भारत अत्यंत सघन आबादी वाला देश है। तेजी से शहरों का विस्तार हो रहा है। झोपड़ी चाल फ्लेट से लेकर मकान बंगले तक आदमी की जिंदगी फैल गई। कहीं हाई राइज बिल्डिंग तो कहीं झोपड़पट्टी। कोई फर्क नहीं पड़ रहा है व्यक्ति गरीब है या अमीर सभी अपनी अपनी शैली में नाइट पार्टी मना रहे हैं। परिवारिक तौर पर जन्मदिन हो या एनिवर्सरी रात को 12:00 बजे उनके घर जाकर केक काटने की प्रथा का भी प्रचलन हो गया। उसके बाद बैठकर बातचीत करेंगे फिर सोएंगे तब तक इतनी लेट हो चुके हैं कि सुबह जल्दी उठी नहीं सकते। युवा लोग जिसमें खासकर नवयुवक और नवयुवती के बिच रात को पूल पार्टी, डीजे नाइट, शोर शराबा और उटपटांग डांस, शराब के दौर यह सब काॅमन हो गया। पहले के लोग कभी कबार रात को जब जगते थे, या तो गणपति उत्सव, नवदुर्गा या उससे भी पहले के जमाने में रात को पिक्चर दिखाई जाती थी चौराहे पर या कव्वाली, कवि सम्मेलन आदी होते थे। आज का दौर बिल्कुल विपरीत है अधिकतर पारिवारिक मीटिंग और फंक्शन, बिजनेस मिट और सामाजिक संस्थाएं भी रात के डिनर के साथ होने लगी। नाइटलाइफ के कारण नींद का पूरा नहीं होना देर रात का खाना नहीं पचना इन बातों से स्वास्थ्य पर कितना बुरा असर आ रहा है इस पर किसी का विचार नहीं जा रहा है और जो संस्कृति कितनी खत्म हो रही है इस पर भी किसी का विचार नहीं जा रहा है। एक बेतरतीब लाइफ की ओर लोगों की जिंदगी बढ़ रही है।
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लोकसभा विधानसभा चुनाव के परिणाम घोषित हो चुके हैं।अमरवाड़ा उपचुनाव में भाजपा प्रत्याशी कमलेश शाह को विजयश्री का आशीर्वाद जनता ने दिया है। लोकसभा चुनाव में भाजपा ने 29 की 29 …
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वर्तमान समय में टूटते बिखरते समाज को पुनः संगठित करने के लिये जरूरत है उर्मिला जैसी आत्मबल और चारित्रिक गुणों से भरपूर महिलाओं की जो समाज को एकजुट रख राष्ट्र…