नई दिल्ली। प्रतिष्ठित हेल्थ जर्नल लांसेट द्वारा मलेरिया की दवा हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन (एचसीक्यू) पर शोधपत्र वापस लेने से कोरोना मरीजों पर इसके इस्तेमाल को लेकर संशय काफी हद तक खत्म हो गया है। विशेषज्ञों ने कहा कि दवा के असर या दुष्प्रभावों को लेकर उपजी आशंकाओं को दूर करने के लिए गहन शोध की जरूरत है। शोध में कहा गया था कि कोरोना के मरीजों पर एचसीक्यू के इस्तेमाल से मौत का खतरा बढ़ सकता है। जबकि भारतीय अध्ययन इसके मामूली दुष्प्रभावों की बात तो मानते हैं लेकिन उनका कहना है कि यह जानलेवा नहीं है। डब्ल्यूएचओ भी एचसीक्यू के असर पर व्यापक अध्ययन कराने को राजी हो गया है। वर्धमान महावीर मेडिकल कॉलेज के कम्युनिटी विभाग के निदेशक जुगल किशोर ने कहा कि शोध प्रकाशित करने से पूर्व उसके निष्कर्ष का स्वतंत्र विशेषज्ञों से आकलन कराया जाता है। लेकिन लांसेट ने ऐसा नहीं किया। इसलिए उसे शोध वापस लेना पड़ा। अब विस्तृत अध्ययन से स्थिति साफ होगी।
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नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (NIA) को जम्मू-कश्मीर के गांदरबल अटैक केस में अहम जानकारियां मिली हैं। NIA ने मंगलवार को बताया कि इस हमले के लिए आतंकवादियों को लोकल सपोर्ट मिला…