सड़क दुर्घटना में होने वाली मौत का आंकड़ा अन्य किसी कारण से होने वाली मौत से अधिक है। हादसों से सुरक्षा के लिए वाहन उत्पादन करने वाली कंपनियां नवीनतम तकनीक, मजबूत बनावट, एयर बैलून आदि जैसी कई सुरक्षा प्रणालियों का प्रयोग अपने वाहनों में कर रही है। लेकिन ये सब सुरक्षा उपाय चालक की लापरवाही और गति की अति के आगे धरे रह जाते हैं। पूर्वांचल एक्सप्रेसवे पर हालिया हुई बीएमडब्ल्यू कार दुर्घटना के पीछे यही कारण सामने आया है।
कार में बिहार के रोहतास के डॉक्टर आनंद उनके चचेरे बहनोई इंजीनियर दीपक, एक दोस्त अखिलेश सिंह व एक अन्य दोस्त भोला कुशवाहा थे। भोला ही गाड़ी चला रहे थे। घटना के बाद सामने आए एक वीडियो में स्पीडोमीटर पर कैमरे का फोकस दिखता है। 62-63 किमी प्रति घंटे से चल रही गाड़ी के एक्सीलरेटर पर बढ़ते दबाव के साथ स्पीडोमीटर के 100 से पार निकलने पर कार में सवार दोस्त रोमांच से भर जाते है। गति के इस रोमांच से थर्राते कार मालिक दीपक की आवाज आती है चारो मरेंगे। लेकिन मित्र गण चालक भोला को गति और बढ़ाने के लिए उत्साहित करते है। सबके शरीर सनसनी से तन जाते है और अधिक स्पीड के रोमांच का यह खेल आगे बढ़कर 200 के पार पहुंच जाता है। दोस्त कहता है 290 तक जाना चाहिए। जिस वक्त यह खूनी टक्कर हुई तब कार 230 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से दौड़ रही थी।
बेकाबू गति से उड़ती हुई कार से हुई यह दुर्घटना इतनी भीषण थी कि चारों युवक और बीएमडब्ल्यू का इंजन दूर जा गिरे। एक युवक का सिर और हाथ दुर्घटनास्थल से करीब 20-30 मीटर दूर जा गिरा था था। इस हादसे के बारे सुनकर और सामने आए फोटो को देखकर हर किसी की रूह कांप उठती है। पोस्टमार्टम कर रहे डॉक्टर ने बताया कि चारों के शरीर पर सिर धड़ से अलग हो चुके थे।
यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि सड़क दुर्घटना की चपेट में सबसे अधिक वही लोग आते हैं, जो अपने देश के श्रमबल का प्रमुख हिस्सा होते हैं। अपने परिवार की कमाई का साधन होते है। वैश्विक स्तर पर, प्रतिवर्ष सड़क हादसों में जहां 13 लाख से अधिक लोगों की जान चली जाती है, वहीं पांच करोड़ लोग घायल या अपंग हो जाते हैं। देश में आज एक ऐसा बड़ा वर्ग बन गया हैं जो सड़क हादसों के कारण अपाहिज होकर अपना जीवन काट रहे हैं। उनके जीवन की पीडाओं को देखकर एक मजबूत इंसान का भी दिल दहल जाता है।
सड़क दुर्घटना तथा इससे होने वाली मृत्यु के बाद ना केवल गरीब बल्कि आर्थिक दृष्टि से मज़बूत परिवारों को भी गंभीर वित्तीय बोझ झेलना पड़ता है। सड़क दुर्घटना में घर के कमाने वाले व्यक्ति की मृत्यु की वजह से परिवारों की घरेलू आय कम हो जाती है। जिसके परिणामस्वरूप पीड़ित परिवार गरीबी और कर्ज़ के दुष्चक्र में बुरी तरह फँस जाता है। पारिवारिक आय में कमी आने के कारण महिलाओ का जीवन बुरी तरह प्रभावित होता है। दुर्घटनाओं का भारी बोझ अक्सर घर की महिलाओं के कमजोर और नादान कंधे पर ही पड़ता है। गरीब हो या अमीर दोनों ही पीड़ित परिवारों की महिलाओं को घरेलू जिम्मेदारियों के साथ साथ परिवार को पालने हेतु कमाने का अतिरिक्त भार भी उठाना होता है। किसी दुर्घटना के बाद घायल की देखभाल करने करने का ज़िम्मा भी उन्हें ही लेना पड़ता है।
सड़क हादसे में घर के पुरुष की मौत या घायल होने के बाद काम पर न जा पाने और पुरूषों पर अपनी वित्तीय निर्भरता के चलते, ख़ासकर ग्रामीण क्षेत्र के निम्न आय वाले परिवारों की औरतें गरीबी के दलदल में गहरे धंस जाती हैं। उन पर शारीरिक और मानसिक, दोनों तरह के श्रम का दोहरा दबाव होता है। कई बार बच्चो को अपनी पढ़ाई बंद कर काम पर लग जाना पड़ता है।
वाहन चलाते समय की गई लापरवाही से पूरा परिवार टूट कर तबाह हो जाता है। प्रत्येक वाहन चालक को सड़क पर वाहन चलाते समय अपने परिवार का ध्यान रखना चाहिये। डेशबोर्ड पर भगवान के साथ साथ अपने परिवार का फोटो भी लगाकर रखना चाहिये। आपके ना रहने पर आपके परिवार पर क्या बीतेगी इसका विचार करते हुए सुरक्षित गति से यातायात नियमों का पालन करते हुए सावधानी से अपना सफर तय करने में ही समझदारी है।
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