के व्यक्तित्व का जन्म होता है एक सभ्यता वाला चुपचाप अपने घर जाता है और दुसरा असभ्य, उसका क्रिमिनल दिमाग चलने लगता है। अक्सर नाइट लाइफ में व्यक्ति और बच्चे दिखावे मे रहते हैं और जो उन्हें जो नहीं करना चाहिये वह सब करते हैं। शराब पिएंगे, स्मोकिंग करेगे, भलती भलती चीजे खाएंगे, नशेड़ी नशा करेंगे, उसके बाद उनके दिमाग में जो भी क्रिमिनल आइडिया पैदा होंगे उस पर चल निकलेंगे। सभ्य नाइटलाइफ मे भक्ति गीत संगीत, संस्कृति से जुड़े नाटक, लोकगीत और लोक नृत्य होते है। बिगड़ैल नाइट लाइफ में महिला पुरुष, युवक युवतीया इतने नशे में होते हैं कि उन्हें होश ही नहीं होता और सब अनैतिक काम करने के बाद पछताते है। कई परिवार में रात को बच्चा जब बाहर जाता है तो माता-पिता बड़े स्ट्रिक्ट रहते है, पूछते हैं कहां गया था क्या कर रहा था कई बार तो बच्चे का पीछा कर देखते है कि बच्चा कहां जा रहा है। कई बच्चे बच्चीया माता-पिता को झुठ कहेगे, उन्हे उल्लू बना देते हैं और ऐसी जगह पर चले जाते हैं कि जहां उन्हे नहीं जाना चाहिए। देर रात नाइटलाइफ के कई नुकसान है, सुबह जल्दी उठ नही सकते अलसाये से दिन की शुरुआत होगी। सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठने के महत्व से आप चुक जाते हैं। युवा पीढ़ी ऐसी नाइटलाइफ से बचें।
अशोक मेहता, (लेखक, पत्रकार, पर्यावरणविद्)  (ये लेखक के अपने विचार है)

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