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सड़क सम्मोहन और इससे बचने के उपाय

Updated on 06-11-2022 03:58 PM
अक्सर देखने में आता है कि सामान्य जीवन जीते हुए लोग अपने आसपास के परिवेश को भुलाकर अपनी ही दुनिया में खो जाते हैं। ऐसा करते हुए वो समय का भान नहीं रख पाते। इसको ध्यान भटकना भी कहते है। सड़क  सम्मोहन भी ध्यान भटकने जैसी ही स्थिति है जहां वाहन चलाते समय आप अपने परिवेश से से परे चले जाते हैं और जो कुछ हो रहा है उसकी स्मृति स्पष्ट नहीं रह जाती। सड़क दुर्घटनाओं के बाद कुछ ड्राइवर कहते हैं कि उन्हें कुछ भी याद नहीं है कि दुर्घटना कैसे हुई और उनको दुर्घटना के कुछ समय पहले की कोई स्मृति याद नहीं है। ऐसे में यह मान लिया जाता है कि उन्हें नींद का झोंका आ गया होगा। लेकिन कई वाहन चालक बताते हैं कि उस दौर में वे नीम-बेहोशी की या सम्मोहन जैसी अवस्था में थे। कुछ सड़क दुर्घटनाओं में टायर घिसटने के निशान नहीं मिलते, यानी बगैर ब्रेक लगाने का प्रयास किए सामने से आ रहे वाहन या अन्य किसी अवरोध से सीधे टक्कर होती है। 
जब आप रोजाना की तरह सुबह तैयार होकर घर से कार्यालय जाने के लिए वाहन चलाते समय कभी आप ब्रेक लगा रहे होते हैं तो कभी स्टेयरिंग घूमा रहे होते है। कभी भीड में रास्ता बनाने का प्रयास कर रहे है तो कभी गति कम ज्यादा कर रहे है। यानि आपका दिमाग निरंतर हो रही गतिविधियो से निपटने में व्यस्त है। और आप पूर्ण सजगता की अवस्था में वाहन चला रहे होते हैं। 
इसके विपरीत रात के समय वीरान इलाके में शहर से दूर कहीं जा रहे हैं और पहले से रिकार्डेड संगीत को दोहराव के साथ सुनते हुए पिछले कुछ घंटों से लगातार गाड़ी चला रहे हैं। आपके सहयात्री झपकी मार रहे हैं। पिछले कुछ समय से सड़क पर गतिविधि भी लगभग ना होने के समान है। स्टेयरिंग भी लगभग स्थिर अवस्था में है। आप एक ही अवस्था में बिना किसी परिवर्तन के बैठे है। गाड़ी एक ही गियर में क्रूज कंट्रोल या उसके समान अवस्था में दौड़ रही है। इस बोझिल सी नीरस अवस्था में आप सोच रहे हैं कि कुछ समय पश्चात आप अपने गंतव्य स्थल तक पहुँच जाएँगे और कुछ खाकर एक आरामदायक बिस्तर पर सो जाएँगे। या आप अपने परिवार के बारे में सोचने लगते है। या कोई परेशानी आपके दिमाग पर हावी हो जाती है। यानि किसी एक विचार पर आपका मस्तिष्क केन्द्रित हो जाता है और आप उसमें खो जाते हैं और खुली आँखों से यंत्रवत गाड़ी चलाते रहते हैं। कुछ समय बाद, एक ट्रक आपकी कार के पास से गुजरता है और हॉर्न बजाता है तो आप उस समाधि से बाहर निकलते हैं।  
मनुष्य का दिमाग एक परिष्कृत और जटिल यंत्र  है, जो लगातार काम करता रहता है, इसलिए वह ऊर्जा बचाने के तरीके ढूंढ़ लेता है। जब वह महसूस करता है किसी समय दिमाग के कुछ अंगों को काम करने की अवश्यकता नहीं है तो उनको आराम देने के लिए वो उनको मंद या बंद (शटडाउन) कर देता है और आवश्यक हिस्सा ही सक्रिय रहता है। मस्तिष्क के कुछ हिस्से अच्छी तरह से संचार ना करते हुए नींद जैसे परिदृश्य की नकल करते है।  इस सड़क सम्मोहन में आप सो नहीं रहे होते हैं बल्कि स्वचालितता की स्थिति में यंत्रवत वाहन चला रहे होते हैं। 
सड़क सम्मोहन थकान से अलग है। थकान के कारण भी आपका ध्यान भटक सकता है लेकिन सड़क सम्मोहन बगैर शारीरिक थकान के भी हो सकता है। थकान के ज़ोर पकड़ने पर आप वाहन चला ही नहीं पाते और वाहन पर से नियंत्रण खो बैठते है। लेकिन सड़क सम्मोहन की अवस्था में आप स्वचालित तरीके से स्मृति लोप अवस्था में वाहन चला रहे होते हैं । सड़क सम्मोहन में, अवचेतन मन हावी हो सकता है।  
कई विशेषज्ञ मानते हैं कि इस अवस्था में दिमाग का एक हिस्सा तो सक्रिय रहता है और इस बात के लिए सतर्क रहता है कि सड़क पर कोई खतरा नहीं आ जाए, अत: दुर्घटना नहीं हो सकती। लेकिन कुछ विशेषज्ञों का मानना है लंबे समय तक  सम्मोहन की अवस्था में रहने से दिमाग के कुछ जरूरी अंग पूरी तरह बंद (कंपलीट शटडाउन) हो सकते है। इस दौरान आपके पैर और हाथ वाहन को स्वचालित ढंग से नियंत्रित करते रहते हैं और आपको अपने परिवेश और परिदृश्य में आए बदलाव का कोई अहसास नहीं होता है। अत: एकदम नवीन परिस्थिती सामने आने पर मस्तिष्क के बाकी अंग सजग ना होने से दुर्घटना घट सकती है। इस अवस्था में जब अचानक गाड़ी के सामने कुछ आता है तो दिमाग जागकर सक्रिय (री बूट) होता है और जब तक परिदृश्य और परिस्थिति को समझ कर सुरक्षित निर्णय  देता है तब तक बहुत देर हो चुकी होती है। रात्रि में हाईवे पर तेज रफ्तार हादसे होने की यह एक बड़ी वजह है। सड़क सम्मोहन के चलते चालक कभी गलत मोड ले लेता है तो कभी सही मोड भूल कर सीधे आगे बढ़ जाता है। एकदम नए  (जहां पहले कभी वाहन चालन नही किया हो) रास्ते पर भटक जाता है। 
इससे बचने के लिए चालक को नियमित रूप से अपनी अवस्था बदलते रहना चाहिए। संगीत रेंडमली बदल बदल कर सुनें। संगीत की आवाज कम ज्यादा करते रहे। ए सी की सेटिंग बदलते रहें। नियमित अंतराल से गाड़ी रोककर कोई भी शारीरिक क्रिया कर लें। कुछ चबाने को साथ में रख लें और एक एक दाना थोड़े थोड़े अंतराल से चबाते रहें। पानी की बोतल से घूंट घूंट कर पानी पीते रहे। कुछ खास जगहों और गुजरते वाहनों को याद रखने का प्रयास करें। रास्ते में पड़ रहे पहचान चिन्हो, यातायात संकेतक, पुल आदि की गिनती लगाते रहे। सह यात्री से बात करें।  कुल मिला कर मस्तिष्क को सक्रिय रखने का प्रयत्न करते रहना चाहिए।  

- राजकुमार जैन, लेखक, स्वतंत्र विचारक 

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