नई दिल्ली । अवमानना
केस में दोषी करार दिए गए वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण के समर्थन में सुप्रीम कोर्ट और
हाई कोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस, रिटायर्ड ब्यूरोक्रेट, शिक्षाविद और वकील आ गए हैं।
भूषण के समर्थन और सुप्रीम कोर्ट के आदेश के खिलाफ 3000 से अधिक लोगों ने एक बयान जारी
किया है। इसमें सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के 13 रिटायर्ड जस्टिस ने हस्ताक्षर किए
हैं। चिट्ठी में प्रशांत भूषण के खिलाफ 14 अगस्त को आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले को खारिज
करने की अपील की गई है। इन लोगों ने लिखा है कि एक स्वतंत्र न्यायपालिका में जज और
वकील, दोनों शामिल हैं जो संवैधानिक लोकतंत्र में कानून के शासन का आधार है। पारस्परिक
सम्मान और जजों और बेंच के बीच सामंजस्यपूर्ण संबंध की पहचान है। आगे लिखा दोनों के
बीच में संतुलन का कोई भी झुकाव, एक तरह से या दूसरे, संस्था और राष्ट्र दोनों के लिए
हानिकारक है। न्यायपालिका को किसी तरह की पूरी छूट नहीं है कि उसकी आलोचना नहीं हो
सकती। इस मामले में अटॉर्नी जनरल की राय भी नहीं ली गई जो कि कानूनसंगत नहीं है। इस
चिट्ठी पर रिटायर्ड जस्टिस रूमा पाल, रिटायर्ड जस्टिस बी सुदर्शन रेड्डी, रिटायर्ड
जस्टिस जीएस सिंघवी, रिटायर्ड जस्टिस आफताब आलम, रिटायर्ड जस्टिस मदन बी लोकुर, रिटायर्ड
जस्टिस गोपाला गौड़ा समेत 13 रिटायर्ड जस्टिस और 166 रिटायर्ड ब्यूरोक्रेट, शिक्षाविदों
और मशहूर शख्सियतों के नाम मय दस्तखत दर्ज हैं।इन नामों के अलावा सुप्रीम कोर्ट बार
एसोसिएशन के अध्यक्ष दुष्यंत दवे सहित 41 वकीलों ने भी हस्ताक्षर करते सुप्रीम कोर्ट
के जजों और आम लोगों के लिए एक खुला पत्र लिखा है। हस्ताक्षर करने वालों में प्रमुख
वकील राजू रामचन्द्रन, कामिनी जायसवाल, वृंदा ग्रोवर, अरविंद दातार, संजय हेगड़े, शेखर
नाफडे, ललित भसीन भी शामिल हैं।शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने मुख्य न्यायाधीश एसए बोबड़े
और न्यायपालिका की आलोचना करने वाले प्रशांत भूषण के ट्वीट को लेकर उन्हें कोर्ट की
अवमानना का दोषी ठहराया था।यह आदेश जस्टिस अरुण मिश्रा, बी.आर. गवई, और कृष्ण मुरारी
ने पास किया था। अभी सजा पर फैसला सुनाया जाना बाकी है। अगली सुनवाई 20 अगस्त को होगी।