खास करके सरकारी नौकरी करने वाले बहुत से बंदे जनसेवा और कर्तव्यनिष्ठा से कुछ दूर होते जा रहे हैं। कुछ लोग बहुत मेहनत और ईमानदारी से अपनी जिम्मेदारी निभा भी रहे हैं। पर अधिकतर भूल गए कि जिस बात की तनखा लेते हैं उसके प्रति कितने वफादार हैं। कारण यह लगता है सरकार की तरफ से कोई तुरंत कड़ी कार्रवाई उनके खिलाफ नहीं होती इसलिए बेखौफ होकर अपनी मनमानी कर रहे हैं। प्राइवेट सेक्टर में आदमी जब ईमानदारी से काम नहीं करता है तो उसे तुरंत निकाल दिया जाता है पर सरकार के यहा सिस्टम में ऐसा कुछ नहीं है, आप शिकायतें करते रहो उनके खिलाफ जांच चलती रहेगी बरसों बाद कई को क्लीन चिट मिल जाएगी। सबको मालूम है कि कौन-कौन अधिकारी कितनी मनमानी और भ्रष्टाचारी कर रहे हैं, उन पर जो कार्रवाई कर सकते हैं वे कई बार चुप बैठ जाते हैं। लाखों अधिकारी कर्मचारियों की फौज में इक्का-दुक्का पर कार्रवाई होती है। ऐसा चलेगा तो जनता हमेशा दुखी ही रहेगी। सरकार ने मक्कार और भ्रष्टाचारियों को तुरंत नौकरी से बाहर निकालकर ईमानदार आदमी की नियुक्ति करना चाहीये।
अशोक मेहता, इंदौर (लेखक, पत्रकार, वास्तुविद्) ये लेखक के अपने विचार है I
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